समाज के कमजोर वर्ग की महिलाओं को कम
ब्याज दर पर कर्ज देकर उन्हें आर्थिक तौर पर स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से सरकार
ने देश में महिला बैंक शुरू करने का फैसला किया है। हाल ही में इस बैंक की पहली
शाखा का महाराष्ट्र के मुंबई में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उद्धाटन किया। इस
मौके पर प्रधानमंत्री के साथ यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी और वित्त मंत्री पी.
चिदंबरम भी मौजूद थे। एक हजार करोड़ रुपए के शुरूआती कोष के साथ शुरू किया गया यह
बैंक, पूर्णतया महिलाओं द्वारा और महिलाओं के
लिए संचालित बैंक है। बैंक, महिला सशक्तिकरण के साथ सभी प्रकार की सेवाएं प्रदान करेगा।
हाल-फिलहाल इसकी सात शाखाएं गुवाहाटी, कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद, बैंगलोर
और लखनऊ में शुरू की गई हैं। निकट भविष्य में सरकार का इरादा इस बैंक की शाखाएं
पश्चिम भारत, उत्तर भारत और दक्षिण भारत सहित सभी
जगह खोलने की है। साल 2014, मार्च के अंत तक बैंक की शाखाओं की संख्या 25 होगी। महिलाओं के
आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम् कदम है, जिसका कि हमें स्वागत करना चाहिए। वित्त और बैंकिंग सुविधा की पहुंच
से न केवल महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि विकास के सामाजिक आधार को भी व्यापकता हासिल होगी।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम
ने इस साल के अपने बजट भाषण में भारतीय महिला बैंक शुरू करने की घोषणा की थी, जो अब जाकर पूरी हो गई है। बहरहाल
महिला बैंक के निदेशक मंडल में आठ महिला सदस्यों को शामिल किया गया है। देश में
सार्वजनिक क्षेत्र का यह पहला बैंक होगा, जिसके निदेशक मंडल के अध्यक्ष समेत सभी सदस्य महिलाएं हैं। निदेशक
मंडल में जहां एक बड़े उद्योग समूह गोदरेज की तान्या दुबाश शामिल हैं, तो वहीं राजस्थान के एक गांव की सरपंच
छवि राजावत भी। यानी निदेशक मंडल में सभी वर्ग की महिलाओं का प्रतिनिधित्व है।
बैंक सिर्फ महिलाओं के लिए अकेले नहीं होगा, बल्कि इसमें सभी को सुविधाएं मिलेंगी। इन बैंकों में सबका स्वागत है लेकिन इनका मुख्य
फोकस महिलाओं पर ही होगा। इनमें महिलाएं काम करेंगी और उपभोक्ता भी यादा
से यादा महिलाएं ही होंगी। बैंक का मुख्य उद्देश्य महिलाओं का सशक्तिकरण करना है।
जहां तक कर्ज का सवाल है, इन बैंकों में यादा से यादा कर्ज महिलाओं को ही दिया जाएगा। यानी
कर्ज के मामले में महिलाओं को वरीयता दी जाएगी। महिलाओं को अपनी मनपसंद घरेलू
कामों के साथ-साथ छोटे-मोटे कारोबार के लिए भी कर्ज मिलेगा। महिला शिक्षा के लिए
इस बैंक में अधिक से अधिक दस लाख रुपए लोन की सुविधा दी गई है। जिसमें भी उन्हें
चार लाख के लोन पर कोई ब्याज नहीं देना होगा, जबकि उससे ऊपर की राशि पर उन्हें सिर्फ पांच फीसदी ब्याज देना होगा।
बैंक की एक और अहम् खासियत, इसमें हर वर्ग की महिलाओं को खाता
खोलने की सहूलियत होना है। पढ़ी-लिखी महिलाएं तो किसी भी बैंक में खाता खोल सकती
हैं, लेकिन सबसे यादा परेशानी ग्रामीण और
अनपढ़ महिलाओं को होती है। लोन और कर्ज लेने की तो बात ही छोड़ दो, खाता खोलने से लेकर उसके संचालन तक में
उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि सरकार ने इस तरह के
बैंक की परिकल्पना की जिसमें महिलाओं को अपना काम करने में आसानी हो। वे चाहे पैसा
जमा करवाएं या लोन लें, उनका
काम आसानी से हो जाए। महिला बैंक का मुख्य जोर निम्न और मध्यम वर्ग की महिलाओं की
आर्थिक क्षमता को बढ़ाना है, जिससे उनकी समाज में यादा से यादा आर्थिक भागीदारी बढ़े। बैंक इन
महिलाओं की छोटी सी छोटी जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। डे-केयर सेंटर से
लेकर संगठित कैटरिंग सर्विस तक के लिए उन्हें कर्ज देगा, जिससे वे खुद अपने पैरों पर खड़ी हो
सकें।
हम अपने रोजमर्रा के जीवन में देखते रहते हैं कि
महिलाओं को घर, कार्यस्थल हर जगह पर भेदभाव का शिकार
होना पड़ता है। उनके सशक्तिकरण की तो बात ही छोड़ दो, आर्थिक मामलों में आज भी महिलाएं अपने फैसले खुद नहीं कर पातीं, उन्हें इन फैसलों में अपने परिवार या
मित्रों को शामिल करना पड़ता है। यदि कोई महिला खुद आगे बढ़कर अपना फैसला करे, तो उसे पेशेवर सलाह नहीं मिल पाती।
भारतीय महिला बैंक यह सब काम करेगा। बैंक महिलाओं को उचित निवेश की सलाह देने के
साथ-साथ उन्हें अच्छी व भरोसेमंद सेवाएं भी देगा। यही नहीं, महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए भी
उचित ऋण मुहैया कराएगा। महिला बैंक अपनी महिला ग्राहकों के लिए बिजनेस एंड
डेवलपमेंट करस्पोंडेंट सुविधा भी शुरू करेगा। यह विकास अधिकारी, महिलाओं को आर्थिक मामलों और बैंकों
में लेन-देन के लिए प्रशिक्षित करेंगे। जिसमें आर्थिक विकास और सशक्तिकरण के तहत
उन्हें ऋण देने और अन्य गतिविधियों के बारे में प्रशिक्षिण शामिल है।
कुल मिलाकर महिलाओं के सशक्तिकरण में
महिला बैंक हर तरह से मददगार साबित होगा। जब हर महिला तक वित्त और बैंकिंग सुविधा
पहुंचगी, तो उनका आर्थिक सशक्तिकरण भी होगा।
आर्थिक सशक्तिकरण से ही महिलाओं की तस्वीर और तकदीर बदलेगी। महिलाओं का आर्थिक
सशक्तिकरण होगा,तो देश का भी सशक्तिकरण होगा। महिला
बैंक, वृहद लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने में
एक उत्प्रेरक का काम करेगा। बावजूद इसके देश में महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी
आर्थिक सुरक्षा के लिए अभी भी और प्रयास की जरूरत है। भारतीय समाज में सबसे बड़ी
चुनौती महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव की है। यह भेदभाव उसे हर क्षेत्र
में भुगतना पड़ता है। लैंगिक भेदभाव को प्रभावी ढंग से समाप्त करने और लोगों को
लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाने के लिए सरकार और समाज दोनों को समन्वित प्रयास करने
होंगे, तभी जाकर महिलाओं की स्थिति में सुधार
आएगा। एक बात और,
ग्रामीण
इलाकों में महिलाओं को बैंक तक लाने के लिए, उन्हें इस बारे में सबसे पहले साक्षर करना होगा। महिलाएं शिक्षित
होंगी, तभी महिला बैंक का सही फायदा उठा
पाएंगी।
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