निर्वाचन आयोग ने उन पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चुनाव से छह महीने पहले सामान्य चुनाव चिन्ह आवंटित करने का फैसला किया है जो किसी राज्य में न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटों के लिए आम चुनाव (लोकसभा या विधानसभा) लड़ रहे हों। इससे पहले पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चुनाव की अधिसूचना की तारीख के निकट सामान्य चुनाव चिन्ह आवंटित करने का प्रावधान था। संशोधित प्रावधान के अनुसार कोई राजनीतिक दल सम्बद्ध सदन की अवधि समाप्त होने की तारीख से छह महीने पहले किसी भी समय सामान्य चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन कर सकता है।
यदि कोई सदन अवधि समाप्त होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो सामान्य चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन सदन भंग होने की तारीख से किया जा सकता है। चुनाव चिन्ह का आवंटन सभी प्रकार से परिपूर्ण आवेदन प्राप्त होने के बाद किया जाएगा और यह आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा। यदि दो राजनीतिक दलों के आवेदन एक ही दिन प्राप्त होते हैं, और दोनों ने समान चिन्ह के लिए आवेदन किया हो, तो मामले का निपटारा ड्रा के द्वारा किया जाएगा। किंतु ऐसे मामलों में यदि किसी एक पार्टी के किसी वर्तमान सांसद या विधायक ने उसी चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ा होगा तो चिन्ह आवंटित करने में अन्य पार्टी की तुलना में उसकी पार्टी को वरीयता दी जाएगी।
आवेदन करते समय सम्बद्ध राजनीतिक दल को यह शपथ पत्र देना होगा कि वह राज्य के 10 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ेगा। किसी राज्य में विधान सभा की 40 सीटें या उससे कम होने की स्थिति में राजनीतिक दल को न्यूनतम पांच सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। लोकसभा चुनाव के मामले में यदि किसी राज्य में लोकसभा की सीटें 20 से कम होंगी तो पार्टी को कम से कम दो सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। ऐसे दल को उन निर्वाचन क्षेत्रों की सूची आयोग को देनी होगी जिनसे वह चुनाव लड़ रहा है।
यदि कोई राजनीतिक दल सदन की अवधि समाप्त होने से तीन महीने पहले अथवा सदन भंग होने की स्थिति में एक महीने के भीतर चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन करता है तो पार्टी को चुनाव चिन्ह के लिए प्रस्ताव करने का विकल्प होगा। ऐसे मामले में पार्टी को चुनाव चिन्ह का डिजाइन और ड्राइंग आयोग की मंजूरी के लिए प्रस्तुत करना होगा। प्रस्तावित प्रतीक किसी आरक्षित या मुक्त प्रतीक से मिलता जुलता नहीं होना चाहिए अथवा किसी धार्मिक या सांप्रदायिक अर्थ वाला नहीं होना चाहिए अथवा किसी पक्षी या पशु को दर्शाने वाला नहीं होना चाहिए। अन्य मामलों में प्रतीक का विकल्प केवल मुक्त प्रतीकों की अधिसूचित सूची में से चुनना होगा।
सभी राजनीतिक दलों को सामान्य चुनाव चिन्ह के आवंटन की सुविधा केवल एक बार ही दी जाएगी। यह पार्टियों को तय करना होगा कि वे इस सुविधा का लाभ किस चुनाव में उठाना चाहती हैं। नए प्रावधान 15 जुलाई, 2013 से लागू होंगे।
यदि कोई सदन अवधि समाप्त होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो सामान्य चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन सदन भंग होने की तारीख से किया जा सकता है। चुनाव चिन्ह का आवंटन सभी प्रकार से परिपूर्ण आवेदन प्राप्त होने के बाद किया जाएगा और यह आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा। यदि दो राजनीतिक दलों के आवेदन एक ही दिन प्राप्त होते हैं, और दोनों ने समान चिन्ह के लिए आवेदन किया हो, तो मामले का निपटारा ड्रा के द्वारा किया जाएगा। किंतु ऐसे मामलों में यदि किसी एक पार्टी के किसी वर्तमान सांसद या विधायक ने उसी चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ा होगा तो चिन्ह आवंटित करने में अन्य पार्टी की तुलना में उसकी पार्टी को वरीयता दी जाएगी।
आवेदन करते समय सम्बद्ध राजनीतिक दल को यह शपथ पत्र देना होगा कि वह राज्य के 10 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ेगा। किसी राज्य में विधान सभा की 40 सीटें या उससे कम होने की स्थिति में राजनीतिक दल को न्यूनतम पांच सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। लोकसभा चुनाव के मामले में यदि किसी राज्य में लोकसभा की सीटें 20 से कम होंगी तो पार्टी को कम से कम दो सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। ऐसे दल को उन निर्वाचन क्षेत्रों की सूची आयोग को देनी होगी जिनसे वह चुनाव लड़ रहा है।
यदि कोई राजनीतिक दल सदन की अवधि समाप्त होने से तीन महीने पहले अथवा सदन भंग होने की स्थिति में एक महीने के भीतर चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन करता है तो पार्टी को चुनाव चिन्ह के लिए प्रस्ताव करने का विकल्प होगा। ऐसे मामले में पार्टी को चुनाव चिन्ह का डिजाइन और ड्राइंग आयोग की मंजूरी के लिए प्रस्तुत करना होगा। प्रस्तावित प्रतीक किसी आरक्षित या मुक्त प्रतीक से मिलता जुलता नहीं होना चाहिए अथवा किसी धार्मिक या सांप्रदायिक अर्थ वाला नहीं होना चाहिए अथवा किसी पक्षी या पशु को दर्शाने वाला नहीं होना चाहिए। अन्य मामलों में प्रतीक का विकल्प केवल मुक्त प्रतीकों की अधिसूचित सूची में से चुनना होगा।
सभी राजनीतिक दलों को सामान्य चुनाव चिन्ह के आवंटन की सुविधा केवल एक बार ही दी जाएगी। यह पार्टियों को तय करना होगा कि वे इस सुविधा का लाभ किस चुनाव में उठाना चाहती हैं। नए प्रावधान 15 जुलाई, 2013 से लागू होंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें