मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

जीडीपी के संशोधित अनुमान एवं संभावनाएं

केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन कार्यालय द्वारा 31 जनवरी को  सकल घरेलू उत्पादन जीडीपी के वित्तीय साल 2012-13 के लिए प्रथम  संशोधित  अनुमान, साल 2011-12 के लिए द्वितीय संशोधित अनुमान तथा 2010-11 के लिए तृतीय संशोधित  अनुमान के आंकड़े जारी कर दिए गए। प्रथम संशोधित अनुमान के अनुसार वित्तीय साल 2012-13 में मई 2013 में जारी प्राविधिक अनुमानों के विपरीत जीडीपी वृध्दि दर 5.0 प्रतिशत की बजाय 4.5 प्रतिशत रहने वाली है। 2012-13 में कृषि, खननविनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र में  उत्पादन लक्ष्य से कम होने के कारण वृध्दि दर धीमी होने से रही है। फसलोत्पादनमछलीपालन, खनन आदि में वृध्दि दर निर्धारित लक्ष्य 1.6 प्रतिशत के स्थान पर 1.0 प्रतिशत, विनिर्माण, बिजली और गैस उत्पादन क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्य 2.4 प्रतिशत के स्थान पर वृध्दि दर मात्र 1.2 प्रतिशत रही है । इस प्रकार 2004-05 की साधन लागत की कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी जो 2011-12 में 52.5 लाख करोड़ रुपए थी, वह 4.5 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज करके 54.8 लाख करोड़ हो सकी। यह  जीडीपी वृध्दि दर 2002-03  के बाद सबसे नीची मानी जा रही  है ।
     
केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के जहां पर 2012-13 के संशोधित अनुमानों में जीडीपी वृध्दि दर कमी की गई है, वहीं पर 2011-12 साल के संशोधित अनुमानों में  जीडीपी वृध्दि दर में 6.2 प्रतिशत की बजाय 6.7 प्रतिशत की वृध्दि दर रही है। 2010-11 में जीडीपी वृध्दि दर का अनुमान 9.3 प्रतिशत लगाया गया था, अन्तिम अनुमानों के अनुसार यह 8.9 प्रतिशत रही है । जहां तक चालू साल 2013-14 का सवाल है इसके पहले 9 महीनों में को सेक्टर का कार्यसंपादन बहुत धीमा रहा है ।  आठ बुनियादी उद्योगों जिनमें कोयला, पेट्रोलियम रिफाइनरी, इस्पात और सीमेंट आदि सरीखे उद्योग शामिल हैं, इनकी  वृध्दि दर 2.5 प्रतिशत रही है। उल्लेखनीय है कि इन उद्योगो का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 38 प्रतिशत योगदान है । दिसम्बर 2013 माह में प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफायनरी तथा कोला उत्पादन में कमी आई है । कहने का मतलब यह है कि संशोधित  अनुमानों में 2013-14 में भी कमी होने की संभावना है ।

2013-14 के आर्थिक सर्वेक्षण में वित्तीय साल 2012-13 के जीडीपी के प्रथम अनुमान, 2011-12 के द्वितीय अनुमान तथा 2010-11 के तृतीय अनुमान के आंकड़े प्रकाशित किए जाएंगे। इस प्रकार तीन-तीन संशोधित अनुमानों के जारी होने के कारण अगले तीन साल तक जीडीपी, राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े बदलते रहेंगे । साल 2012-13 की अर्थव्यवस्था के बारे में वास्तविक स्थिति के आंकड़े 2015-16 के प्रकाशनों में ही उपलब्ध हो पाएंगे । इस प्रकार राष्ट्रीय आय, जीडीपी व विकास दर के चालू साल के आंकड़े  वास्तविक उत्पदन के लेखा न होकर केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के अनुमान होते हैं ।

विश्व बैंक के अनुसार  2014 व आगे आनेवाले सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में मजबूती  आएगी । वैश्विक जीडीपी वृध्दि दर 2013 की 2.4 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 3.2 प्रतिशत तथा 2015 में 3.5 प्रतिशत हो जाने की संभावना है। विश्व बैंक के अनुसार भारत की 2014-15 में जीडीपी विकास दर 6.0 प्रतिशत से अधिक रहेगी तथा भारत की 12वीं पंचवर्षीय योजना के अतिम साल  2016-17 में 7.1 प्रतिशत पहुंच जाने का अनुमान है । क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार भारत की जीडीपी वृध्दि दर 2013-14 में 4.8 प्रतिशत तथा 2014-15 में 6.0 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है । अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के भी इसी प्रकार के अनुमान हैं। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन कार्यालय द्वारा 2013-14 के जीडीपी अनमान के आंकड़े 7 फ रवरी को जारी किए जाने की संभावना है ।

विश्व बैक द्वारा भारत की 2014-15 में जीडीपी 6.0 प्रतिशत की वृध्दि का अनमान वैश्विक वित्तीय कारको को ही ध्यान में रखकर लिया गया है । इसमें भारत में लोकसभा चुनावों के बाद की राजनैतिक-आर्थिक स्थितियों को ध्यान में नही रखा गया है । लोकसभा चुनाव में तीन राजनैतिक सम्भावनाएं हैं- पहला- कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन की सरकार, दूसरा- नरेन्द्रमोदी के नेतृत्व एनडीए गठबंधन की सरकार तथा तीसरा- क्षेत्रीय दलों का तीसरा मोर्चा। देशी विदेशी कार्पोरेट उद्योग व निवेशकों की पहली पसन्द कांग्रेस पार्टी है जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को और अधिक विस्तार करने का इरादा रखती है। कार्पोरेट जगत की दूसरी पसन्द भाजपा है । यद्यपि  भाजपा मल्टीब्रांड खुदरा बाजार, बीमा आदि में प्रत्यक्ष निवेश की विरोधी है तथा कांग्रेस के समान उदार नही है, किन्तु नरेन्द्र मोदी के त्वरित फै सले लेने व उनके विकास के नजरिये के कारण वे भारतीय  कारर्पोरेट जगत में व्यक्तिगत रूप में लोकप्रिय हैं । 27जनवरी  तक जितने भी चुनावी सर्वेक्षण हुए हैं, उनके अनुसार कांग्रेस नीत गठबंधन के तीसरे स्थान तथा भाजपा के दूसरे स्थान पर रहने की संभावनाएं बताई गई हैं । यदि क्षेत्रीय दलों का तीसरा मोर्चा सत्तारूढ़  होता है तो राजनैतिक अस्थिरता बनी रहेगी तथा उस सरकार से दीर्घकालीन विकासोन्मुखी नीतियों  तथा फैसलों की किसी को भी अपेक्षा नहीं है ।


इसी परिपेक्ष्य में भारतीय रिजर्व बैंक का 2014-15 में भारत की जीडीपी विकास दर 5.5 प्रतिशत का अनुमान अधिक वास्तविक दिखाई देता है।  हाल में हुए कुछ चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश तथा बिहार में भाजपा को लोकसभा की सबसे अधिक सीटें मिल सकती हैं तथा उसके सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की संभावनाएं हैं । यदि लोकसभा चुनाव के मतदान तक यही प्रवृत्ति बनी रही एवं वह सबसे बड़ी पाटी  के रूप में उभरी तो  भाजपा को तेलगू देशम सरीखे क्षेत्रीय दलों के रूप में सहयोगी मिल सकते हैं तथा वह सत्तारूढ़ हो सकती है । ऐसी स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में विश्व बैंक के अनुमान सही हो सकते हैं ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुल पेज दृश्य