शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

छेड़छाड़ पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक मदद देने हेतु स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जारी

स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीआरएच) ने छेड़छाड़ पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक मदद देने के लिए दिशानिर्देश 8 जनवरी 2014 को जारी किए. इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य जुल्म के शिकार लोगों को उनकी समस्या से उबारना है.

दिशानिर्देश जारी किए जाने के कारण

  • छेड़छाड के शिकार लोग अक्सर परिवार, दोस्तों और समाज की दूसरी संस्थाओं के सहयोग के अभाव के कारण मानसिक पीड़ा से ग्रस्त होते हैं.
  • पीड़ितों को उनके कानूनी और चिकित्सकीय विकल्प के बारे में कम पता होता है.
  • आमदनी की कमी, न्यायपालिका, अस्पतालों और अदालतों का कथित असंवेदनशील रवैया उनकी तकलीफ को और बढ़ा देता है.
  • न्याय मिलने में होने वाली देरी उन्हें अपनी समस्या दूसरों को बताने और इंसाफ की तलाश से दूर ले जाती है.


दिशानिर्देश के मुख्य प्रावधान 

  • परामर्शदाताओं के लिए अब यह अनिवार्य कर दिया गया है वे पीड़ित को न्यायलय या अन्य कार्यवाही में पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नों के बारे में पहले ही बता दें.
  • पीड़ित को चिकित्सकीय परीक्षण, प्रक्रिया के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए.
  • डॉक्टरों/ नर्सों/ सलाहकारों को पीड़ित को उसके केस और मौजूद विकल्पों के बारे स्पष्ट और सटीक जानकारी देनी चाहिए.
  • पीड़ित द्वारा विकल्प के चुने जाने के बाद भी, सलाहकारों/ डॉक्टरों को अपना रवैया सहयोगात्मक और गैरअनुमानित ही रखना चाहिए.

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