वर्ष 2013 के दौरान केन्द्रीय पृथ्वी
विज्ञान मंत्रालय द्वारा की गई पहल की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:-
अंतरिक्ष मिशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
ने 12वी पंचवर्षीय योजना, 2012-17 के दौरान 58 अंतरिक्ष मिशनों के संचालन की योजना प्रस्तुत
की हैं। तदनुसार, अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बजट योजना
में 12वी पंचवर्षीय योजना की अवधि में अनंतिम रूप से 39,750 करोड़ रुपये के योजना
परिव्यय की व्यवस्था की गई है। चालू वर्ष 2012-13 के दौरान 5,615 करोड़ रुपये
की राशि आबंटित की गर्इ।
श्री वी.नारायणसामी ने बेंगलुरू के
नजदीक इसरो नौवहन केन्द्र का उद्घाटन किया
इसरो नौवहन केन्द्र की बयालालू में
भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क (आईडीएसएन) के परिसर में स्थापना की गई है। यह
बेंगलुरू से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है। इसरो नौवहन केन्द्र का उद्घाटन 28
मई को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री श्री वी.नारायणसामी ने किया। यह
केन्द्र भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) का महत्वपूर्ण
हिस्सा है। यह एक स्वतंत्र नौवहन उपग्रह प्रणाली है, जिसे भारत द्वारा विकसित किया जा रहा
है।
जीसैट-15 संचार उपग्रह और प्रक्षेपण
सुविधाएं
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 जून, 2013 को प्रक्षेपण सेवाओं तथा बीमा
सहित जीसैट-15 संचार उपग्रह परियोजना के एवं प्रक्षेपण सेवाओं तथा बीमा के प्रस्ताव
को मंजूरी दी।
आकस्मिक स्थितियों का सामना करने तथा
वर्तमान उपयोगकर्ताओं की सेवाओं की रक्षा करने के लिए अंतरिक्ष कक्षा में अतिरिक्त
सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से जीसैट-15 का निर्माण इसरो के प्रयासों का एक
भाग रहा है। उपग्रह से अपेक्षित क्षमता प्राप्त होगी, क्यू बैण्ड क्षमता में बढ़ोतरी होगी
और कक्षा में जीवन गतिविधियों को सुरक्षा मिलेगी। इससे देश में नागरिक उड्डयन
सेवाओं को भी लाभ मिलेगा। 9 परिचालित इनसैट\जीसैट
उपग्रह इस समय करीब 195 ट्रांसपोंडरों को विभिन्न फ्रिक्वेंसी बैण्ड उपलब्ध
करा रहे हैं। जीसैट-15 उपग्रह समस्त भारतीय मुख्य भूमि को कवर करेगा। सभी हेरिटेज
सिद्ध बस प्रणालियों का उपयोग 18 माह में उपग्रह का निर्माण करने में किया जायेगा।
यह उपग्रह जीसैट-8 जैसा होगा। प्रक्षेपण सेवाओं समेत परियोजना की कुल
लागत 859.5 करोड़ रुपये है।
जीसैट-16 संचार उपग्रह और प्रक्षेपण
सेवाएं
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 28 जून, 2013 को प्रक्षेपण सेवाओं तथा बीमा
सहित जीसैट-16 संचार उपग्रह परियोजना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।
यह परियोजना आकस्मिक आवश्यकताओं की
पूर्ति करेगी और वर्तमान उपयोगकर्ताओं की सेवाओं की सुरक्षा करेगी तथा देश में
वर्तमान दूरसंचार, टेलीविजन, वीसैट एवं अन्य उपग्रह आधारित सेवाओं
को बढ़ावा देगी। नौ परिचालित इनसैट/जीसैट उपग्रह
करीब 195 ट्रांसपोडरों को फिलहाल विभिन्न फ्रिक्वेंसी बैंड मुहैया करा रहे हैं। सभी हेरिटेज सिद्ध
बस प्रणालियों का उपयोग 24 माह में उपग्रह का निर्माण करने में किया जायेगा। यह
उपग्रह जीसैट-10 जैसा होगा। प्रक्षेपण सेवाओं समेत परियोजना की कुल
लागत 865.50 करोड़ रुपये है।
कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान
में प्रोफेसर सतीश धवन अधिछात्रवृत्ति
अंतरिक्ष विभाग/भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन ने प्रोफेसर सतीश धवन के सम्मान में कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी
संस्थान, अमरीका की ग्रेजुएट ऐरोस्पेस
लैब्रॉरटिज में अधिछात्रवृत्ति की शुरूआत की है। प्रो. सतीश धवन भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन की प्रारंभिक अवधि में 1972 से 1984 तक इसके अध्यक्ष थे।
इस अधिछात्रवृत्ति का उद्देश्य भारतीय
अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरूवनन्तपुरम
के अंतरिक्ष विभाग के एक प्रतिभाशाली स्नातक विद्यार्थी को हर साल अकादमी वर्ष
2013-14 के शीतकालीन सत्र से कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान में अंतरिक्ष
इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के लिए एक उत्कृष्ट अवसर
प्रदान करना था।
भारत के उन्नत मौसम उपग्रह इनसैट-3डी
का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
26 जुलाई, 2013 को भारत के मौसम उपग्रह इनसैट-3डी
का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। इसे एरियाने-5 (वीए214) प्रक्षेपण यान
द्वारा कोउरू, फ्रैंच गुयाना से प्रक्षेपण किया गया।
इसमें उत्कृष्ट मौसम निगरानी प्रणाली का समावेश है। कार्यक्रम के अनुसार इसे सही
समय पर सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
इसरो द्वारा भारत के पहले नौवहन उपग्रह
आईआरएनएसएस-1ए का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
आईआरएनएसएस-1ए को 02 जुलाई, 2013 की सुबह सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण किया गया। यह
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) है। यह पीएसएलवी का 23वां
लगातार सफल मिशन रहा। इस मिशन के लिए 'XL' समाकृति के पीएसएलवी यान का उपयोग किया
गया। इससे पहले इसी आकृति के प्रक्षेपण
यान का उपयोग चन्द्रयान-1, जीसैट-12
और रीसैट-1 उपग्रहों के प्रक्षेपण में किया गया था।
भारत के उन्नत संचार उपग्रह -7 का
सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
भारत के उन्नत मल्टीबैंड संचार
उपग्रह जीसैट-7 को 30 अगस्त, 2013
को सुबह कोउरू, फ्रैंच गुयाना से एरियाने स्पेस के
प्रक्षेपण यान एरियने-5 से प्रक्षेपण किया गया।
इनसैट-3डी उपग्रह का भू-समकक्ष कक्षा
में सफल स्थापन
भारत के उन्नत मौसम उपग्रह इनसैट-3डी
को 26 जुलाई, 2013 को कोउरू, फ्रैंच गुयाना से प्रक्षेपण
सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।
जीसैट-7 ट्रांसपोडरों का सफलतापूर्वक
संचालन
भारत के उन्नत मल्टीबैंड संचार उपगह
जीसैट-7 के सभी 11 संचार ट्रांसपोडरों को (यूएचएफ, एस, सी एवं क्यू-बैंड में परिचालित)
सफलतापूर्वक संचालित किया गया और इन्होंने सामान्य तौर पर कार्य किया। जीसैट-7
सही तरह से अपनी निर्धारित स्थिति में पहुंच गया।
जीसैट-7 उपग्रह भू-समकक्ष कक्षा में स्थापित
30 अगस्त, 2013 को कोउरू, फ्रैंच गुयाना से लांच किए गये भारत के
उन्नत मल्टी-बैंड संचार उपग्रह जीसैट-7 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया और
तीन बार ऊंचाई बढ़ाने की प्रक्रिया के बाद यह 03 सितम्बर, 2013 की सुबह को भूतल से करीब 36,000
किलोमीटर की ऊंचाई पर भू-समकक्ष कक्षा में स्थापित हो गया।
सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण यान की
असेम्बली के लिए दूसरा भवन
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 12 सितम्बर, 2013 को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण यान की
असेम्बली के लिए दूसरे भवन के निर्माण की मंजूरी दी। इस पर 363.95 करोड़ रुपये की
अनुमानित लागत आएगी, जिसमें सात करोड़ रुपये का खर्च विदेशी
मुद्रा में होगा।
इस दूसरी बिल्डिंग के उपलब्ध हो जाने
से पीएसएलवी और जीएसएलवी की प्रक्षेपण फ्रीक्वेंसी बढ़ेगी। यह जीएसएलवी एमके-III के एकीकरण के लिए वर्तमान व्हीकल
असेम्बली बिल्डिंग को अतिरिक्त सुविधा मुहैया करायेगी । तीसरे प्रक्षेपण पैड तथा
भविष्य में सामान्य यान प्रक्षेपण के लिए भी इससे काफी सुविधा मिलेगी।
मंगलग्रह मिशन का सफलतापूर्वक संचालन
इसरो ने 5 नवम्बर 2013 को सतीश धवन
अंतरिक्ष केन्द्र, श्री हरिकोटा से मंगलग्रह मिशन को
सफलतापूर्वक संचालित किया।
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