सूचना
और प्रसारण मंत्रालय भारत और विदेशी फिल्म निर्माताओं के लिए भारत में फिल्मों
की शूटिंग की स्वीकृति प्राप्त करने हेतु एक संकलित 'मानक संचालन
प्रक्रिया' (एसओपी) को बनाने की दिशा में काम करेगा। इस
प्रक्रिया में प्रत्येक महत्वपूर्ण हितधारक को शामिल करने के लिए संस्थागत और
मानक मानदंडों का पालन किया जाएगा। एसओपी में चिह्नित मानदंडों में स्पष्ट रूप
से फिल्म शूटिंग के लिए आवश्यक स्वीकृति, समय सीमा,
अनुमति
के संदर्भ में महत्वपूर्ण हितधारकों के उत्तरदायित्व की पहचान की जाएगी। सूचना
और प्रसारण सचिव श्री बिमल जुल्का ने आज 'भारत में फिल्म शूटिंग के लिए एकल
खिड़की स्वीकृति' पर राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को
सम्बोधित कर रहे थे।
मंत्रालय
की पहल के संदर्भ में सचिव महोदय ने उल्लेख किया कि एकल खिड़की स्वीकृति प्रणाली
को संचालित करने के लिए मंत्रालय एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल बनाने की प्रक्रिया में
है। इस वेबसाइट में शूटिंग के लिए विभिन्न आवश्यकताओं जैसे सीमा शुल्क स्वीकृति,
वीजा,
सांस्कृतिक
संवेदनशीलता आदि विषयों पर आंकड़े भी उपलब्ध होंगे। वेबसाइट में आवेदकों के लिए
राज्यवार सुविधाएं जैसे परिवहन, आतिथ्य, चिकित्सा और स्थानीय
जानकारी भी उपलब्ध होंगी।
बदले
हुए संचार परिप्रेक्ष्य में सामाजिक मीडिया की महत्ता का उल्लेख करते हुए श्री
जुल्का ने कहा कि एकल खिड़की स्वीकृति तंत्र पर प्रमुख हितधारकों के साथ सक्रिय
जुड़ाव और बातचीत की सही सूचना और सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मीडिया के नए मंचों
का सक्रिय रूप से उपयोग भी किया जाएगा। इससे ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया बिना किसी
रुकावट के संचालित किया जा सकेगा।
इस
अवसर पर संयुक्त सचिव (फिल्म) श्री राघवेन्द्र सिंह ने भारतीय फिल्म उद्योग के
विकास का उल्लेख करते हुए भारत में फिल्म निर्माण की सुविधाओं पर एक प्रस्तुति
भी दी। उन्होंने बताया कि घरेलू थियेटर राजस्व में 24 प्रतिशत की
वृद्धि हुई है और इसने 124 बिलियन रुपये अर्थात 76
प्रतिशत तक का योगदान दिया है।
दिनभर
चलने वाली कार्यशाला के दौरान केन्द्र, राज्य सरकार के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ
अधिकारियों, फिल्म निर्माताओं, फिक्की जैसे
संगठनों के प्रतिनिधियों और इस क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विभागों एवं संगठनों के विभिन्न
हितधारकों के बीच महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। अपनी तरह की इस
पहली कार्यशाला के आयोजन से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आने वाली बाधाओं और
इसके लिए दी जाने वाली सुविधाओं के साथ-साथ अनुभवों की भी समीक्षा की गई।
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