गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

भारत में पेयजल, साफ सफाई, स्‍वास्‍थ्‍य और आवासीय स्थिति के मुख्‍य संकेतक

सांख्यिकी एक कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के तहत राष्‍टीय सैंपल सर्वे कार्यालय एन एस एस ओ जुलाई 2012 से दिसंबर 2012 के दौरान अपने 69वें दौर के सर्वेक्षण में भारत की पेयजल साफ-सफाई, स्‍वास्‍थ्‍य और आवासीय स्थिति के बारे में एकत्रि‍त आंकड़ो से प्राप्‍त मुख्‍य संकेतकों को जारी किया। इसमें से कुछ विषयों को एन एस एस ने (जुलाई 2008 से जून 2009) अपने 65वें दौर में कवर किया था।

मानव की भौतिक आवश्‍यकता आवास है। आवास की जरूरतों के साथ साथ आवासीय संबंधी अन्‍य सुविधाओं की आवश्‍यकता  होती है यानि मकान, पेयजल, साफ-सफाई, स्‍वास्‍थ्‍य आदि, जो कि आबादी के संपूर्ण जीवन की गुणवत्‍ता का महत्‍वपूर्ण घटक है। पेयजल, साफ-सफाई, स्‍वास्‍थ्‍य और आवासीय स्थिति के बारे में जानकारी एकत्रित करने का मकसद, भारतीय आबादी के लिए बेहतर और स्‍वस्‍थ जीवन के वास्‍ते आवश्‍यक रहन सहन के विभिन्‍न पहलुओं  और स्थिति का जायजा लेने की खातिर उचित संकेतकों को विकसित किया जा सके। सर्वेक्ष्‍ाण में पेयजल के बारे में एकत्रित सूचना में (1) पेयजल का स्रोत और पर्याप्‍तता (2) पेयजल के स्रोत से दूरी (3) पेयजल की गुणवत्‍ता को शामिल किया गया है। साफ-सफाई के बारे में अनेक प्रासंगिक सूचनाएं हैं जिसमें (1) स्‍नानगृह की उपलब्‍धता (2) शौचालय की उपलब्‍धता और इसकी किस्‍म शामिल है। मकान क आस-पास के सूक्ष्‍म पर्यावरण के बारे में कुछ जानकारियों जैसे कूड़ा करकट की निकासी, नाली व्‍यवस्‍था, मक्खियों और मच्‍छरों की समस्‍या, बिजली की उपलबधता को एकत्रित किया गया है। आवासीय स्थिति के बारे में अन्‍य प्रासंगिक सूचनाओं में मकान की आयु, मकान की स्थिति, मकान की किस्‍म और मकान का फ्लोर एरिया आदि को शामिल किया गया था।

सर्वेक्षण में संपूर्ण भारतीय संघ को कवर किया गया। सर्वेक्षण का मुख्‍य परिणाम भारत के सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैले ग्रामीण क्षेत्र में 4475 गांवों और 3,522 शहरी ब्‍लाकों पर आधारित है। कुल 95,548 परि‍वारों का सर्वेक्षण किया गया था जिसमें 53,393 ग्रामीण और 42,155 शहरी क्षेत्र के परिवार शामिल हैं।

वर्ष 2012 के दौरान भारत के पेयजल, साफ-सफाई, स्‍वास्‍थ्‍य और आवासीय स्थिति के बारे में सर्वेक्षण के कुछ मुख्‍य निष्‍कर्ष परिणाम इस प्रकार से हैं:

  • ग्रामीण भारत में करीब 88.5 प्रतिशत परिवारों का पेयजल के स्रोत में सुधार हुआ जबकि यह आंकड़ा शहरी भारत में 95.3 प्रतिशत रहा 
  • 85.8 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास पर्याप्‍त मात्रा में पेयजल उपलब्‍ध है जबकि शहरी भारत में 89.6 प्रतिशत को पेयजल उपलब्‍ध है।
  • ग्रामीण भारत में 46.1 प्रतिशत परिवारों को अपने परिसर में पेयजल उपलब्‍ध है जबकि शहरी भारत में 76.8 प्रतिशत परिवारों को यह सुविधा उपलब्‍ध है।
  • करीब 62.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों और 16.7 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास स्‍नानागार की सुविधा नहीं है।
  • ग्रामीण भारत के 59.4 प्रतिशत और शहरी भारत के 8.8 प्रतिशत परिवारों के यहां शौचालय की सुविधा नहीं है।
  • ग्रामीण भारत के 31.9 प्रतिशत और शहरी भारत के 63.9 प्रतिशत परिवारों के यहां अपने स्‍वयं के इस्‍तेमाल के वास्‍ते शौचालय है।
  • करीब 38.9 प्रतिशत ग्रामीण और 89.6 प्रतिशत शहरी परिवारों के यहां पर उन्‍नत शौचालय है।
  • 80 प्रतिशत ग्रामीण और 97.9 प्रतिशत शहरी परिवारों के यहां पर घरेलू उपयोग के लिए बिजली है।
  • 94.2 प्रतिशत ग्रामीण भारत के परिवार के पास अपना मकान का सुरक्षित अधिकार है जबकि शहरी भारत यह आकड़ा 71.3 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2012 के दौरान 65.8 प्रतिशत ग्रामीण परिवार और 93.6 प्रतिशत शहरी परिवार पक्‍के मकान में रहते हैं जबकि 24.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार और 5 प्रतिशत शहरी परिवार अर्ध-पक्‍के मकानों में रहते हैं।
  • केवल ग्रामीण भारत के 26.3 प्रतिशत और शहरी भारत के 47.1 प्रतिशत परिवार के पास हकदार आवासीय इकाईयां हैं।
  • 31.7 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों और 82.5 प्रतिशत शहरी परिवारों के यहां अपनी आवासीय इकाइयों में पर्यावरण के अनुकूल बेहतर पानी की निकासी की सुविधा है।
  • ग्रामीण भारत में 32 प्रतिशत परिवारों के यहां कूड़ा-करकट के निस्‍तारण की सुविधा है जबकि शहरी भारत में यह आंकड़ा 75.8 प्रतिशत है।
  • केवल 10.8 प्रतिशत शहरी आवासीय इकाइयां मलिन बस्तियों में है।
  • मलिन‍/अनिधिकृत बस्तियों में रहने वाले परिवारों में से मलिन/अनिधिकृत बस्तियों से निकलकर अधिसूचित मलिन बस्तियों, गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों और अनिधिकृत बस्तियों में जाने वाले परिवारों क्रमश: 8.5 प्रतिशत, 4.9 प्रतिशत और 6.9 प्रतिशत रहा।
  • अखिल भारतीय स्‍तर पर 70.8 प्रतिशत परिवार ने 'बेहतर आवास' का हवाला दिया। उन्‍होंने इसका मुख्‍य कारण बताया कि वे मलिन/अनिधिकृत बस्तियों से निकल कर बेहतर जिंदगी जीना चाहते हैं। इसके अलावा 11.7 प्रतिशत परिवार ने इन बस्तियों में रहने का मुख्‍य कारण अपना कामकाज बताया।


  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुल पेज दृश्य