स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीआरएच) ने
छेड़छाड़ पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक मदद देने के लिए दिशा–निर्देश 8 जनवरी 2014 को जारी किए. इन
दिशा–निर्देशों का उद्देश्य जुल्म के शिकार
लोगों को उनकी समस्या से उबारना है.
दिशा–निर्देश जारी किए जाने के कारण
- छेड़छाड के शिकार लोग अक्सर परिवार, दोस्तों और समाज की दूसरी संस्थाओं के सहयोग के अभाव के कारण मानसिक पीड़ा से ग्रस्त होते हैं.
- पीड़ितों को उनके कानूनी और चिकित्सकीय विकल्प के बारे में कम पता होता है.
- आमदनी की कमी, न्यायपालिका, अस्पतालों और अदालतों का कथित असंवेदनशील रवैया उनकी तकलीफ को और बढ़ा देता है.
- न्याय मिलने में होने वाली देरी उन्हें अपनी समस्या दूसरों को बताने और इंसाफ की तलाश से दूर ले जाती है.
दिशानिर्देश के मुख्य प्रावधान
- परामर्शदाताओं के लिए अब यह अनिवार्य कर दिया गया है वे पीड़ित को न्यायलय या अन्य कार्यवाही में पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नों के बारे में पहले ही बता दें.
- पीड़ित को चिकित्सकीय परीक्षण, प्रक्रिया के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए.
- डॉक्टरों/ नर्सों/ सलाहकारों को पीड़ित को उसके केस और मौजूद विकल्पों के बारे स्पष्ट और सटीक जानकारी देनी चाहिए.
- पीड़ित द्वारा विकल्प के चुने जाने के बाद भी, सलाहकारों/ डॉक्टरों को अपना रवैया सहयोगात्मक और गैर– अनुमानित ही रखना चाहिए.
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