सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन
मंत्रालय के राष्ट्रीय नमूनों सर्वेक्षण कार्यालय में देश की शहरी मलिन बस्तियों
के मुख्य संकेतक जारी किये हैं, जो जुलाई 2012 से दिसंबर 2012 तक कराये गए 69वें सर्वेक्षण के दौरान
एकत्र किये गए आंकड़ों पर आधारित हैं। मलिन बस्तियों के बारे में पिछला सर्वेक्षण
जुलाई 2008 से जून 2009 तक कराये गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के 65वें भाग के रूप में
कराया गया।
मलिन बस्तियां शहरी पर्यावरण का हिस्सा
हैं और इनकी पहचान इस बात से होती है कि वहां रहन-सहन की हालत ठीक नहीं होती, जैसे लोगों की बहुत भीड़, सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, पर्याप्त पेयजल न होना और कच्चे
निर्माण आदि। कोई भी ऐसी छोटी सी बस्ती, जहां कम से कम 20 कच्चे निर्माण हों, जो आमतौर पर अस्थाई किस्म के हों, बिल्कुल एक दूसरे से सटे हुए हों और जहां सफाई और पेयजल की पर्याप्त
सुविधा नहीं हों,
को
सर्वेक्षण की दृष्टि से एक मलिन बस्ती माना गया है। ऐसी बस्ती अगर अधिसूचित मलिन
बस्ती नहीं हैं, तो उसे गैर अनधिसूचित मलिन बस्ती कहा
जायेगा। दोनों तरह की बस्तियों को, यानि वे क्षेत्र जो नगर पालिका नगर निगम, स्थानीय निकाय या विकास प्राधिकरण
द्वारा मलिन बस्तियों के रूप में अधिसूचित थे और अन्य मलिन बस्तियां, इन दोनों को सर्वेक्षण में शामिल किया
गया था।
ऐसी मलिन बस्तियों के बारे में जानकारी
राज्य और अखिल भारतीय स्तर पर उपलब्ध आंकड़ों से प्राप्त की गई है। इनके आधार
पर मलिन बस्तियों की संख्या, इन बस्तियों में बने घरों की संख्या और ऐसी बस्तियों की संख्या का
अनुमान लगाया गया हैं, जहां
कुछ विशेष सुविधाएं हैं, जो
आमतौर पर ज्यादातर मलिन बस्तियों में नहीं होती हैं। सर्वेक्षण में देश के समूचे
शहरी क्षेत्र को शामिल किया गया था। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय ने सभी
राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में
फैले हुए 3,832 शहरी ब्लॉकों का सर्वेक्षण किया, जिसके आधार पर मुख्य संकेतक प्राप्त हुए। अखिल भारतीय स्तर पर इन
शहरी ब्लॉकों में कुल 881 मलिन बस्तियों का सर्वेक्षण किया गया।
शहरी मलिन बस्तियों के मुख्य संकेतकों
से अधिसूचित/अनधिसूचित मलिन बस्तियों के बारे में जानकारी मिलती हैं। इसके लिए
अखिल भारतीय स्तर पर (सर्वेक्षण की गई सभी मलिन बस्तियों के आधार पर) और राज्यों
के स्तर पर अधिसूचित/अनधिसूचित मलिन बस्तियों का सर्वेक्षण किया गया था। राज्यों
में सर्वेक्षण की गई मलिन बस्तियों की कुल संख्या कम से कम 20 थी। इसी आधार पर
आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लिए
प्राप्त राज्यवार संकेतकों की सूची तैयार की गई।
इस सर्वेक्षण के कुछ विशेष बातें इस
प्रकार हैं: -
मलिन बस्तियों की संख्या
- भारत के शहरी क्षेत्र में कुल 33,510 मलिन बस्तियां होने का अनुमान है। इनमें लगभग 41 प्रतिशत अधिसूचित और 59 प्रतिशत अनधिसूचित हैं। (परिशिष्ट-1)
- महाराष्ट्र में 7,723 मलिन बस्तियां हैं और यह संख्या भारत के शहरी क्षेत्रों की सभी मलिन बस्तियों का लगभग 23 प्रतिशत है। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 13.5 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में लगभग 12 प्रतिशत मलिन बस्तियां हैं।
- भारतीय शहरी क्षेत्र में मौजूद लगभग 19,749 अनधिसूचित मलिन बस्तियों में से महाराष्ट्र में लगभग 29 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में लगभग 14 प्रतिशत और गुजरात में लगभग 10 प्रतिशत हैं।
- भारतीय शहरी क्षेत्र में मौजूद लगभग 13,761 अधिसूचित मलिन बस्तियों में से आंध्र प्रदेश में लगभग 23 प्रतिशत, महाराष्ट्र में लगभग 14 प्रतिशत, और मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु में प्रत्येक में लगभग 9 प्रतिशत मलिन बस्तियां हैं।
मलिन बस्तियों में घरों की संख्या
- शहरी मलिन बस्तियों में लगभग 88 लाख घर हैं, जिनमें से लगभग 56 लाख अधिसूचित मलिन बस्तियों में और 32 लाख अधिसूचित मलिन बस्तियों में हैं। (परिशिष्ट-1)
- कुल मलिन बस्तियों में अधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या 41 प्रतिशत हैं लेकिन भारत में मलिन बस्तियों में कुल जितने घर हैं, उनमें से 63 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियों में हैं।
- देश के शहरी क्षेत्र में कुल मलिन बस्तियों के घरों में से लगभग 38 प्रतिशत घर महाराष्ट्र में हैं और 18 प्रतिशत आंध्र प्रदेश में हैं।
- अनधिसूचित मलिन बस्तियों में जितने घर हैं, उनमें से लगभग 40 प्रतिशत महाराष्ट्र में और 9-9 प्रतिशत गुजरात और पश्चिम बंगाल में हैं।
मलिन बस्तियों में घरों की औसत संख्या
- अखिल भारतीय स्तर पर मलिन बस्तियों में औसतन लगभग 263 घर हैं। इनमें से अधिसूचित मलिन बस्तियों में घरों की औसत संख्या 404 और अनधिसूचित मलिन बस्तियों में 165 है। (परिशिष्ट-2)
- अधिसूचित और अनधिसूचित दोनों को मिलाकर मलिन बस्तियों में घरों की औसत संख्या सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 433 है, कर्नाटक में 392 और आंध्र प्रदेश में 352 है।
- अलग-अलग राज्यों में अधिसूचित मलिन बस्तियों में घरों की औसत संख्या में काफी अंतर है। महाराष्ट्र में यह औसत 1000 घरों से भी अधिक है, जबकि छत्तीसगढ़ में केवल 84 है।
- जिन शहरों की आबादी 10 लाख से ज्यादा है, उनमें लगभग 56 प्रतिशत मलिन बस्तियों में तथा अन्य शहरी क्षेत्रों की 58 प्रतिशत मलिन बस्तियों में 150 से कम घर हैं।
- 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में अनधिसूचित मलिन बस्तियों में से लगभग तीन चौथाई (77 प्रतिशत) और अन्य शहरी क्षेत्र की अनधिसूचित मलिन बस्तियों में भी लगभग तीन चौथाई (74 प्रतिशत) में 150 से कम घर हैं।
मलिन बस्तियों के बारे में मुख्य
बातें
- अखिल भारतीय स्तर पर 44 प्रतिशत मलिन बस्तियां गैर - सरकारी क्षेत्र में बनी हुई हैं, जिनमें से 48 प्रतिशत अधिसूचित और 41 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- सभी मलिन बस्तियों की 60 प्रतिशत मलिन बस्तियों में ज्यादातर मकान पक्के हैं। ऐसी बस्तियों में से 85 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां और 42 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- अखिल भारतीय स्तर पर 71 प्रतिशत मलिन बस्तियों में पीने के लिए नल का पानी उपलब्ध है। इनमें 82 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां और केवल 84 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं, जहां यह सुविधा है।
- जहां तक मलिन बस्तियों में बिजली न होने की बात है, इनमें से ज्यादातर अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं, जहां बिजली नहीं है। अखिल भारतीय स्तर पर कुल ऐसी बस्तियों में से केवल 6.5 प्रतिशत में बिजली नहीं हैं, जबकि बिना बिजली वाली अनधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या 11 प्रतिशत है और अधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या केवल 0.1 प्रतिशत है।
- कुल लगभग 66 प्रतिशत मलिन बस्तियों में एक बड़ी पक्की सड़क है, जहां से बस्ती के लोग मुख्य रूप से आते जाते हैं। ऐसी बस्तियों में 83 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां हैं और 55 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- अखिल भारतीय स्तर पर 31 प्रतिशत मलिन बस्तियों में शौच की सुविधा नहीं है। ऐसी बस्तियों में 16 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां और 42 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- अखिल भारतीय स्तर पर लगभग 31 प्रतिशत मलिन बस्तियों में जल-निकासी की सुविधा नहीं है। ऐसी बस्तियों में अनधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या ज्यादा है -11 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां और 45 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- अखिल भारतीय स्तर पर 27 प्रतिशत मलिन बस्तियों में कूड़ा-कचरा निपटान की व्यवस्था नहीं है। ऐसी बस्तियों में 11 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां और 38 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- लगभग 32 प्रतिशत मलिन बस्तियों में वर्षा के दिनों में बस्ती तक पहुंचने का मार्ग आमतौर पर जलमग्न रहता है। ऐसी बस्तियों में 35 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां और 29 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- अखिल भारतीय स्तर पर 24 प्रतिशत मलिन बस्तियों को कल्याण योजनाओं का लाभ मिल रहा है, जैसे-जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन, राजीव आवास योजना या केंद्र सरकार, राज्य सरकार अथवा स्थानीय निकाय की अन्य कोई योजना। ऐसी बस्तियों में 32 प्रतिशत अधिसूचित मलिन बस्तियां और 18 प्रतिशत अनधिसूचित मलिन बस्तियां हैं।
- पिछले पाँच वर्षों में किन मलिन बस्तियों में सुधार हुआ और किनमें स्थिति ज्यादा खराब हो गई, इस बारे में जानकारी प्राप्त की गई। उपरोक्त पाँच सुविधाओं में से जिन मलिन बस्तियों में सुधार हुआ और जिनमें स्थिति खराब हो गई, उनकी प्रतिशत संख्या परिशिष्ट-3 में दर्शाई गई है।
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