गांवों
में डाक्टरों को भेजने के लिए कम से कम एक साल ग्रामीण क्षेत्र के किसी अस्पताल
में सेवा देने की शर्त अनिवार्य किए जाने के बाद भी स्थिति नहीं बदल सकी। वजह यह
कि गांवों के बारे में आज भी आधुनिक जीवन शैली में पले-पढ़े लोगों का नजरिया नहीं
बदला है जबकि पहले की तुलना में ग्रामीण परिवेश काफी बदल चुका है। गांव पहले वाले
गांव नहीं रहे। गांवों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ी हैं और संचार सुविधाओं के
पहुंचने से गांव की जीवन शैली में भी काफी
बदलाव आया है। डाक्टरों को गांवों में शहरों की अपेक्षा अधिक मान-सम्मान मिल रहा है। गांवों के बारे में डाक्टरों को
अपना मानस बदलने की आवश्यकता है। इस दिशा में सरकार ने एक अभिनव पहल की है। अब
सरकार विशेषज्ञ चिकित्सकों को गांवों के अस्पतालों में भेजेगी। इसके लिए डाक्टरों
को अलग से भुगतान किया जाएगा और गांवों में जाकर विभिन्न बीमारियों से पीड़ित लोगों
का उपचार करेंगे। इनमें हृदय रोग, कैंसर, हड्डी रोग तथा
इसी तरह के अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक होंगे। सरकार ने ऐसे विशेषज्ञ डाक्टरों का एक
विस्तृत पैनल तैयार करने जा रही है जो ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सेवाएं दे सकते
हैं। इसमें निजी चिकित्सा संस्थानों के डाक्टर भी होंगे। पीड़ितों को बेहतर इलाज की
सुविधा उपलब्ध कराने की इस कल्याणकारी कार्यक्रम में विशेषज्ञ डाक्टरों ने रूचि
दिखाई तो राज्य में चिकित्सा के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।
फिलहाल ग्रामीण गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए जिला अस्पतालों पर निर्भर हैं। कई
बार दूरी उनके लिए बाधक बन जाती है तो कई जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों के
उपलब्ध नहीं होने से उन्हें निराश लौटना पड़ता है। इस तरह के सरकारी कार्यक्रम कई
बार लागू करने के तरीके की व्यवहारिकता पर खरा नहीं उतर पाते। स्वास्थ्य सुरक्षा
बीमा वाली स्मार्ट कार्ड योजना में भी अड़चनें आई थीं। निजी चिकित्सा संस्थानों ने
इसे मानने से इनकार कर दिया था और मरीज अपना इलाज नहीं करा पा रहे थे। आज भी कुछ
चिकित्सा संस्थान स्मार्ट कार्ड पर विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध कराने में नाक-भौं
सिकोड़ते हैं। कुछ तो अपनी शर्त पर लाचार मरीज से अंतर की राशि वसूल करने में परहेज
नहीं कर रहे हैं। ऐसे में संदेह होता है
कि ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ डाक्टरों की सेवाएं उपलब्ध कराने के सरकार के
इस कार्यक्रम को अपेक्षित सफलता मिल भी सकेगी या नहीं। अब यह सरकार की दूरदर्शिता
पर है कि वह इस कार्यक्रम के लिए कैसा आकर्षक प्रस्ताव इन डाक्टरों के सामने रख
पाती है। कार्यक्रम का उद्देश्य काफी अच्छा है और इसकी सफलता के लिए हर बिन्दु पर
सरकार को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
IAS Charisma is a brainchild of Dr. Kumar Ashutosh, a Ph.D. in History, PGDM(Marketing) and Double M.A.(History and Philosophy), an IAS aspirant himself, he cleared IAS Mains twice and faced IAS interview before starting on this journey of guiding future IAS aspirants to help them in tackling with the problems that he had to face during IAS preparation. IAS Charisma is an endeavor to light a candle for IAS aspirants who sometimes get lost in commercialization of education.
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