बुधवार, 31 जुलाई 2013

एलटीयू- बड़े करदाताओं को एक ही जगह कर भुगतान की व्‍यवस्‍था

केंद्रीय वित्‍त मंत्री ने 2005-06 में अपने बजट भाषण के दौरान देश में बड़े करदाताओं के लिए इकाइयां (एलटीयू) स्‍थापित करने के प्रस्‍ताव की घोषणा की थी। इसका उद्देश्‍य सभी बड़ी कंपनियों को उत्‍पाद शुल्‍क, कॉरपोरेट कर, आयकर और सेवा कर भुगतान के लिए  एक ही जगह व्‍यवस्‍था उपलब्‍ध कराना है।
पहली एलटीयू की स्‍थापना बंगलौर में की गई थी जिसने 3 अक्टूबर, 2006 को कामकाज शुरू किया था। उसके बाद 1 दिसंबर, 2007 को चेन्‍नई , 27 मार्च, 2008 को मुम्‍बई और 2 जून, 2008 को दिल्‍ली में एलटीयू का संचालन शुरू हुआ था।
एलटीयू क्‍या है?
एलटीयू  राजस्‍व विभाग के अंतर्गत स्‍वत: पूर्ण  कर प्रशासन कार्यालय है जो केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क्‍, आयकर/कॉरपोरेट कर और सेवा कर से संबंधित सभी मामलों के लिए एक ही जगह स्‍वीकृति संबंधी व्‍यवस्‍था उपलब्‍ध कराना है। कंपनियां ऐसे एलटीयू में उत्‍पाद रिटर्न, प्रत्‍यक्ष कर रिटर्न और सेवा कर रिटर्न  दाखिल कर सकती है। इन इकाइयों में प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष कर/ शुल्‍क भुगतान, दस्‍तावेज और रिटर्न दाखिल करने, रिबेट/ रिफंड का क्‍लेम करने, विवादों का निपटारा आदि से संबंधित सभी मामलों में कर दाताओं को सहयोग के लिए आधुनिक सुविधाएं तथा प्रशिक्षित लोग उपलब्‍ध हैं।इस योजना का उद्देश्‍य कर अनुपालन लागत तथा कर/शुल्‍क निर्धारण के मामलों में समानता लाना है। एक पात्र करदाता एलटीयू योजना की सुविधा प्राप्‍त कर सकता है।
एलटीयू की स्‍थापना और प्रशासन  
लार्ज ट्रांसफर यूनिट की अध्‍यक्षता मुख्‍य आयुक्‍त करते हैं। एलटीयू में आयुक्‍तों को तैनात किया जाता है जिनके पास कार्यकारी और अपीलीय प्रभार होते हैं। इनके अधिकार और कार्य अन्‍य फील्‍ड कमीशनरों के जैसे होते हैं।मुख्‍य आयुक्‍त, एलटीयू में तैनात अपर/संयुक्‍त/उप/सहायक आयुक्‍त में से किसी को प्रत्‍येक कर दाता के लिए क्‍लाइंट एक्‍जिक्‍यूटिव के रूप में नियुक्‍त करता है।
एलटीयू में तैनात अधिकारियों के पास बड़े करदाता के सभी पंजीकृत संपत्ति के संबंध में  अखिल भारतीय अधिकार क्षेत्र है। पूर्व केंद्रीय उत्‍पाद और सेवा कर आयुक्‍तालय अधिकाररियों के पास समवर्ती अधिकार-क्षेत्र है।
एलटीयू आयकर अधिनियम, 1961, धन कर अधिनियम और कानून (प्रत्‍यक्ष कर के संदर्भ में), केंद्रीय उत्‍पाद अधिनियम, 1944 और नियम (केंद्रीय उत्‍पाद मामलों के संदर्भ में), सीमा अधिनियम/नियम (उत्‍पाद अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले कामकाज के संदर्भ में), वित्‍त अधिनियम, 1994 तथा सेवा कर अधिनियम (सेवा कर मामलों के संदर्भ) के तहत वर्तमान में अनिवार्य सभी कानूनी कामकाज करता है। एलटीयू के प्रशासन में एलटीयू के मुख्‍य आयुक्‍त और आयुक्‍त सक्रिय भूमिका अदा कर सकते हैं।
एलटीयू के तहत पंजीकरण की पात्रता बड़े कारदाता जो 30.09.2006 की अधिसूचना में उल्लिखित थ्रेशहोल्‍ड लिमिट से अधिक प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष कर का भुगतान करते हैं वे निम्‍नलिखित नियमों के अनुसार एलटीयू कि तहत पंजीकरण के पात्र हैं:
कोई व्‍यक्ति जो विनिर्माण या वस्‍तुओं का उत्‍पादन करता है या कर योग्‍य सेवा देता है जिसने वित्‍तीय वर्ष 2004-05 या एलटीयू के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन दाखिल करने वाले वर्ष के पूर्ववर्ती वित्‍तीय वर्ष के दौरान भुगतान किया है।

·         नकद या चालू खाते के जरिए पांच करोड़ रूपए से अधिक‍का उत्‍पाद शुल्‍क; या
·         नकद या चालू खाते के जरिए पांच करोड़ रूपए से अधिक का सेवा कर या
·         आयकर अधिनियम, 1961 के तहत 10 करोड रूपए से अधिक का अग्रिम कर।
एलटीयू के तहत पंजीकरण की पद्धति
एलटीयू के तहत पंजीकरण के लिए बड़े करदाता को एलटीयू प्रमुख के पास सहमति पत्र दाखिल करना होता है, उसके बाद उनकी फॉर्म संबंधी स्‍वीकृति की प्रक्रिया और अधिकार-क्षेत्र का स्‍थानांतरण होता है।
बड़े करदाता कम से कम 30 दिन पहले सूचित करके निम्‍नलिखित वित्‍तीय वर्ष के पहले दिन से बड़े करदाता में शामिल हो सकता है।
बड़े करदाता के लिए लागू विभिन्‍न प्रावधान  
जब बड़े करदाता एलटीयू के तहत पंजीकरण कराता है तो  सेवा कर, उत्‍पाद और सीईएनवीएटी क्रेडिट यथोचित परिवर्तन सहित इस पर लागू होंगे जैसे वह निम्‍नलिखित के विषयाधीन अन्‍य कर निर्धारिती पर लागू होते हैं :
1. केंद्रीय उत्‍पाद नियम, 2002 के नियम 12बीबी के तहत भुगतान किए गए अतिरिक्‍त शुल्‍क के सेल्‍फ-एडजस्‍टमेंट के संबंध में प्रावधान लागू होते हैं जिसमें बड़े करदाता की विनिर्माण उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं को अनुवर्ती अवधि में उसके द्वारा भुगतान की जाने वाले अतिरिक्‍त शुल्‍क में जोड़ने की अनुमति होती है।
2. सीईएनवीएटी के नियम 12 ए (4)  के तहत क्रेडिट के स्‍थानांतरण के संबंध में प्रावधान उसके किसी भी अन्‍य विनिर्माण और सेवा देने वाली इकायों पर लागू होते हैं।
3. सेवा कर रिटर्न दाखिल करने के संबंध में प्रावधान
4. केंद्रीय उत्‍पाद नियम, 2002 के नियम 12 बीबी और सीईएनवीएटी क्रेडिट नियम, 2004 के नियम 12 ए के तहत मध्‍यवर्ती वस्‍तुओं/ पूंजी वस्‍तुओं के स्‍थानांतरण के संबंध में प्रावधान लागू होते हैं। यह छूट कुछ शर्तों के साथ लागू होती हैं।      
5. निर्यात किए जाने वाले माल को सील बंद करने संबंधी प्रक्रिया : सभी बड़े करदाताओं के लिए निर्यात किए जाने वाले माल को स्‍वयं सील बंद करने की सुविधा उपलब्‍ध है। निर्यात के सबूत को स्‍वीकार करने की प्रक्रिया केवल बड़े करदाता इकाइयों (एलटीयू) के कार्यालय में ही पूरी की जाएगी। तथापि, प्रक्रिया में किसी प्रकार की कमी के कारण निर्यात किए जाने वाले माल को किसी भी हालत में रोका नहीं जाएगा। सीमा शुल्‍क अथवा केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क संबंधी क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा सील बंद करने की सुविधा पहले की तरह जारी रहेगी।
लेखा-परीक्षा प्रक्रिया :  किसी बड़े करदाता की जिसे हर वर्ष लेखा-परीक्षा करानी होती है, सामान्‍यता हर वर्ष लेखा-परीक्षा नहीं की जाएगी। मुख्‍य कार्यालय और सभी इकाइयों की लेखा-परीक्षा यथासंभव साथ-साथ की जाएगी। जहां तक वित्‍तीय रिकॉर्ड के उत्‍पादन का संबंध है बड़े करदाता को मांगने पर वित्‍तीय भंडारों और सेनवेट ऋण रिकॉर्ड इलेक्‍ट्रॉनिक रूप में जैसे कम्‍पैक्‍ट डिस्‍क अथवा टेप के रूप में उपलब्‍ध कराई जा सकती है, ताकि आवश्‍यकतानुसार जांच की जा सके।

योजना की स्‍वीकार्यता : बड़े करदाता इकाई (एलटीयू) योजना अखिल भारतीय स्‍तर पर 28 बड़े करदाताओं के साथ आरंभ की गई थी। इस समय 4 एलटीयू में 174 इकाइयां पंजीकृत हैं, इनमें बहु-स्‍थानीय ग्राहक, केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क पंजीयक और सेवा कर पंजीयक शामिल हैं। एलटीयू ने बंगलुरू में वर्ष 2012-13 के दौरान मात्र 12029 करोड़ रूपये का वार्षिक राजस्‍व एकत्र किया। इस योजना को शुरू किए जाने वाले वर्ष 2006-07 में 2369 करोड़ रूपये एकत्र हुए थे।

एलटीयू के अंतर्गत पंजीकरण के लाभ : एलटीयू के अधीन पंजीकृत करदाता को कई सुविधाएं प्राप्‍त होती है।

(क)  बड़े करदाता को (पेन आधारित इकाई) एक स्‍थान पर दस्‍तावेज जमा करने की सुविधा: वह अपने सभी प्रत्‍यक्ष कर, उत्‍पाद और सेवा शुल्‍क रिटर्न के साथ-साथ सभी दस्‍तावेज, पत्र-व्‍यवहार, सूचनाएं जैसे निर्यात/आयात संबंधी केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क दस्‍तावेज, बॉन्‍ड, निर्यात के प्रमाण आदि से संबंधित सभी दस्‍तावेज एलटीयू के पास जमा कराएं जा सकते है।

(ख)  एलटीयू में शामिल होने पर एक स्‍थान पर वरिष्‍ठ स्‍तरीय वार्तालाप: सहायक/उप/संयुक्‍त/अपर आयुक्‍त के स्‍तर का एक अधिकारी किसी/सभी कर संबंधी मामलों में सहायता के लिए ग्राहक कार्यकारी के रूप में नियुक्‍त किया जाएगा। इस कारण करदाता को एलटीयू के विभिन्‍न विभाग/अधिकारियों के साथ बातचीत करने की आवश्‍यकता नहीं है।

(ग)   एक बार कोई करदाता एलटीयू योजना का चुनाव कर लेता है तो पहले का सीमा क्षेत्र अधिकारी अपनी ओर से उस इकाई का दौरा नहीं करेगा और न ही उससे उत्‍पन्‍न किसी मामले पर बातचीत करेगा। तथापि, केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क नि‍यमों के अधीन इकाई के कार्यालय अथवा दस्तावेजों के व्‍यावहारि‍क नि‍यंत्रण और सत्‍यापन का कार्य एलटीयू के स्‍पष्‍ट नि‍र्देशों के तहत कमिश्‍नर के स्‍थानीय कार्यालय द्वारा कि‍या जाएगा।

(घ)    करदाता को इस बात की छूट होगी कि वह एक विनिर्माण इकाई अथवा सेवा में जमा केनवेट की आवश्‍यकता से अधिक राशि (केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अथवा सेवा कर की) अधिक राशि को एक सरल तरीके से अपनी पसंद की किसी दूसरी पात्र इकाई को स्‍थानंतरित कर सके।

(ङ)   पूंजीगत माल का बिना कर-उलटाव के लदान : एलटीयू करदाता को इस बात की सुविधा होगी की वह पूंजीगत माल को एक इकाई से अपनी पसंद की दूसरी इकाई में एक साधारण तरीके के जरिए कर-उलटाव की अदायगी के बिना ले जा सकता है। इसी प्रकार, एक इकाई का तैयार माल बिना शुल्‍क अदा किए दूसरी इकाई में हस्तांतरित कर सकता है। पर उसमें शर्त यह होगी कि दूसरी इकाई उस वस्‍तु को उत्‍पाद के तौर पर प्रयोग में लाएगी और उससे तैयार माल पर उत्‍पाद शुल्‍क अदा करेगी।

(च)   करदाताओं को अनिवार्य रूप से लेखा-परीक्षा के लिए नहीं कहा जा सकता। लेखा- परीक्षा के लिए करदाता का चयन खतरे के आकलन पर आधारित होगा। विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि लेखा-परीक्षा करने वालों का चयन करदाताओं की सलाह से किया जाए ताकि करदाता को कम से कम असुविधा हो।

(छ)  यह सुनिश्चित किया जाएगा कि करदाता की विभिन्‍न इकाइयों के लिए वर्गीकरण, मूल्‍यांकन, ऋण की उपलब्‍धता और इससे मिलते-जुलते अन्‍य मामलों के साथ व्‍यवहार में एकरूपता अपनाई जाएगी। एलटीयू द्वारा व्‍यापार नोटिस एक स्‍थान से जारी किए जाएंगे।

(ज)  छूट/रिफंड के दावे यदि सही है तो उनका समयबद्ध तौर पर 30 दिन के भीतर निपटान किया जाएगा।

(झ)  स्‍वचालन का प्रयोग : रिफंड इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से जमा किए जा सकते है और करों की अदायगी भी इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके की जा सकती है। संचार या पत्र व्‍यवहार के लिए ई-मेल के अधिकाधिक प्रयोग को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है।

(ञ)   विवादों के निपटान के लिए संवादमूलक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। कारण बताओं का कोई नोटिस जारी करने से पहले यथासंभव विवाद को बातचीत के जरिए हल किया जाता है।

एलटीयू संबंधी संयुक्‍त समिति
एलटीयू के प्रशासनिक मुद्दों की जांच के लिए अगस्‍त, 2012 में एक संयुक्‍त समिति गठित की गई थी ताकि उन्‍हें अधिक कारगर और कुशल बनाया जा सके। समिति की प्रमुख सिफ़ारिशें इस प्रकार है:-
आईसीएआई, आईआईएमएस/एमडीआई जैसी सुप्रसिद्ध संस्‍थाओं के उच्‍च-अधिकारियों (अधीक्षक/निरीक्षक) को वित्‍तीय लेखांकन में प्रशिक्षण
आसूचना एंजेसियों में समन्‍वय स्‍थापित करने और गुप्‍त जानकारी एकत्र करने के लिये प्रत्‍येक एलटीयू में अनुसंधान और कारोबार आसूचना इकाइयां बनाई जाएंगी

50 बड़े करदाताओं के प्रशासन का काम देखने के लिए प्रत्‍येक एलटीयू में 12 लेखा-परीक्षा समूहों का गठन। बड़े शहरों में एलटीयू इकाइयों की लेखा-परीक्षा करने के लिए एलटीयू लेखा-परीक्षा समूह बनाएं जा सकते है। ये सीधे एलटीयू आयुक्‍त के निरीक्षण में काम करेगे। साथ ही कोलकाता, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद में अतिरिक्‍त एलटीयू भी गठित किए जा सकते है क्‍योंकि इन क्षेत्रों में बड़े करदाताओं की संख्‍या अधिक है।      

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