राष्ट्रीय
खाद्य सुरक्षा अध्यादेश एक ऐतिहासिक पहल है जिसके जरिए जनता को पोषण खाद्य और
पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। इसके जरिए लोगों को काफी मात्रा में अनाज
वाजिब दरों पर पाने का अधिकार मिलेगा। खाद्य सुरक्षा विधेयक का खास जोर गरीब से
गरीब व्यक्ति, महिलाओं और बच्चों की जरूरतें पूरी करने पर
होगा। अगर लोगों को अनाज नहीं मिल पाया तो उन्हें खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया
जायेगा। इस विधेयक में शिकायत निवारण तंत्र की भी व्यवस्था है। अगर कोई जन सेवक
या अधिकृत व्यक्ति इसका अनुपालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ शिकायत की सुनवाई हो
सकेगी। इस विधेयक की अन्य खास बातें निम्नलिखित हैं-
दो
तिहाई आबादी को मिलेगा ऊंची सब्सिडी वाला अनाज
देश
की 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी जनसंख्या को हर महीने
बहुत ऊंची सब्सिडी वाली दरों पर यानी तीन रूपये, दो रूपये,
एक
रूपये प्रति किलो चावल, गेहूं और मोटा अनाज पाने का अधिकार होगा। इससे
हमारी 1.2 अरब आबादी के दो तिहाई भाग को लक्षित सार्वजनिक वितरण व्यवस्था
(टीपीडीएस) के अंतर्गत सब्सिडी वाला अनाज पाने का हक मिलेगा।
अति
गरीब को 35 किलो प्रति परिवार मिलता रहेगा अनाज
समाज
के अति गरीब वर्ग के हर परिवार को हर महीने अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत तीन
रूपये, दो रूपये, एक रूपये की दरों पर सब्सिडी वाले अनाज की
आपूर्ति जारी रहेगी। यह भी प्रस्ताव है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को
मौजूदा दर पर अनाज की आपूर्ति होती रहेगी और इसे तभी कम किया जायेगा, जब
पिछले तीन वर्षों तक उनकी औसत उठान इससे कम हो।
पात्र
परिवारों की पहचान करेंगी राज्य सरकारें
अखिल
भारतीय स्तर की शहरी आबादी के 50 प्रतिशत और ग्रामीण जनसंख्या के 75
प्रतिशत को इस योजना के अंतर्गत लाभान्वित करने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा किया
जायेगा। इस मामले में पात्र परिवारों की पहचान की जिम्मेदारी राज्यों/केंद्र
शासित प्रदशों पर छोड़ दी गई है जो इसके लिए अगर चाहें तो सामाजिक आर्थिक और जाति
जनगणना के आँकड़ों के आधार पर मापदंड बना सकते हैं।
महिलाओं
और बच्चों को विशेष रूप से पोषण संबंधी सहायता
इस
विधेयक में महिलाओं और बच्चों के पोषण संबंधी समर्थन पर खासतौर पर जोर दिया जा रहा है। गर्भवती
महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताएं निर्धारित पोषण संबंधी मापदंडों के अनुरूप पोषक
भेाजन पाने की हकदार होंगी। उन्हें कम से कम 6 हजार रुपये
मातृत्व लाभ भी मिलेगा। 6 महीने से 14 वर्ष तक की आयु
वर्ग तक के बच्चे घर पर राशन पाने अथवा पोषण संबंधी मापदंडों के आधार पर गर्म पका
भोजन पाने के हकदार होंगे।
अनाज
की आपूर्ति न होने पर खाद्य सुरक्षा भत्ता
केंद्र
सरकार राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को निधियां प्रदान करेंगी जिसे वे अनाज की
आपूर्ति कम होने पर इस्तेमाल कर सकेंगे। अगर अनाज की आपूर्ति बिल्कुल नहीं की
जाती तो ये व्यक्ति भोजन पाने के हकदार होंगे और संबंधित राज्य/संघ शासित सरकार
को उन्हें ऐसा खाद्य सुरक्षा भत्ता देना होगा जैसा कि केंद्र सरकार लाभार्थियों
के लिए निर्धारित करे।
खाद्यान्नों
की राज्य से बाहर ढुलाई और रख-रखाव के लिए राज्यों को सहायता
अतिरिक्त
वित्तीय बोझ के संबंध में राज्यों की चिंता को दूर करने के लिए केंद्र सरकार
खाद्यान्नों की राज्य से बाहर ढुलाई और रख-रखाव तथा उचित दर दुकानदारों के मुनाफे के बारे में राज्यों को सहायता उपलब्ध
कराएगी। जिसके लिए मानक विकसित किये जाएंगे। इससे खाद्यान्नों की समय पर ढुलाई और
प्रभावी रख-रखाव सुनिश्चित हो जाएगा।
खाद्यान्नों
की घर-घर तक आपूर्ति के लिए सुधार
इस
विधेयक में खाद्यान्नों की घर-घर तक आपूर्ति, कंप्यूटरीकरण
सहित सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का अनुप्रयोग, लाभार्थियों की
विशिष्ट पहचान के लिए 'आधार' का लाभ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के
प्रभावी कार्यान्वयन के लिए टीपीडीएस आदि के अधीन उपभोक्ता वस्तुओं की विविधता
को सार्वजनिक वित्तरण प्रणाली में सुधार लाने के प्रावधान शामिल हैं।
महिला
सशक्तिकरण-सबसे बुजर्ग महिला घर की मुखिया होगी
18
साल या अधिक की महिला राशन कार्ड जारी करने के लिए घर की मुखिया होगी। अगर ऐसा नहीं
है तो सबसे बड़ा पुरूष सदस्य घर का मुखिया होगा।
जिला
स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र
राज्य
और जिला स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित होगा जिसमें नियत अधिकारी तैनात किए
जाएंगे। राज्यों को नए निवारण तंत्र की स्थापना पर होने वाले व्यय को बचाने के
लिए अगर वे चाहें तो जिला शिकायत निवारण अधिकारी (डीजीआरओ), राज्य खाद्य
आयोग के लिए वर्तमान तंत्र को प्रयोग करने की अनुमति होगी। निवारण तंत्र में कॉल
सेंटर, हेल्प- लाइन आदि भी शामिल किये जा सकते हैं।
पारदर्शिता
और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा और सतर्कता समितियां
पारदर्शिता
और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित रिकॉर्ड
सार्वजनिक करने के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा और सतर्कता समितियां स्थापित करने के
प्रावधान भी किये गये हैं।
अनुपालन
न करने पर जुर्माना
जिला
शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा सिफारिश की गई राहत का अनुपालन करने में असफल रहने
के दोषी पाये जाने पर जनसेवक या नियत अधिकारी पर जुर्माना लगाने का भी इस विधेयक
में प्रावधान है।
व्यय
प्रस्तावित
पात्रता के अनुसार 2013-14 के लिए कुल अनुमानित वार्षिक खाद्यान्न
आवश्यकता 612.3 लाख टन है और इसकी लागत लगभग 1,24,724
करोड़ रूपये होगी।
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