25 जनवरी का दिन राष्ट्रीय मतदाता
दिवस (एनवीडी) के रूप में मनाया जाता है। यह वही दिन है जब हमारे देश के संविधान
निर्माताओं ने देश के नागरिकों को ‘भारत का चुनाव आयोग’ प्रदान किया था और इस आयोग को चुनाव पर निगरानी रखने, निर्देश देने तथा नियंत्रण रखने का
दायित्व सौंपा गया है। यह आयोग भारतीयों को स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा विश्वसनीय चुनाव कराने
के लिए प्रतिबद्ध है। किन्तु लोकतंत्र को
सार्थक बनाने के लिए निर्वाचन की प्रक्रिया में लोगों की अधिकतम भागीदारी परम आवश्यक
है।
चुनाव के संचालन में चुनाव सूची में
दर्ज प्रत्येक भारतीय का यह दायित्व है कि वह सुरक्षित रूप से मतदान करें। इसके
अलावा चुनावों में नागरिकों का भाग लेना सुनिश्चित करना लोकतंत्र की शक्ति का सूचक
है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस की परिकल्पना के पीछे यही भावना रही है कि मतदाता, विशेषकर नये पात्र मतदाताओं के पंजीकरण
की संख्या में बढ़ोतरी हो, जिससे मतदाता की वयस्कता को संपूर्ण आयाम मिल सके। राष्ट्रीय मतदान
दिवस लोगों के बीच जाने को लेकर केन्द्रित है और उन कारणों का अध्ययन करने के लिए
लालायित हैं कि इस प्रक्रिया से लोग क्यों छूट जाते हैं और इस भाव को समझाने में
मदद करना कि जब तक प्रत्येक भारतीय मतदान
प्रक्रिया में भाग नहीं लेता, हमारा लोकतंत्र अधूरा कहा जाएगा। इस दिन को हम चुनाव प्रक्रिया में
प्रभावी सहभागिता के संबंध में लोगों को जागृत करने के लिए भी उपयोग में लाते हैं।
इस दिन नये मतदाताओं द्वारा ली जाने वाली शपथ हमारे स्वयं के प्रति, राष्ट्र के प्रति तथा लोकतंत्र के
प्रति हमारे विश्वास को सम्पुष्ट करती है।
अब तक भारत का चुनाव आयोग लोकसभा के 15
आम चुनाव तथा अनेक बार राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव संपन्न करा चुका है, इससे शांति-पूर्ण व्यवस्थित तथा सत्ता
का प्रजातांत्रिक हस्तांतरण सुनिश्चित हो पाया है। इस सूची में राज्यसभा तथा
राज्य विधान परिषदों के शीर्षस्थ संवैधानिक पदों पर चुनाव भी शामिल हैं। स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के
अपने प्रयासों में आयोग ने अपनी विश्वसनीयता को पूरी ताकत के साथ कायम रखा है और
साथ ही सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक पात्र भारतीय का वोट मायने रखता है। अब इस
वर्ष अगले लोकसभा चुनाव कराने की नई चुनौती चुनाव आयोग के सामने हैं, जहां युवा, शिक्षित, तकनीकी ज्ञान से ओतप्रोत नेतृत्व एवं युवा मतदाताओं से अनुसमर्थित
नये राजनीतिक मोर्चों का अभ्युदय हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस बार 149.36
मिलियन मतदाता प्रथम बार वोट पाने का अधिकार लिए हुए हैं। इसका यह अर्थ हुआ कि 725
मिलियन वोटरों के 20 प्रतिशत से ज्यादा वोटर 2014 में मतदान के पात्र होंगे। पहली
बार वोटरों की कुल संख्या मई 2014 तक करीब 160 मिलियन (2011 में हुई जनगणना) हो
जाएगी। विश्वभर में चुनाव प्रबंधन की व्यापक प्रक्रिया को देखते हुए चुनाव आयोग
कतिपय वर्गों के बीच मतदान के प्रति उदासीनता के निराशाजनक वर्तमान स्तर के प्रति
देश के नागरिकों,
विशेषकर
युवाओं से यह अपेक्षा करता है कि वे अपनी अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित करें।
विशेषकर, आयोग ने यह पाया है कि वर्ष दर वर्ष
चुनाव सूची में नये वोटरों (आयु 18 प्लस) के नाम लुप्त पाये जा रहे हैं। कुछ
मामलों में तो इनके पंजीकरण का स्तर 20 से 25 प्रतिशत तक के निम्न स्तर पर हैं।
इस समस्या से प्रभावी तौर से निपटने
के लिए आयोग ने देश के 8.5 लाख मतदान केन्द्र के हर क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष 1
जनवरी को 18 साल की आयु प्राप्त करने वाले सभी पात्र मतदाताओं की पहचान करने की
एक सशक्त पहल की है। पंजीकरण के अलावा नये मतदाताओं को एक शपथ भी दिलाई जाती है।
जो इस प्रकार से है :- ‘हम, भारत के नागरिकों का लोकतंत्र में
अप्रतिम विश्वास है। मैं अपने देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं और चुनाव के स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण गरिमा को
बनाये रखने की शपथ लेता हूं और प्रत्येक चुनाव में धर्म, रंग, जाति, समुदाय, भाषा या किसी प्रकार के प्रलोभन से
प्रभावित हुए बिना भय के मतदान करूंगा।’ इसके अलावा नये मतदाताओं को उनके ईपीआईसी के साथ समारोह के दौरान एक
बिल्ला दिया जाता है, जिस
पर नारा लिखा होता है:- मुझे मतदाता होने का गर्व है- मैं मतदान के लिए तैयार हूं।
यह प्रक्रिया युवाओं को नागरिकता, सशक्तिकरण, प्रतिष्ठा
और भागीदारी का आत्मबोध कराएगी और जब मौका आएगा तो उन्हें मताधिकार का प्रयोग
करने के लिए भी प्रेरित करेगी।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस का उद्देश्य
देश भर में विशेष अभियान के जरिए नये पात्र मतदाता (18+) तक पहुंचना और उनका नाम
मतदाता सूची में दर्ज कराना भी है। आयोग समय-समय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित
प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश देता रहता है कि 18 वर्ष की आयु
को प्राप्त करने वाले प्रत्येक युवा का नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाए। आयोग
विशेष रूप से इस तथ्य पर जोर देता रहा है कि देश की अधिक से अधिक महिलाओं को अपना
नाम पंजीकृत कराने की आवश्यकता है। महिलाओं की पर्याप्त अनुपात में सहभागिता के
बगैर भारत का लोकतंत्र अधूरा रह जाएगा।
हम राष्ट्रीय मतदाता दिवस के माध्यम से
अपनी मतदाता सूची के व्यापक अंतर को कुछ हद तक पाटने में समर्थ हुए हैं और नए
पात्र मतदाताओं का पंजीकरण कराया गया है। यह सब हमारे प्रशंसनीय प्रयासों तथा बूथ
स्तर अधिकारी से लेकर मुख्य चुनाव अधिकारी के सतत कड़े परिश्रम और एसवीईईपी अभियान
से सम्पन्न हो पाया है, जो
व्यवस्थित वोटर शिक्षा व निर्वाचन सहभागिता का परिचायक है। भारत के चुनाव आयोग ने
हमारे एसवीईईपी के अंतर्गत शुरू किए गए विभिन्न अभियानों, जानकारी के प्रचार-प्रसार, मतदाताओं को प्रोत्साहित करने एवं उनकी
सहभागिता सुनिश्चित करके अनेक उपाय किए हैं। युवाओं के प्रेरणा स्रोत अर्थात भारत
के पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारतीय क्रिकेट टीम के श्री एम.
एस. धोनी और विराट कोहली, ओलंपिक मेडल विजेता कुमारी साइना नेहवाल, कुमारी एम. सी. मारी की पात्र वोटरों
को अपना पंजीकरण कराने की अपील को इस अभियान में उपयोग में लाया गया है।
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