संयुक्त
राष्ट्र महासचिव श्री बान की मून ने जिनेवा में पहली जुलाई को संयुक्त राष्ट्र की
वैश्विक नवाचार सूची 2013 रिपोर्ट को प्रस्तुत किया । इस वर्ष
की रिपोर्ट में नवाचार में स्थानीय परिस्थितियों के महत्व पर जोर दिया गया है,
जिन्हें
विश्व स्तर पर इतने दिनों तक नजरअंदाज किया गया ।
इस
रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट हुई है कि स्थानीय परिस्थितियों का नवाचार में बहुत
महत्व है और एक स्थान के सफल प्रयोगों को स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान रखे बिना,
दूसरी
जगहों पर दोहराया नहीं जा सकता ।
इस
रिपोर्ट में एक अध्याय राष्ट्रीय नवाचार परिषद के नवाचार समूहों के ऊपर है । इन
समूहों के प्रयासों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के सलाहकार श्री सैम पित्रोदा
द्वारा की गई । नवाचार समूहों का यह प्रयास राष्ट्रीय नवाचार परिषद ने वर्ष 2011
में इस उद्देश्य से शुरू किया था कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम
उद्यम (एमएसएमई) वैश्विक प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने के साथ-साथ भारत में उद्यम
को सशक्त करेगा । इस प्रयास के बारे में श्री सैम पित्रोदा का कहना था कि
प्रौद्योगिकी,प्रतिभा, संसाधन, योग्यता
इत्यादि की कमी के कारण हमारे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर पिछड़ जाते हैं ।
इन
चुनौतियों का सामना करने के लिए राष्ट्रीय नवाचार परिषद ने एक विशिष्ट योजना आरंभ
की । स्थानीय उद्योग के संघ से जुड़कर नवाचार समूहों के केंद्र गठित किए जिससे कि
स्थानीय स्तर पर नवाचार का माहौल बना । सभी साझेदारों से मिलकर नवाचार समूहों की
आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय नवाचार परिषद से तालमेल बैठाया गया ।
राष्ट्रीय
नवाचार परिषद ने प्रायोगिक स्तर पर 7 सूक्ष्म, लघु और मध्यम
उद्यम समूहों की शुरुआत की है । इनमें वाहनों के कलपुर्जों के लिए फरीदाबाद,
हरियाणा;
आयुर्वेद
के लिए त्रिशूर, केरल; बांस समूह के लिए अगरतला, त्रिपुरा;
जैव
प्रौद्योगिकी और औषधि समूह के लिए अहमदाबाद, गुजरात;पीतल
की वस्तुओं के लिए मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश; खाद्य
प्रसंस्करण समूह के लिए कृष्णागिरी,तमिलनाडु और फर्नीचर समूह के लिए
एर्णाकुलम, केरल शामिल हैं । राष्ट्रीय नवाचार परिषद ने39
विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर नवाचार की क्षमताओं को सुदृढ़ बनाया । इससे कुल
मिलाकर 10 नए उत्पादों को विकसित किया गया, 12 प्रक्रियाओं को
बेहतर बनाया गया और उद्यमियों की मदद के लिए 2 केंद्रों की
स्थापना की गई ।
वैज्ञानिक
एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद इस प्रयास में एक प्रमुख भागीदार है और अपनी
प्रयोगशालाओं में चल रहे शोध के आधार पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम
उद्यम समूहों की सहायता करता है । सीएसआईआर-800 कार्यक्रम के
माध्यम से अब तक अपनी प्रयोगशालाओं में विकसित प्रौद्योगिकियों को एमएसएमई समूहों
को उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है । इन प्रयासों की सफलता को देखते हुए राष्ट्रीय
नवाचार परिषद सार्वजनिक तथा निजी संस्थानों से नए साझीदारों की तलाश में है ताकि
देशभर में इस मॉडल को दोहराया जा सके ।
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