वर्ष 2013 में परमाणु ऊर्जा विभाग
द्वारा किए गए प्रयासों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी)
ने विकिरण सुरक्षा निदेशालय गठित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार तथा ओडिशा सरकार
के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी)
ने राज्य स्तर पर विकिरण सुरक्षा निदेशालय गठित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार
तथा ओडिशा सरकार के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसका उद्देश्य चिकित्सा
जांच एक्स–रे सुविधाओं पर विनियामक नियंत्रण को
मज़बूत करना है। इस संबंध में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए जिसमें सबसे पहले
18 जनवरी 2013 को महाराष्ट्र सरकार के लोक स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव
तथा संबंधित राज्यों में विकिरण सुरक्षा निदेशालय गठित करने के लिए, दूसरा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
विभाग के मुख्य सचिव के साथ किया गया।
इसके साथ ही एईआरबी ने कुल 10 राज्यों
( केरल, मिज़ोरम, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और ओडिशा) के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं
जिसमें से केरल और मिज़ोरम में विकिरण सुरक्षा निदेशालय पहले से ही कार्य कर रहा
है। उत्तर प्रदेश, बिहार
और आंध्र प्रदेश की सरकारें भी जल्द ही इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगी।
नाभिकीय विज्ञान में अनुसंधान
परमाणु ऊर्जा विभाग नाभिकीय विज्ञान, अभियंत्रिकी और उन्नत गणित के क्षेत्र
में अनुसंधान और विकास कार्य कर रहा है।
अनुसंधान केंद्रों, विभाग
के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत सहायता प्राप्त संस्थानों तथा नाभिकीय विज्ञान
अनुसंधान बोर्ड (बीआरएनएस) की अतिरिक्त सहायता के ज़रिए अनुसंधान और विकास संबंधी
गतिविधियां की जाती हैं। विभाग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में नाभिकीय ऊर्जा में
अनुसंधान पर ज़ोर देते हुए परियोजनाएं बनाई हैं। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17)
में अनुसंधान और विकास क्षेत्र पर व्यय
के लिए 19,740 करोड़ रूपए उपलब्ध कराए गए हैं। पिछले तीन साल में नाभिकीय विज्ञान
में अनुसंधान और विकास कार्य के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है
जो कि इस प्रकार है:
2010-11: 1817.07 करोड़ (वास्तविक
व्यय)
2011-12: 2512.63 करोड़ (वास्तविक
व्यय)
2012-13: 2940.90 करोड़ (स्वीकृत
योजना खर्च)
परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी)
की नाभिकीय और विकिरण सुरक्षा नीति
एईआरबी गठित करने संबंधी 15 नवंबर 1983
को राष्ट्रपति के आदेशों के अनुरूप एईआरबी के कार्यों में धारा 2(i) के अनुसार विकिरण और औद्योगिक सुरक्षा
क्षेत्रों में सुरक्षा नीतियों का विकास, तथा
इसके अतिरिक्त 2 (iv) के अनुसार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) और अन्य
अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा सुझाए गए सुरक्षा मानदंड पर आधारित मुख्य सुरक्षा
नीतियों का विकास जिसे भारतीय स्थितियों के अनुरूप अपनाया जा सके, शामिल है। तदानुसार, एईआरबी द्वारा विनियमित की जाने वानी
सुरक्षा नीतियों को एईआरबी के उच्च स्तरीय दस्तावेज़ों, परमाणु ऊर्जा (विकिरण संरक्षण) नियम, 2004, मिशन स्टेटमेंट और एईआरबी के विभिन्न नियामवली में शामिल किया गया
है। इन दस्तावेज़ों में उपयुक्त गतिविधि/ क्षेत्र पर लागू होने वाली नीतियों, सिद्धांतों तथा/या सुरक्षा उद्देश्यों
के साथ इन्हें पूरा करने के लिए विशेष विनियामक आवश्यकताओं को शामिल किया गया
है।
यह सिद्धांत और उद्देश्य देश में
नाभिकीय सुरक्षा के लिए एईआरबी की व्यापक नीति को दर्शाते हैं। एईआरबी पहले ही
141 विनियामक दस्तावेज़ों को प्रकाशित कर चुका है। विशेष विनियामक दस्तावेज़
बनाने को प्राथमिकता देने के संबंध में एईआरबी का दृष्टिकोण गतिशील और अविरत है।
27 शेष दस्तोवेज़ों को एईआरबी द्वारा स्थापित विकास ढांचा संबंधी दस्तावेज़ में
शामिल किया गया है।
कुडनकुलम इकाई-1 से बिजली उत्पादन
कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना
(केकेएनपीपी) की पहली इकाई 22 अक्तूबर 2013 को चालू हो गई और इससे अब 160 मेगावॉट
बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य
मंत्री श्री वी. नारायण सामी ने नई दिल्ली में दी। उन्होंने कहा कि इसे विभिन्न
चरणों में 500 मेगावॉट, 750
मेगावॉट और फिर 1000 मेगावॉट तक बढ़ाया जाएगा। इसके लिए हर चरण में विभिन्न
परीक्षण किए गए और तकनीकी मानदंडों को जांचा गया है। प्रत्येक चरण में इन
परीक्षणों के आधार पर तथा परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) द्वारा मंज़ूरी
मिलने पर आगे के चरणों के लिए कार्य किया गया है।
कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना की
इकाई-1 से 1000 मेगावॉट बिजली के उत्पादन के साथ ही देश में इस तरह से पैदा होने
वाली बिजली का योगदान 4780 मेगावॉट से बढ़कर 5780 मेगावॉट हो जाएगा।
कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना इकाई-1
देश के पावर ग्रिड से जुड़ने वाला न्यूकलियर पावर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
(एनपीसीआईएल) का 20वां परमाणु बिजली घर है।
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