हो सकता है एक दिन हमें मीठे पानी के
लिए समुद्र में कुएं खोदने पड़ें। वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रेलिया, चीन, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के तटों के पास समुद्र के नीचे
स्वच्छ जल के भंडारों का पता लगाया है। ये इतने बड़े हैं कि इनसे दुनिया को जल संकट
से निजात दिलाने में मदद मिल सकती है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन
रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में समुद्री तल के नीचे कई किलोमीटर तक फैले
क्षेत्र में करीब पांच लाख घन किलोमीटर पानी मौजूद है। वैज्ञानिकों का कहना है कि
यह पानी कम लवणता का है और इससे दुनिया के समुद्री तटों पर बसे शहरों को जल
आपूर्ति की जा सकती है। ऑस्ट्रेलिया की फलाइंडर्स युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ
एनवायरनमेंट के वैज्ञानिक डॉ. विंसेंट पोस्ट का मानना है कि इस पानी की मात्रा
पिछली एक सदी के दौरान जमीन से निकाले गए पानी से सौ गुना ज्यादा है।
समुद्र में इस पानी की खोज एक बड़ी खबर
है क्योंकि इससे कई दशकों तक दुनिया के कुछ इलाकों में पानी की मांग को पूरा किया
जा सकता है। समुद के नीचे स्वच्छ जल की मौजूदगी की बारे में भूजल वैज्ञानिकों को
पहले से कुछ जानकारी थी, लेकिन
उनका खयाल था कि इस तरह के जलाशय दुर्लभ हैं और कुछ खास स्थितियों में ही पाए जाते
हैं। नई रिसर्च से पता चलता है कि समुदी तल के नीचे इस तरह के जलाशय बड़ी मात्रा
में मौजूद हैं। समझा जाता है कि इन जलाशयों का निर्माण हजारों वर्षों के दौरान हुआ
है। शुरू-शुरू में औसत समुदी स्तर आज की तुलना में बहुत नीचे था और समुदी तट दूर
तक फैले हुए थे। बारिश का पानी जमीन में समा जाता था। समुद्री तटों की यह जमीन अब
समुद्र के नीचे है। ऐसा पूरी दुनिया में हुआ है। करीब 20,000 वर्ष पहले जब ध्रुवीय
टोपियां पिघलनी शुरू हुईं तो समुद्र का जल स्तर भी बढ़ने लगा। तब ये इलाके समुद्र
में डूब गए थे। आश्चर्यजनक बात यह है कि समुद्र के खारे पानी का इन जलाशयों पर कोई
असर नहीं हुआ है क्योंकि ये जलाशय मिट्टी की कई परतों से ढके हुए हैं।
डॉ.पोस्ट का कहना है कि इन समुद्री
जलाशयों का स्वरूप भूजल के सामान्य भंडारों जैसा ही है, जिन पर दुनिया की बहुत कुछ आपूर्ति
निर्भर है। समुद्री जलाशयों के पानी की लवणता बहुत कम है और उसे साफ पानी में बदला
जा सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम इस पानी का उपयोग कर सकते हैं और क्या यह
आर्थिक रूप से किफायती होगा? इस पानी को निकालने के दो तरीके हो सकते हैं। या तो हम समुद्र में
खुदाई करें या फिर मुख्य भूमि से खुदाई करें। समुद में खुदाई करना बहुत महंगा पड़
सकता है। इसके लिए पहले जलाशय के स्रोत का आकलन करना पड़ेगा और समुद्र के लवण रहित
पानी जैसे दूसरे जल स्रोतों की तुलना में उसकी लागत और पर्यावरण प्रभावों का
अध्ययन करना पड़ेगा। डॉ.पोस्ट का मानना है कि समुद्र के खारे पानी को लवण रहित करने
की सामान्य प्रक्रिया की तुलना में इस पानी को स्वच्छ जल में बदलने पर कम ऊर्जा
खर्च होगी।
दुनिया में स्वच्छ जल की आपूर्ति के
लिए बहुत दबाव है। तटों के आसपास नए जल स्रोत मिलने से हमारे सामने जल संकट से
निपटने के नए विकल्प मिल सकते हैं लेकिन जिन देशों के पास समुद्र में स्वच्छ जल के
भंडार मौजूद हैं उन्हें अपने समुद्री तल का प्रबंध बहुत ही सावधानी से करना पड़ेगा।
मसलन जहां कम लवणता वाला पानी मौजूद है वहां हमें यह ध्यान में रखना पड़ेगा कि यह
पानी किसी भी तरह से प्रदूषित नहीं हो पाए। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इन
जलाशयों का प्राकृतिक नवीकरण संभव नहीं है। एक बार खत्म होने पर इनकी भरपाई नहीं
हो पाएगी। समुद्री स्तर में बहुत ज्यादा गिरावट आने के बाद ही इन जलाशयों की भरपाई
हो सकती है और बहुत लबे समय तक ऐसा होने वाला नहीं है।
- मुकुल व्यास
-साभारः नवभारत टाइम्स
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