बुधवार, 1 जनवरी 2014

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की 2013 के दौरान उपलब्धियां

वर्ष 2013 के दौरान केन्द्रीय भू-विज्ञान मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-

केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा भू-विज्ञान मंत्री श्री एस. जयपाल रेड्डी ने नई दिल्ली में भारतीय मौसम-विज्ञान विभाग के 138वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में- मोबाइल पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम सेवाएं - योजना का उद्घाटन किया। भू-विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. शैलेश नायक, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के उप-महाप्रबंधक डॉ. एल.एस. राठौर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर मौजूद थे।

मौसम की स्थान विशिष्ट तात्कालिक सूचना

भू-विज्ञान मंत्रालय के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने देश भर में भू-प्रणाली विज्ञान संगठन के माध्यम से स्थान विशिष्ट तात्कालिक मौसम सेवाओं की शुरूआत की है। इसमें वैब-आधारित सूचनाएं हैं। इस सेवा योजना के अंतर्गत, जो इस समय 117 शहरी केन्द्रों में प्रयोग के तौर पर चलाई जा रही है, गरज के साथ छींटे पड़ने, भारी वर्षा, हवा के कम दबाव आदि के बारे में मौसम की तात्कालिक जानकारी दी जाती है। सभी संभव साधनों से मौसम की गंभीरता के मूल कारणों और परि‍वर्तन आदि‍ की जांच की जाती है। इसमें उपग्रह से वायु दवाब के बारे में प्राप्‍त सूचना, तापमान, नमी आदि‍ की जानकारी के आधार पर मौसम की भविष्‍यवाणी की जाती है। इससे मौसम की गहनता का अनुमान लगाकर चेतावनि‍यां दी जाती है।

भूवि‍ज्ञान और संबंद्ध वि‍षयों में अध्‍ययन के लि‍ए भारतीय अनुसंधानकर्ताओं से प्रस्‍ताव आमंत्रि‍त

भूवि‍ज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भू-प्रणाली वि‍ज्ञान संगठन ने राष्‍ट्रीय अनुसंधान संस्‍थानों, वि‍श्‍ववि‍द्यालयों और अन्‍य सरकारी संगठनों में काम करने वाले भारतीय अनुसंधानकर्ताओं से भूवि‍ज्ञान, भू-रसायन, पेट्रोग्राफी, जि‍योक्रोनोलॉजी, पालेओ-मैगनेटीज्म, हाइड्रो जि‍योओलॉजी और अन्‍य संबंद्ध वि‍षयों में गहन अध्‍ययन करने के लि‍ए प्रस्‍ताव आमंत्रि‍त कि‍ए हैं। महाराष्‍ट्र के कोयना वार्ना क्षेत्र में आरटीएस की प्रक्रि‍या को समझने के लि‍ए हैदराबाद के राष्‍ट्रीय भू-भौति‍की अनुसंधान संस्‍थान के साथ मि‍लकर भूवि‍ज्ञान मंत्रालय के भू-प्रणाली वि‍ज्ञान संगठन ने एक बड़ा वैज्ञानि‍क कार्यक्रम शुरू कि‍या है, जि‍सके संदर्भ में ये प्रस्‍ताव मांगे गए हैं। इस कार्यक्रम का मुख्‍य पहलु यह है कि‍ शुरू में कोयना में लगभग 1500 मीटर की गहराई पर चार बोरहोल खोदे जाएंगे। पहला बोरहोल खोदा जा चुका है और आगे का कार्य चल रहा है।  बोरहोल के तल से प्राप्‍त पदार्थों से कई प्रकार के वैज्ञानि‍क परीक्षण कि‍ए जाएंगे।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 2013 में दक्षिण-पश्‍चि‍मी मानसून की मौसमी वर्षा की भवि‍ष्‍यवाणी की

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भवि‍ष्‍यवाणी की थी कि‍ 2013 के दौरान देश में जून से सि‍तंबर तक 96-104 प्रति‍शत सामान्‍य दक्षिण-पश्‍चि‍मी मानसून की मौसमी वर्षा होगी। श्री जयपाल रेड्डी ने 25 अप्रैल 2013 को एक संवाददाता सम्‍मेलन में इसकी घोषणा की थी। यह भवि‍ष्‍यवाणी सही नि‍कली।
एल. एस. राठौर वि‍श्‍व मौसम वि‍ज्ञान संगठन के सदस्‍य चुने गए

मौसम विज्ञान के उप-महाप्रबंधक और वि‍श्‍व मौसम वि‍ज्ञान संगठन में भारत के स्‍थायी प्रति‍नि‍धि‍ डॉ. लक्ष्‍मण सिंह राठौर संगठन की कार्यकारी परि‍षद की 65वीं बैठक में परि‍षद के सदस्‍य चुने गए। डॉ. लक्ष्‍मण सिंह राठौर अंतर-सरकारी बोर्ड के सह- उपाध्‍यक्ष चुने गए।

डॉ. लक्ष्‍मण सिंह राठौर मौसम सेवाओं के अंतर-सरकारी बोर्ड के सह- उपाध्‍यक्ष चुने गए

मौसम विज्ञान के उप-महाप्रबंधक और वि‍श्‍व मौसम वि‍ज्ञान संगठन में भारत के स्‍थायी प्रति‍नि‍धि‍ डॉ. लक्ष्‍मण सिंह राठौर को 1-5 जुलाई 2013 तक जेनेवा में हुई मौसम सेवाओं के अंतर-सरकारी बोर्ड की पहली बैठक में इसका सह-उपाध्‍यक्ष चुना गया। वे हाल में वि‍श्‍व मौसम वि‍ज्ञान संगठन की कार्यकारी परि‍षद के सदस्‍य भी चुने गए थे। इससे पहले उन्‍होंने कृषि‍ मौसम वि‍ज्ञान आयोग के उपाध्‍यक्ष के रूप में काम कि‍या। नार्वे मौसम वि‍ज्ञान संस्‍थान के महानि‍देशक एंटन एलि‍यासन अंतर-सरकारी बोर्ड के अध्‍यक्ष चुने गए हैं और दक्षि‍ण अफ्रीका के डॉ. लिंडा माकुलेनी इसके दूसरे सह अध्‍यक्ष हैं।

डॉ. राठौर की नि‍युक्‍ति‍ से भारत जलवायु सेवा के ग्‍लोबल फ्रेमवर्क में महत्‍वपूर्ण भूमि‍का नि‍भा सकेगा। भारत वि‍कासशील देशों के हि‍तों को आगे बढ़ाता रहा है। ग्‍लोबल फ्रेमवर्क का गठन तीसरे वि‍श्‍व जलवायु सम्‍मेलन के बाद हुआ था। इसका उद्देश्‍य मौसम में परि‍वर्तन के खतरों से नि‍पटने के बेहतर प्रबंधन के लि‍ए राष्‍ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्‍वि‍क स्‍तर पर वि‍ज्ञान आधारि‍त जलवायु सूचना और भवि‍ष्‍यवाणी को आयोजना, नीति‍ और कार्यक्रमों में शामि‍ल करना था। ग्‍लोबल फ्रेमवर्क के प्राथमि‍कता वाले चार क्षेत्र हैं- कृषि‍ और खाद्य सुरक्षा, आपदा जोखि‍म में कमी, स्‍वास्‍थ्‍य और जल।

फेलि‍न चक्रवात के बारे में भविष्‍यवाणी


भारतीय मौसम वि‍ज्ञान वि‍भाग में अक्‍टूबर 2013 में  बंगाल की खाड़ी में उठ रहे फेलि‍न चक्रवाती तूफान के बारे में समय-पूर्व स्‍पष्‍ट भवि‍ष्‍यवाणी की थी, जि‍ससे ओडि‍शा और आंध्रप्रदेश के तटवर्ती क्षेत्रों में लाखों लोगों का जीवन बचाने में सहायता मि‍ली।

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