बुधवार, 25 दिसंबर 2013

जल-संसाधन मंत्रालय की वर्ष-2013 की उपलब्धियां

वर्ष-2013 के दौरान जल-संसाधन मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की खास-खास बातें निम्‍नलिखित है:-
    
सरकार और रवांडा के बीच जल-संसाधनों के विकास और प्रबंधन संबंधी परस्‍पर सहयोग का समझौता    
भारत और रवांडा ने जल-संसाधन विकास एवं प्रबंधन में परस्‍पर सहयोग के एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए। इस पर भारत की और से केंद्रीय जल-संसाधन मंत्री श्री हरीश रावत और रवांडा सरकार की तरफ से कृषि एवं पशु संसाधन मंत्री डॉ. (श्रीमती), ऐग्‍नेस एम. कालीबाता ने 23 जनवरी, 2013 को नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए।
    
देशभर के 13 बच्‍चों ने जल संरक्षण पर तृतीय राष्‍ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में पुरस्‍कार जीते  
देशभर के कुल मिलाकर 13 स्‍कूली बच्‍चों को तृतीय राष्‍ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में पुरस्‍कार प्रदान किए गए। यह प्रतियोगिता पूसा नई दिल्‍ली के ए. पी. शिंदे सिम्‍पोजियम हॉल, एनएएस परिसर पूसा में 21 जनवरी, को आयोजित की गई। इसका उद्घाटन केंद्रीय जल-संसाधन मंत्री, श्री हरीश रावत ने किया। प्रतियोगिता का आयोजन जल-संसाधन मंत्रालय के केंद्रीय भू-जल बोर्ड ने किया।
    
राष्‍ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड की फिर से डिजाइन की गई वेबसाइट का उद्घाटन   
तत्कालीन सचिव, जल-संसाधन मंत्रालय, श्री ध्रुव विजय सिंह ने राष्‍ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड की फिर से डिज़ाइन की गई वेबसाइट का 7 जनवरी, 2013 को उद्घाटन किया। यह वेबसाइट भारत सरकार के वेबसाइट मार्ग दर्शक नियमों के अनुसार है और इसकी खास-खास बातें निम्‍नलिखित हैं:-
  • गतिशील विषय प्रबंधन व्‍यवस्‍था
  • वेबसाइट भारत सरकार के वेबसाइट नियमों का पूरी तरह पालन करती है
  • इस वेबसाइट की सुरक्षा की समीक्षा दूर संचार विभाग डीओटी में सूचीबद्ध ऑडिटर ने हैंकिग और अन्‍य सुरक्षा संबंधी मुद्दों को लेकर की है
  • द्विभाषी (अंग्रेजी एवं हिन्‍दी)
  • नवीनतम वेबसाइट डिजाइन टेक्‍नालॉजी


केंद्रीय बजट 2013-14 में उल्लिखित पांच आंतरिक जल मार्गों को राष्‍ट्रीय जल मार्ग घोषित किया गया   
वर्ष 2013-14 के बजट प्रस्‍तावों में पांच आंतरिक जल मार्गों को राष्‍ट्रीय जल मार्ग घोषित किया गया था। इस बात की घोषणा लोक सभा में 28 फरवरी, 2013 को बजट प्रस्‍तावों में की गई। केंद्रीय वित्‍त मंत्री पी. चिदम्‍बरम ने कहा कि असम में लखीपुर से भंगा तक के बरक नदी के हिस्‍से को राष्‍ट्रीय जल मार्ग घोषित करने के लिए जल-संसाधन मंत्रालय एक प्रस्‍ताव लायेगा। इसके लिए तैयारी की जानी है। इन संबंधित जल मार्गों को राष्‍ट्रीय जल मार्ग से जोड़ दिया जाए। 12वीं योजना अवधि में निर्माण कार्यों के लिए पर्याप्‍त आवंटन रखा गया है। इसमें राष्‍ट्रीय राजमार्गों से तलछट हटाने का काम शामिल है। प्रतियोगी बोलियों के जरिए नौका संचालकों का चयन किया जाना है जो इन राष्‍ट्रीय जल मार्गों पर बड़े पैमाने पर माल ढोएंगे। प्रथम परिवहन ठेकेदार को पश्चिम बंगाल में हल्दिया से फरक्‍का तक माल ढोने का ठेका दिया जा चुका है।

जल-संसाधन मंत्रालय ने अंतिम सीडब्‍ल्‍यूडीटी ठेका अधिसूचित किया
जल-संसाधन मंत्रालय ने 5 फरवरी, 2007 के सीडब्‍ल्‍यूडीटी के अंतिम ठेके को 19 फरवरी, 2013 को अधिसूचित कर दिया है। यह कदम उच्‍चतम न्‍यायालय के 4 जनवरी, 2013 की‍ टिप्‍पणी के संदर्भ में उठाया गया है। इस टिप्‍पणी में कहा गया था कि राज्‍य कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल को अधिसूचित किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं करेंगे।

भारत जल सप्‍ताह-2013 आयोजित
जल-संसाधन मंत्रालय ने 8 से 12 अप्रैल, 2013 को नई दिल्‍ली में जल-संसाधन सप्‍ताह 2013 आयोजित किया। इसका विषय था कुशल जल-प्रबंधन: चुनौतियां और अवसर। इस समारोह के दो प्रमुख घटक थे:- पहला था एक सम्‍मेलन के समक्ष डिसिप्‍लीनरी डॉयलॉग और इसके साथ ही आयोजित की जाने वाली एक प्रदर्शनी जिसमें जल क्षेत्र में इस्‍तेमाल होने वाली टेक्‍नालॉजी दिखाई गई।

भू-जल के दोहन पर नीति
जल-संसाधन मंत्रालय ने भू-जल विकास एवं प्रबंधन को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिए एक आदर्श विधेयक तैयार किया। इसे सभी राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इसी की तर्ज पर विधेयक तैयार करने के लिए प्रचालित किया गया। अब  तक 14 राज्‍यों ने आवश्‍यक कानून बनाए। इन राज्‍यों के नाम है:- आंध्र प्रदेश, असम बिहार, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल तथा केंद्र शासित प्रदेश लक्ष्‍द्वीप  पुडुचेरी, चंड़ीगढ़ और दादरा तथा नागर हवेली। भू-जल को दूषित होने से बचाना मुख्‍य रूप से संबंद्ध राज्‍य की जिम्‍मेदारी है। भू-जल संरक्षण के लिए भारत सरकार ने कई तरह के उपाय किए है। इनमें जल गुणवत्‍ता मूल्‍यांकन प्राधिकरण का गठन शामिल है। इसके अलावा भू-जल और सतही जल को प्रदूषण से बचाने की रिपोर्टे डब्‍ल्‍यूक्‍यूएए वेबसाइट पर जनता को देखने के लिए उपलब्‍ध करा दी गई है। भू-जल और सतही जल प्रदूषित होने के प्रमुख स्‍थलों की सूची भी इस प्राधिकरण की वेबसाइट पर है।

जल और मौसम संबंधी आँकड़ों की नीति (2013) जारी
जल-संसाधन  मंत्रालय ने 7 मई, 2013 को जल मौसम संबंधी आँकड़ों की नीति पब्लिक डोमेन पर डालने के लिए जारी की। यह पानी संबंधी सभी आँकड़े, राष्‍ट्रीय सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए सभी वर्गीकृत सूचनाएं और राष्‍ट्रीय जल-नीति‍ (2012) की सिफारिशों के अनुसरण में था। इसे संबद्ध मंत्रालयों/विभागों में भी प्रचालित किया गया। जल और मौसम संबंधी आँकड़ों की नीति पर मिली टिप्‍पणियों के आधार पर जरूरी संशोधन किए गए और नीति को अंतिम रूप दिया गया।

वर्ष-2013 को जल-संरक्षण वर्ष-2013 घोषित करना
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 मई, 2013 को वर्ष-2013 को जल-संरक्षण वर्ष-2013 घोषित करने को अपना अनुमोदन प्रदान किया। इस जल-संसाधन वर्ष-2013 के दौरान अनेक प्रकार की सार्वजनिक गतिविधियों की रूप रेखा बनाई गई। खास जोर जल संबंधित मुद्दों पर रखा गया ताकि लोगों को पानी किफायत के साथ इस्‍तेमाल करने और इसे बचाने के बारे में प्रोत्‍साहित किया जा सके।



राष्‍ट्रीय जल रूपरेखा विधेयक, राष्‍ट्रीय नदी बेसिन प्रबंधन विधेयक और जल वितरण पर मार्ग दर्शक नीति को संबद्ध राज्‍यों में टिप्‍पणी के लिए भेजने के मसौदे
जल-संसाधन मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय जल रूपरेखा विधेयक, नदी बेसिन प्रबंधन विधेयक का मसौदा और जल-संसाधन मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए राष्‍ट्रीय मार्ग दर्शक नीति के विधेयक को 24 जून, 2013 को राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों को उनके संबद्ध मंत्रालयों के पास समितियों के जरिए भेजा गया। इसे मंत्रालय की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया।

12वीं योजना के लिए जल क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम का अनुमोदन
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विभिन्‍न क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम जारी रखने को अपना अनुमोदन प्रदान किया। इसके लिए 12वीं योजना में 360 करोड़ रुपये का आवंटन 17 जुलाई, 2013 को निर्धारित किया गया। यह स्‍कीम जल-संसाधन परियोजनाओं की योजनाएं बनाने, डिज़ाइन निर्माण एवं संचालन में अधिकतम कुशलता लाने के लिए बनाई गई है।

उत्‍तरकाशी में हाल ही में आई बाढ़ और भूस्‍खलन के संभावित कारणों को जानने के लिए समिति गठित
जल-संसाधन मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया है जो उत्‍तराखंड राज्‍य में इस वर्ष आई बाढ़ और भूस्‍खलन के संभावित कारणों का पता लगाएगी कि किस कारण वहां पर जान-माल का इतना नुकसान हुआ है। यह समिति नदी तट कटाव के विभिन्‍न कारणों का अध्ययन करेगी और इन कारणों को दूर करने तथा चेतावनी व्‍यवस्‍था कायम करने बहुत ऊचाई पर स्थित झीलों, हिमनदों पर नजर रखने और इनसे आने वाली बाढ़ की चेतावनी जल्‍दी देने का काम करेगी। इस समिति से अनुरोध किया गया है कि वह तीन हफ्तों के अंदर मौके पर जाकर अपनी सिफ़ारिशें तैयार कर ले।

भू-जल प्रबंधन और विनियमन योजना
आर्थिक मामलों की मंत्रिमडलीय समिति ने 29 अगस्‍त, 2013 को भू-जल प्रबंधन योजना को जारी रखने के लिए अपना अनुमोदन प्रदान किया। इसमें संभावित भू-जल भंडारों की मैपिंग और खासतौर से जल-संसाधन मंत्रालय द्वारा भू-जल प्रबंधन की बात कही गई है। इस स्‍कीम पर 12वीं योजना अवधि में 3,319 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस स्‍कीम को 28 राज्‍यों और सात संघ शासित प्रदेशों (दिल्‍ली सहित) में लागू किया जाएगा और इससे 12वीं योजना के दौरान 8.89 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र लाभांवित होगा। शेष 14.36 लाख वर्ग किलोमीटर इलाक़ों को 13वीं योजना के दौरान इस स्‍कीम में शामिल किया जाएगा।

नदियों को आपस में जोड़ने के लिए विशेष समितियां
उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्देशों के अनुसार जल-संसाधन मंत्रालय द्वारा 6 मई, 2013 और 28 मई, 2013 को जारी कार्यालय विज्ञप्ति के तहत नदियों को आपस में जोड़ने के लिए विशेष समिति का गठन किया गया था। एनसीएईआर द्वारा प्रस्‍तुत रिपोर्ट में सिफारिशों/निष्‍कर्षो में नदियों को परस्‍पर जोड़ने के विभिन्‍न लाभ गिनाये गए है जैसे- सिंचाई और ऊर्जा के लिए अतिरिक्‍त लाभ, कृषि के विकास दर में वृद्धि, प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रोजगार में वृद्धि, ग्रामीण इलाकों के लोगों की जिंदगी में गुणवत्‍तापूर्ण सुधार और बाढ़ तथा सूखे जैसे हालातों से निपटने जैसे लाभ शामिल है। इस अध्‍ययन को राष्‍ट्रीय जल विकास एजेंसी अर्थात www.nwda.gov.in नामक वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था। एनसीएईआर के रिपोर्ट में परस्‍पर जोड़ने वाली परियोजनाओं के विभिन्‍न लाभ बताये गये है। लेकिन इसमें राज्‍यवार लाभ का ब्‍यौरा नहीं दिया गया है। राज्‍य सरकारों से कोई टिप्‍पणी प्राप्‍त नहीं हुई है।


12वीं योजना में त्वरित सिंचाई लाभ की राष्‍ट्रीय परियोजना कार्यक्रम और योजनाओं को जारी रहना
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 12 सितम्‍बर, 2013 को कुल 55 हजार 200 करोड़ रुपये की लागत वाली त्वरित सिंचाई लाभ की राष्‍ट्रीय परियोजना कार्यक्रम और योजनाओं को जारी रखने को अपनी मंजूरी दी। राज्‍यों से उम्‍मीद की गई है कि वे 87 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में अतिरिक्‍त सिंचाई की व्‍यवस्‍था कर सकेंगे।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 12वीं योजना के दौरान कुल 15 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली कमांड एरिया डेवलप्‍मेंट एंड वाटर मेनेजमेंट नाम की दो संबंधित राष्‍ट्रीय परियोजनाओं को भी मंजूरी दे दी। इससे 76 लाख हेक्‍टेयर कृषि क्षेत्र को सिंचाई का लाभ मिलेगा।

12वीं योजना के लिए मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण व्‍यवस्‍था
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 12वीं योजना के दौरान 3 सितम्‍बर, 2013 को कुल 351 करोड़ रुपये लागत वाली जल-संसाधन मंत्रालय की मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण स्‍कीम को लागू करने को मंजूरी दे दी। इस योजना का उद्देश्‍य आम जनता, स्‍कूली बच्‍चों, कृषकों, उद्योगपतियों और अन्‍य जल उपभोक्‍ताओं को ध्‍यान में रखकर पानी के कुशल प्रयोग संरक्षण और प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। इसके तहत मौजूदा प्रशिक्षण संस्‍थानों को मजबूत करना रहेगा। इसमें केंद्र और राज्‍य सरकारों के अधिकारियों सहित राष्‍ट्रीय जल अकादमी, राजीव गांधी राष्‍ट्रीय भू-जल प्रशिक्षण और शोध संस्‍थान पूर्वोत्‍तर क्षेत्रीय जल और भूमि प्रबंधन संस्‍थान तेजपुर, केंद्रीय भू-जल बोर्ड, केंद्रीय जल आयोग और अन्‍य शामिल है।

बभाली बैराज पर निगरानी समिति का गठन

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 17 अक्‍तूबर, 2013 को उच्‍चतम न्‍यायालय के 28 फरवरी, 2013 के निदेर्शों को बभाली बैराज पर लागू करने संबंधित तीन सदस्‍यीय निगरानी समिति के गठन को अपनी मंजूरी दे दी। समिति में एक प्रतिनिधि केंद्रीय जल आयोग से होगा जो निगरानी समिति का अध्‍यक्ष होगा और एक-एक प्रतिनिधि आंध्र प्रदेश तथा महाराष्‍ट्र सरकार का होगा।     

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