बुधवार, 24 जुलाई 2013

तेजाबी हमलों पर रोक के लि‍ए कानूनी प्रावधान तथा नए दि‍शा-नि‍र्देश

 देश के वि‍भि‍न्‍न हि‍स्‍सों में लड़कि‍यों और युवति‍यों पर तेजाब फेंककर उन्‍हें कुरूप बनाने का बेहद घि‍नौना अपराध सरकार के लि‍ये बहुत बड़ी चुनौती बन रहा था। इससे नि‍बटने की कवायद के दौरान ही केंद्र सरकार ने स्‍थि‍ति‍ की गंभीरता को देखते हुये भारतीय दंड संहि‍ता में दो नयी धारायें जोड़ने का नि‍श्‍चय कि‍या था। इस तरह की घटनाओं पर देश की शीर्ष अदालत ने कड़ा रूख अपनाया है। संसद ने भारतीय दंड संहि‍ता की धारा 326 में संशोधन कर इसमें धारा 326 क और धारा 326 ख जोड़ने संबंधी वि‍धेयक को मंजूरी दी जि‍से दो अप्रैल को राष्‍ट्रपति‍ की संस्‍तुति‍ भी मि‍ल गयी। धारा 326 खतरनाक हथि‍यारों से चोट पहुंचाने से संबंधि‍त है। इस धारा के तहत ऐसे अपराध के लि‍ए दस साल से लेकर उम्र कैद तक की सज़ा का प्रावधान है। सरकार ने भारतीय दंड संहि‍ता में संशोधन करने का यह नि‍र्णय वि‍धि‍ आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लि‍या था।

 वि‍धि‍ आयोग ने अपनी रि‍पोर्ट में इस अपराध के लि‍ए कम से कम दस साल और अधि‍कतम उम्र कैद की सज़ा और दस लाख रूपए जुर्माने की सि‍फारि‍श की थी। आयोग ने जुर्माने की यह राशि‍ पीड़ि‍त को देने का प्रावधान कानून में ही करने का सुझाव दि‍या था।

 वि‍धि‍ आयोग ने कई देशों के कानूनों की छानबीन के बाद अपनी रि‍पोर्ट तैयार की थी। आयोग का मत था कि‍ तेजाब के हमले के पीड़ि‍तों के लि‍ए ही नहीं बल्‍कि‍ बलात्‍कार और यौन उत्‍पीड़न जैसे अपराधों से पीड़ि‍त को भी मुआवजा दि‍लाने और उनके पुनर्वास के लि‍ए देश में केंद्र, राज्‍य और जि‍ला स्‍तर पर मुआवजा बोर्ड बनाने की आवश्‍यकता है।

 भारतीय दंड संहि‍ता में शामि‍ल धारा 326 क का संबंध कि‍सी व्‍यक्‍ति‍ द्वारा जानबूझ कर कि‍सी व्‍यक्‍ति‍ पर तेजाब फेंक उसे स्‍थाई या आंशि‍क रूप से उसे कुरूप बनाये या शरीर के वि‍भि‍न्‍न अंगों को गंभीर रूप से जख्‍मी करने जाने से है। यह एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है और इ‍सके लि‍ये दोषी व्‍यक्‍ति‍‍ को कम से कम दस साल और अधि‍कतम उम्र कैद की सज़ा हो सकती है। इसके साथ ही उस पर उचि‍त जुर्माना भी कि‍या जायेगा और जुर्माने की रकम पीड़ि‍त को देने का इसमें प्रावधान है। 

 धारा 326 ख का संबंध कि‍सी व्‍यक्‍ति‍ द्वारा जानबूझ कर कि‍सी व्‍यक्‍ति‍ पर तेजाब फेंकने या तेजाब फेंकने के प्रयास के अपराध से है। यह भी संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है और इसके लि‍ये कम से कम पाँच साल और अधि‍कतम सात साल तक की सज़ा हो सकती है। इसके अलावा दोषी पर जुर्माना भी कि‍या जाएगा।

 यह सही है कि सरकार ने तेजाब के हमले की बढ़ती घटनाओं से नि‍बटने के लि‍ये इसे भारतीय दंड संहि‍ता की धारा 326 में शामि‍ल कर लि‍या था। तेजाब के दायरे से सभी क्षयकारक और  ज्‍वलनशील प्रकृति‍ के पदार्थों को शामि‍ल कि‍या गया है।

 इन प्रावधानों के बावजूद उच्‍चतम न्‍यायालय चाहता था कि‍ सरकार राज्‍यों और केंद्र शासि‍त प्रदेशों में तेजाब ‍की बि‍क्री नि‍यंत्रि‍त की जाये और यह सुनि‍श्‍चित कि‍या जाये कि‍ यह ज्‍वलनशील पदार्थ कुंठि‍त तथा असामाजि‍क तत्‍वों के हाथ नहीं पहुंच सके और वे महि‍लाओं सहि‍त कि‍सी को भी जख्‍मी करने के लि‍ये इसे हथि‍यार के रूप में इस्‍तेमाल नहीं कर सकें।

 न्‍यायालय की सख्‍ती को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी तेजाब की बि‍क्री नि‍यंत्रि‍त करने के इरादे से वि‍ष अधि‍नि‍यम 1919 के अंतर्गत आदर्श नि‍यम तैयार कि‍ये। केंद्र सरकार द्वारा तत्‍परता से बनाये गये इन नि‍यमों के आलोक में अब न्‍यायालय चाहता है कि सभी राज्‍य सरकारें तीन महीने के भीतर तेजाब और क्षयकारक पदार्थों की बि‍क्री को नि‍यंत्रि‍त करने और तेजाब के हमले को गैर जमानती अपराध बनाने संबंधी कानून बनायें।

 चूंकि‍ संसद पहले ही अपराध कानून संशोधन अधि‍नि‍यम, 2013 को पारि‍त कर चुकी है और इसे राष्‍ट्रपति‍ की संस्‍तुति भी मि‍ल गयी है, इसलि‍ए इस अधि‍नि‍यम के अंतर्गत भारतीय दंड संहि‍ता की धारा 326 में कि‍ये गये संशोधनों के मद्देनजर राज्‍य सरकारों को इस बारे में कानून और नि‍यम बनाने में बहुत अधि‍क परेशानी नहीं होगी।

 इससे पहले, तेजाब के हमलों की गंभीरता देखते हुए तेजाब के हमले की शि‍कार युवती के पुनर्वास या उसके आश्रि‍तों को मुआवजा दि‍लाने के लि‍ये उचि‍त कोष तैयार करने के इरादे से अपराध प्रक्रि‍या संहि‍ता में संशोधन करके इसमें धारा 357-क जोड़ी गयी थी। इस धारा के अंतर्गत केंद्र सरकार से तालमेल करके राज्‍य सरकारों को ऐसी योजना तैयार करनी है जि‍सके तहत तेजाब के हमले की शि‍कार युवती के पुनर्वास या उसके आश्रि‍तों को मुआवजा दि‍लाने के लि‍ये उचि‍त कोष तैयार कि‍या जा सके। 

 यह प्रावधान हालांकि 31 दि‍संबर, 2009 से प्रभावी है और राज्‍य सरकारों को इस दि‍शा में ठोस कदम उठाने हैं। तेजाब की बिक्री नि‍यंत्रि‍त करने और तेजाब तथा ऐसे ही दूसरे ज्‍वलनशील पदार्थों से लड़कि‍यों को जख्‍मी करने की समस्‍या से नि‍बटने के प्रति‍ राज्‍य सरकारों के उदासीन रवैये के कारण ही उच्‍चतम न्‍यायालय ने ऐसे हमलों के प्रत्‍येक पीड़ि‍तों के इलाज और उपचार के लि‍ए तीन लाख रूपये मुआवजा देने का नि‍र्देश राज्‍य सरकारों को दि‍या है। ऐसे हमले की जानकारी मि‍लने के 15 दि‍न के भीतर ही राज्‍य सरकार को पीड़ि‍त को एक लाख रूपये मुआवजे के रूप में देने होंगे और शेष रकम का भुगतान दो महीने के भीतर करना होगा।

 न्‍यायालय ने तेजाब और दूसरे क्षयकारी पदार्थों की बि‍क्री सि‍र्फ लाइसेंसधारी बि‍क्रेताओं के माध्‍यम से करने और सि‍र्फ फोटो पहचान पत्र के आधार पर ही खरीददार को यह पदार्थ बेचने के नि‍यम पर अपनी मुहर लगा दी है। यही नहीं, वि‍क्रेताओं को अपने स्‍टॉक की जानकारी संबंधि‍त अधि‍कारि‍यों को देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर अघोषि‍त स्‍टॉक जब्‍त कर लि‍या जाएगा और ऐसे वि‍क्रेताओं पर 50 हजार रूपये तक का जुर्माना कि‍या जा सकेगा।

 तेजाब के हमले की सबसे अधि‍क घटनाएं बांग्लादेश में होती है। पाकि‍स्‍तान और अफगानि‍स्‍तान भी इससे अछूते नहीं है। तेजाब के हमलों से पीड़ि‍तों के एक संगठन के अनुसार दुनि‍या भर में हर साल करीब 1500 तेजाब के हमले होते हैं। लेकि‍न जहां हमारे देश का सवाल है तो यहां ऐसे हमलों के आधि‍कारि‍क आंकड़े उपलब्‍ध नहीं हैं। लेकि‍न एक अध्‍ययन के अनुसार 2000 में देश में तेजाब के हमले के 174 मामले प्रकाश में आए थे जबकि‍ 1999 से 2004 की अवधि‍ में अकेले कर्नाटक में ही एसी 35 घटनाएं हुईं जि‍नकी संख्‍या 2007 तक बढ़कर 60 से भी ज्‍यादा हो गई थीं।

 देश में तेजाब के हमलों की शि‍कार अकसर 16 से 25 साल की युवति‍यां ही होती हैं। कर्नाटक में ही नहीं बल्‍कि‍ महाराष्‍ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, बि‍हार, दि‍ल्‍ली और कई अन्‍य राज्‍यों में भी एकतरफा प्‍यार के कारण कुंठि‍त मानसि‍कता वाले युवकों द्वारा युवति‍यां तेजाब के हमलों की शि‍कार हुई हैं। तेजाब के हमलों से जख्‍मी युवती का चेहरा मुख्‍य रूप से कुरूप हो जाता है। इसके उपचार और प्‍लास्‍टि‍क सर्जरी जैसे उपाय करने पर लाखों रूपयों का खर्च आता है।

 ऐसी स्‍थि‍ति‍ में जरूरी है कि‍ तेजाब और ज्‍वलनशील पदार्थों के हमलों के पीड़ि‍तों के इलाज और पुनर्वास की ओर राज्‍य सरकारें अधि‍क गंभीरता से ध्‍यान ही नहीं दें बल्‍कि‍ धारा 354 में प्रस्‍तावि‍त कोष यथाशीघ्र बनाए ताकि‍ पीड़ि‍तों को प्‍लास्‍टि‍क सर्जरी जैसे महंगे इलाज के लि‍ए समय से आर्थि‍क सहायता मि‍ल सके।

pib

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