वर्ष 2013 में भारत सरकार के गृह
मंत्रालय ने सुरक्षा, कानून
और व्यवस्था, आपदा प्रबंधन, पुलिस आधुनिकीकरण, सीमा प्रबंधन और अन्य विषयों से
संबंधित मुद्दों से निपटने की चुनौतियों का सामना किया। इसके अलावा राज्य के
मुख्यमंत्रियों के साथ और कानून और व्यवस्था के साथ-साथ नक्सली प्रबंधन से संबंधित
विषयों पर राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों- डीजीपी के साथ
महत्वपूर्ण परामर्श बैठकों का भी आयोजन किया गया। आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम
2013, क्राइम एण्ड क्रीमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क
एण्ड सिस्टग्स- सीसीटीएनएस, गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967, को सुदृढ़ करना भी इस साल के अन्य
महत्वपूर्ण कार्य रहे।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 15 अप्रैल
2013 को आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में, दूसरे प्रसाशनिक सुधार आयोग की पाचवीं रिपोर्ट की सिफारिशों पर
विचार-विमर्श किया गया। 05 जून 2013 को आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के दौरान, केन्द्रीय गृहमंत्री श्री सुशील कुमार
शिंदे ने आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री और झारखण्ड के राज्यपाल के साथ अलग-अलग
बैठकें कर वामपंथी उग्रवाद से ग्रस्त राज्यों में सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर
बातचीत की।
2013 में जम्मू-कश्मीर में विशेष औद्योगिक
पहल- 'उड़ान' कार्यक्रम की शुरूआत की गई। भारत और बंग्लादेश के बीच आपसी और
बहुपक्षीय क्षेत्रों सहित संशोधित यात्रा प्रबंधनों के बारे में भी बातचीत की गई।
नई दिल्ली में भारत और अमेरीका के आंतरिक सुरक्षा विभाग के बीच आपसी विचार-विमर्श
और 33वां एशिया-प्रशांत सुधारात्मक प्रशासक सम्मेलन-एपीसीसीए इस वर्ष की अत्यंत
महत्वपूर्ण घटननाएं रही।
गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम)
अधिनियम,
1967
को सशक्त बनाने की पहल
संसद द्वारा पारित गैर-कानूनी
गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2012 इस साल पहली फरवरी से अस्तित्व में आ गया। इस कानून के दायरे
में आतंकी गतिविधियां, देश
के समक्ष आर्थिक सुरक्षा को उत्पन्न खतरे और जाली भारतीय करेंसी से नोटों का
उत्पादन, तस्करी और इसका वितरण आते हैं।
गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों को इसके दायरे में लाया गया। किसी संगठन को प्रतिबंधित
करने का समय 2 साल से बढ़ाकर 5 साल करने का प्रावधान किया गया है।
आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम-2013
उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य
न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जे.एस.वर्मा की अध्यक्षता
में 23 दिसम्बर 2012 को एक समिति का गठन किया गया। इस समिति को शीध्र न्याय दिलाने
के वास्ते कानूनों में संशोधन और दुष्कर्म से संबंधित मामलों में अपराधियों की सजा
को बढ़ाने के लिए सिफारिशें देने को कहा गया था। 23 जनवरी 2013 को पेश अपनी
रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा कमेटी ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2012 के अधिकतर
प्रावधानों पर अपनी सहमति व्यक्त की। सरकार, पीड़ित महिलाओं से संबंधित आपराधिक कानून में तत्काल संशोधन करने की
इच्छुक थी। सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश-2013 को 03 फरवरी 2013 को
लागू किया। बजट सत्र में, आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक-2013 को लोकसभा ने 19 मार्च 2013 को, और राज्यसभा ने इसे 21 मार्च 2013 को
पारित कर दिया। राष्ट्रपति ने 02 अप्रैल 2013 को इस पर अपनी सहमति दी।
महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों से
सख्ती से निपटने के लिए भारतीय दण्ड संहिता-आईपीसी, अपराध प्रक्रिया संहिता-सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य कानून-(इंडियन
एविडेंस एक्ट) में व्यापक संशोधन किये गये। दुष्कर्म पीड़िता की हालत चिंताजनक
होने या उसकी मृत्यु होने की अवस्था में अपराधी को मृत्युदण्ड देने तक का प्रावधान
किया गया है। किसी पर तेजाब से पहली बार हमला करने, मानव तस्करी, घूरने, पीछा
करने जैसे गंभीर आपराधिक मामलों में कड़ी सजा देने का प्रावधान किया गया है।
दुष्कर्म की शिकार और तेजाब के हमले से पीड़ित का इलाज न करने वाले अस्पतालों
(सरकारी/निजी) के खिलाफ भी दण्ड का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में पुलिस को
भी जवाबदेह बनाया गया है। पुलिस द्वारा किसी भी कानून का पालन न करने (जैसे एफआईआर
दर्ज न करने) को भी दण्डनीय माना गया है। जांच प्रक्रिया और अदालती सुनवाई के
दौरान, पीड़ित महिला को उत्पीड़न और शोषण से
सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं।
आंतरिक सुरक्षा
देश को इस साल भी आतंकी गतिविधियों का
भी सामना करना पड़ा है। इस साल तीन बम विस्फोटों की घटनाएं हुई। बम विस्फोट की
पहली घटना हैदराबाद में हुई जिसमें 17 लोग मारे गये। बंगलौर में बम विस्फोट की
दूसरी और बोध गया में तीसरी घटना में संयोग से कोई भी हताहत नहीं हुआ। बोध गया
परिसर की सुरक्षा का जिम्मा केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल-सीआईएसएफ को सौंपे जाने
के बिहार सरकार के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने अपनी सहमति व्यक्त की। इस साल की इस
प्रकार की कुछ अन्य घटनाओं में, जांच एजेंसियों को अपराधी की पहचान सुनिश्चित करने, घटना को अंजाम देने वालों को गिरफ्तार
करने में सफलता मिली और अन्य मामलों में जांच जारी है। सरकार, नागरिकों की सुरक्षा और रक्षा के प्रति
वचनबद्ध है। यासीन भटकल, टुंडा
और हद्दी की गिरफ्तारी और हाल ही के बम विस्फोटों की गुत्थियों को सुलझाना, ऐसी घटनाओं से निपटने में सरकार की
प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जून 2013 की उत्तराखण्ड आपदा
उत्तराखण्ड को 16-17 जून 2013 को तेज
बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की भीषण
प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा। इससे उत्तराखण्ड के सभी 13 जिले प्रभावित हुए।
प्राकृतिक-आपदा इतनी भीषण थी कि 580 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और 4473 लोग
घायल हुए। इसके अलावा 5526 से ज्यादा लोग लापता हैं। व्यापक बचाव अभियान के दौरान, एक लाख 10 हजार लोगों को बचा लिया गया।
20 जून 2013 को राज्य आपदा सहायता कोष- एसडीआरएफ से राज्य सरकार को 145 करोड़
रुपये जारी किये गये। इसके साथ ही, 19 जुलाई 2013 को राष्ट्रीय आपदा सहायता कोष- एनडीआरएफ से अग्रिम तौर
पर 250 करोड़ रुपये जारी किए गये। प्रधानमंत्री ने भी प्रधानमंत्री राहत कोष से
मृतक के निकट संबंधी को 2 लाख रुपये और प्रत्येक घायल को 50 हजार रुपये की अनुग्रह
राशि देने की घोषणा की।
राज्य पुलिस बलों का आधुनिकीकरण
राज्य पुलिस बलों की आधुनिकीकरण योजना
को वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक की पंचवर्षीय अवधि के लिए विस्तारित किया
गया है। इसमें गैर-योजना और योजना मद में खर्च के लिए धन दिए जाएंगे। गैर-योजना
मद में पुलिस बलों को एक जगह से दूसरी जगह लाने और ले जाने के लिए (मोबिलीटी), हथियार, उपकरणों, प्रशिक्षण
के साजो-सामान, अपराध अनुसंधान उपकरण आदि पर खर्च किया
जाएगा। जबकि योजना बजट के अंतर्गत, पुलिस थानों/चौकियों के निर्माण/आधुनिकीकरण पुलिस लाईनों, पुलिस के लिए आवासीय परिसरों, अपराध अनुसंधान प्रयोगशालाओं और प्रशिक्षण
के लिए बुनियादी सुविधाओं और भवन निर्माण में कोष का इस्तेमाल किया जाएगा।
योजना के तहत 12वीं योजना अवधि
(2012-13 से 2016-17) के दौरान, गैर-योजनागत खर्च के लिए
8195.53 करोड़ रूपए जबकि योजनागत खर्च के लिए 3750.87 करोड़ रूपए आवंटित किए
गए हैं। मौजूदा वर्ष में पुलिस आधुनिकीकरण योजना के वास्ते गैर-योजनागत मद में
750 करोड़ रूपए जबकि योजनागत मद में 1097 करोड़ रूपए व्यव का प्रावधान किया
गया। छ: शहरों- अहमदाबाद, मुम्बई, चैन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और बंगलुरू में मेगा सिटी
पुलिसिंग की स्वीकृति दी गई है।
अपराध और आपराधी की पहचान और निगाह
रखने के लिए नेटवर्क और प्रणाली (सीसीटीएनएस)
अपराध और आपराधी की पहचान और उन पर निगाह
रखने के लिए नेटवर्क और प्रणाली-सीसीटीएनएस अभियान प्रणाली योजना 2009 में
मंजूर की गई थी। इसके लिए 2009-12 के दौरान, शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना में 2000 करोड़ रूपए खर्च किए
जाने का प्रावधान था। इस योजना का विस्तार अब 31 मार्च 2015 तक के लिए किया
गया है। सीसीटीएनएस की पायलट परियोजना की शुरूआत 04 जनवरी 2013 को की गई। यह 25
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लगभग 2000 सीसीटीएनएस केंद्रों को जोड़ेगी। इस
योजना को लागू करने का काम तेजी पर है। विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों
के सिस्टम इंटरग्रेटरों के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
'उड़ान'- जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष औद्योगिक
पहल (एसआईआई)
गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर के
लिए 'उड़ान' के नाम वाली विशेष औद्योगिक पहल की योजना शुरू की है। ये कॉरपोरेट
ऑफ इंडिया (भारतीय उद्योग जगत) और गृह मंत्रालय के बीच भागीदारी पर आधारित है।
इसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम- एनएसडीसी के जरिए क्रियान्वित किया जा रहा
है। इसमें अगली पंचवर्षीय योजना के दौरान, राज्य के 54 हजार से अधिक युवाओं को एनएसडीसी के सहयोग से लगभग 35
अग्रणी कॉरपोरेट प्रशिक्षित करेंगे। 'उड़ान' के
भागीदारों में सार्वजनिक क्षेत्र की अग्रणी इकाईयां जैसे एनटीपीसी, बीएचईएल, बीएसएनएल, ओएनजीसी, एचएएल, केनरा बैंक और निजी संगठन जैसे विप्रो, टीसीएस, एचसीएल टैक्नोलॉजीस्, इंफोसिस, बजाज
एलाइंज्, सीएमसी, कोगनीजेंट, येस
बैंक, फ्यूचर लर्निंग, आईएल एण्ड एफएस, सीआईआई, एडूस्पोर्टस, रेलीगेयर, एक्सेंचर, टाटा मोटर्स आदि शामिल हैं।
भारत और बंग्लादेश के बीच संशोधित
यात्रा प्रबंधन-आरटीए
भारत और बंग्लादेश के बीच मौजूदा वीजा
नियमों को उदार बनाने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच संशोधित यात्रा
प्रबंधनों-आरटीए पर ढ़ाका में 28 जनवरी 2013 को हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों
में इस बात पर सहमति बनी कि राजनयिक और अधिकारिक पासपोर्ट धारक एक-दूसरे के
मुल्कों में बिना वीजा के 45 दिनों तक ठहर सकते हैं। किसी तीसरे देश की यात्रा
करने के लिए वीजा का अनुरोध करने वाले बंग्लादेशी नागरिकों को दिए जाने वाले
डबल एंट्री वीजा की अधिकतम समय-सीमा तीन महीनें स्वीकार की गई है। ये सुविधा
ऐसे प्रतिनिधि मिशनों के लिए है जो भारत से बंग्लादेश के लिए एक साथ प्रत्यायित
है। साथ ही उनको मेडिकल वीजा, दीर्घकालिक बहु-रोजगार वीजा और मल्टीपल एंट्री स्टूडेंट्स वीजा
आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं। इसके लिए वीजा नियमावली में आवश्यक
परिपत्र संशोधन के प्रावधानों को शामिल किया गया है। नए संशोधित यात्रा
प्रबंधन प्रावधानों को 12 फरवरी 2013 को जारी किया गया।
33वां एशिया-प्रशांत सुधारात्मक
प्रशासक सम्मेलन-एपीसीसीए
33वां एशिया-प्रशांत सुधारात्मक
प्रशासक सम्मेलन-एपीसीसीए 22-27 सितंबर 2013 को नई दिल्ली में आयोजित किया
गया। सम्मेलन में 23 सदस्य देशों के शिष्टमंडल और राज्यों/केंद्रशासित
प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में कारावास से संबंधित
प्रशासन, संगठनात्मक संस्कृति का समावेश, अपराधियों द्वारा उत्पन्न उच्च
जोखिमों से निपटने और कारावास के विकल्पों आदि पर विचार-विमर्श किया गया।
प्रतिनिधिमंडलों ने 23 सितंबर 2013 को तिहार जेल का भी दौरा किया। सम्मेलन
में किए गए विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप कई महत्वपूर्ण सुझाव और राय सामने
आये। जिन्हें 2014 में कनाडा में अंतिम रूप दिया जाएगा जाएगा।
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