सोमवार, 8 जुलाई 2013

भारत और अलबानिया गणराज्‍य में दोहरे कराधान को टालने संबंधी समझौता


भारत और अलबानिया ने आज आय और पूंजी पर लगाए जाने वाले कर (डीटीएए) मामले में दोहरे कराधान को टालने तथा वित्‍तीय वंचना को रोकने संबंधी समझौते पर हस्‍ताक्षर किए। भारत की ओर से केन्‍द्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड की अध्‍यक्ष डॉक्‍टर सुधा शर्मा और अलबानिया की ओर से राजदूत फटोस करसीकू ने हस्‍ताक्षर किए।

इस समझौते में यह प्रावधान है‍कि किसी उद्यम की गतिविधियां स्रोत देश में स्‍थाई स्‍टैबलिशमेंट के रूप में है तो स्रोत राज्‍य में कारोबारी लाभ पर कर लगाया जाएगा। समझौते में निश्चित स्‍थान पर स्‍थाई स्‍टैबलिशमेंट, बिल्डिंग साइट, स्‍थाई स्‍टैबलिशमेंट का निर्माण, स्‍थाई स्‍टैबलिशमेंट सेवा और स्‍थाई स्‍टैबलिशमेंट एजेंसी की व्‍यवस्‍था है।

लाभांश, ब्‍याज और रॉयल्‍टी तथा तकनीकी सेवा आय के लिए फीस पर निवास वाले देश और स्रोत देश दोनों में कर लगाया जाएगा। लाभांश (10 प्रतिशत), ब्‍याज (10 प्रतिशत) तथा रॉयल्‍टी और तकनीकी सेवाओं के लिए फीस (10 प्रतिशत) पर दर रोकने के निचले स्‍तर से निवेश को बढ़ावा मिलेगा तथा दोनों देशों के बीच टैक्‍नालॉजी और तकनीकी सेवाओं का प्रवाह बढेगा। इस समझौते में अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुसार दोनों देशों के कर अधिकारियों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान का भी प्रावधान है। इस प्रावधान में बैंकिंग सूचना तथा घरेलू ब्‍याज का सहारा लिए बिना सूचना की सप्‍लाई शामिल है। इस समझौते से भारत और अलबानिया के निवासियों को कर स्थिरता प्राप्‍त होगी और दोनों देशों में पारसरिक आर्थिक सहयोग बढ़ेगा। 

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