बुधवार, 22 जनवरी 2014

काला धन एक परिचर्चा

भ्रष्टाचार देश की जड़ों को खोखला कर रहा है। भ्रष्टाचार के अनेक रूप हैं लेकिन काला धन इसका सबसे भयावह चेहरा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है। एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटीके अनुसार भारत के लोगों का लगभग 20 लाख 85 हजार करोड़ रूपए विदेशी बैंकों में जमा है। देश में काले धन की समानांतर व्यवस्था चल रही है। चूंकि इस धन पर टैक्स प्राप्त नहीं होता है इसलिए सरकार अप्रत्यक्ष कर में बढ़ोतरी करती है, जिसके चलते नागरिकों पर महंगाई समेत तमाम तरह के बोझ पड़ते हैं।

अपनी कमाई के बारे में वास्तविक विवरण न देकर तथा कर की चोरी कर जो धन अर्जित किया जाता है, वह काला धन कहा जाता है। विदेशी बैंकों में यह धन जमा करने वाले लोगों में देश के बड़े-बड़े नेता, प्रशासनिक अधिकारी और उद्योगपति शामिल हैं। विदेशी बैंकों में भारत का कितना काला धन जमा है, इस बात के अभी तक कोई अधिकारिक आंकड़े सरकार के पास मौजूद नहीं हैं लेकिन स्विटजरलैंड के स्विस बैंक में खाता खोलने के लिए न्यूनतम जमा राशि 50 करोड़ रुपये बताई जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमाधन की राशि कितनी विशाल होगी। स्विस राजदूत ने माना है कि भारत से काफी पैसा स्विस बैंकों में आ रहा है। कुछ महीनों पहले स्विस बैंक एसोसिएशन ने भी यह कहा था कि गोपनीय खातों में भारत के लोगों की 1,456 अरब डॉलर की राशि जमा है।

स्विटजरलैंड में बैंकों के खातों संबंधी कानून बेहद कड़े हैं और लोगों को पूरी गोपनीयता दी जाती है। इन कानूनों के तहत बैंक और बैंककर्मी किसी भी खातें की जानकारी खाताधारक के सिवा किसी और को नहीं दे सकते। यहां तक की स्विटजरलैंड की सरकार भी इन खातों की जानकारी हासिल नहीं कर सकती। यही नहीं स्विस बैंकों में विदेशी लोगों के लिए खाता खोलना भी बेहद आसान है। खाता खोलने की एकमात्र जरूरत सिर्फ यह है कि आपकी उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। यही नहीं खाता खोलने के लिए स्विटजरलैंड पहुंचने की भी कोई जरूरत नहीं है ईमेल और फैक्स पर जानकारी देकर भी खाता खुलवाया जा सकता है।


काले धन का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी इस ओर इशारा किया है कि विदेशों में जमा काला धन ही आतंकियों को वित्तीय मदद के रूप में भारत में आता है।

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