जाटों को आरक्षण पर केंद्र की हरी झंडी
मिलने के बाद कई तरह ही चर्चाएं चल सकती हैं, श्रेय लेने की होड़ के साथ अन्य वर्गो की तल्ख प्रतिक्रिया हो सकती है
पर तय है कि यह तोहफा हरियाणा व केंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती भी साबित होगा।
प्रदेश सरकार को सामाजिक और प्रशासनिक दोनों मोर्चो पर अपनी दक्षता दिखानी होगी।
कारण स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुल आरक्षण की सीमा तय किए जाने के बाद
जैसे-जैसे आरक्षण पाने वाली जातियों की संख्या बढ़ रही है, उसी सीमा में सभी को नियोजित करना बेहद
कठिन हो रहा है। नई जाति को सूची में शामिल करने का सीधा अर्थ है कि अन्य की
हिस्सेदारी घटानी पड़ेगी। लोकतंत्र में किसी जाति या समुदाय को नाराज करने का जोखिम
कोई सरकार नहीं लेना चाहती। प्रदेश सरकार ने लगातार दबाव के आगे झुकते हुए जाट
समेत पांच जातियों को पिछड़े वर्ग में शामिल करने की घोषणा की थी पर समस्या यहीं
खत्म नहीं हो गई ,
उनकी
अगली मांग केंद्र में आरक्षण की थी। इसके लिए धरने, प्रदर्शन के साथ रास्ता जाम, दिल्ली को घेरने की रणनीति बनी , लिहाजा राज्य सरकार भी भारी दबाव में थी। चुनावी फिजां में केंद्र ने
एकाएक फैसला कर राज्य सरकार को चिंता से उबार लिया है। जाट नेताओं की आरंभिक
प्रतिक्रिया से महसूस हो रहा है कि अधिसूचना जारी होने के बाद ही वे विश्वास
करेंगे। स्वाभाविक तौर पर उनका अगला कदम सरकार पर आरक्षण आंदोलन के दौरान बनाए गए
मुकदमे वापस लेने के लिए दबाव बनाने का रहेगा। सरकार का अहम दायित्व यह भी रहेगा
कि सभी आरक्षित जातियों को उचित व निष्पक्ष रूप से अवसर मिले और किसी जाति विशेष
पर खास मेहरबानी का आक्षेप न लगे। केंद्र के फैसले में कुछ उतावलापन इसलिए दिखाई
दिया क्योंकि जाटों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ेपन के आंकड़े जुटाने के लिए गठित
आयोग की रिपोर्ट तक का इंतजार नहीं किया गया, आशंका है कि भविष्य में मामला कहीं अदालतों में न उलझ जाए। सरकार को
अब दोहरी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना होगा। वह जाटों की हितैषी तो नजर आए पर
अन्य के प्रति उदासीन भी न दिखे। वास्तविक पिछड़ा वर्ग की मांगों पर भी
सहानुभूतिपूर्वक विचार होना चाहिए क्योंकि उसका मानना है कि उसे हाशिये पर धकेलने
की कोशिश की जा रही है। चुनावी वर्ष की संवेदनशीलता को समझते हुए सरकार को
व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।
IAS Charisma is a brainchild of Dr. Kumar Ashutosh, a Ph.D. in History, PGDM(Marketing) and Double M.A.(History and Philosophy), an IAS aspirant himself, he cleared IAS Mains twice and faced IAS interview before starting on this journey of guiding future IAS aspirants to help them in tackling with the problems that he had to face during IAS preparation. IAS Charisma is an endeavor to light a candle for IAS aspirants who sometimes get lost in commercialization of education.
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