विज्ञान
और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने अनुसंधान
एवं विकास के क्षेत्र में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने के बारे एक श्वेत पत्र
जारी किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और भू-विज्ञान मंत्री श्री जयपाल रेड्डी
इस अवसर पर मौजूद थे।
श्री
जयपाल रेड्डी ने इस अवसर पर कहा कि व्यापारिक उद्यम नवाचार के प्रमुख स्रोतों में
से एक हैं। अधिकतर देशों में वे अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को अंजाम देने और
उनके लिए धन की व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं और सरकारें
अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार गतिविधियों में व्यापार क्षेत्र का निवेश बढ़ाने
की दिशा में पहले से कहीं अधिक सक्रिय हैं। वैश्विक प्रतिस्पर्धा ने देशों को व्यापार
क्षेत्र की नवाचार क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
मंत्री
ने कहा कि भारत सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति से पहले
अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र का निवेश आकर्षित करने के लिए विशेष जोर
देती रही है ताकि उसे सरकारी निवेश के बराबर किया जा सके (यानी सरकारी और निजी
प्रत्येक क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत योगदान कर सके)। श्री रेड्डी
ने प्रधानमंत्री की उस अपील को दोहराया जिसमें उन्होंने निजी क्षेत्र से अनुसंधान
एवं विकास में सरकारी क्षेत्र के समान योगदान करने को कहा था। उन्होंने कहा कि इस
वर्ष भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 2013 की
विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति में भी अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र
का निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया था। श्री रेड्डी ने निजी क्षेत्र का
आह्वान किया कि वह देश की जनता के कल्याण और खुशहाली के लिए सरकारी-निजी भागीदारी
के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के साथ मिल कर काम करे।
उन्होंने
कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए 1,20,430
करोड़ रुपये के सरकारी निवेश का प्रावधान किया गया है। अनुसंधान एवं विकास में
निजी क्षेत्र के निवेश के वर्तमान स्तर को देखते हुए इस क्षेत्र में करीब आठ गुणा
बढ़ोतरी अनिवार्य है। सरकारी और निजी, दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह एक महत्वाकांक्षी
लक्ष्य है। श्री रेड्डी ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास और स्वच्छ उर्जा के बारे
में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए व्यापार एवं उद्योग संबंधी प्रधानमंत्री की
परिषद की उप-समिति की सिफारिशों का अनुपालन करते हुए ''अनुसंधानएवं
विकास में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने के लिए उद्योग एवं सरकारी क्षे्त्र की एक
संयुक्त समिति का गठन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किया गया ताकि भारत
में अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र का योगदान बढ़ाने संबंधी जरूरतें पूरी
करने के लिए मिल कर एक श्वेत पत्र तैयार किया जा सके। संयुक्त समिति द्वारा
तैयार किया गया श्वेत पत्र आपके हाथ में है। समिति ने 6 महत्वपूर्ण
सिफारिशें की हैं जिन पर उद्योग और सरकार को अमल करना है। ये सिफारिशें इस प्रकार
हैं : वैश्विक मानदंड के अनुसार अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को
पुन: प्रभाषित करना; निजी क्षेत्र द्वारा अनुसंधान एवं विकास संबंधी
निवेश का अनिवार्य रूप से प्रकटीकरण; प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रोत्साहनों
के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश संबंधी शीर्षों को युक्तिसंगत बनाना; बौद्धिक
संपदा अधिकारों का मूल्यांकन एवं प्रोत्साहन; राष्ट्रीय
प्राथमिकता क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए उद्योग क्षेत्र में
प्रौद्योगिकी सुद़ृढ़ करना और अनुसंधान एवं विकास के व्यावसायीकरण को प्रोत्साहित
करना। उन्होंने संयुक्त समिति के सह अध्यक्षों, टाटा स्टील के
उपाध्यक्ष श्रीबी मुतुरमन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डा टी
रामासामी और समिति के सदस्यों श्री भरतिया, डा. नौशाद
फोर्ब्स, श्री क्रिस गोपालकृष्णन, डा. ब्रह्मचारी डा. शैलेश नायक और जैव
प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव डा. भान को श्वेत पत्र तैयार करने के लिए बधाई
दी।
श्री
रेड्डी ने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अनुसंधान और उद्योग के
बीच विज्ञान के क्षेत्र में परस्पर सहयोग मजबूत बनाने के लिए अनेक उपाय किए हैं।
इनमें से कुछ इस प्रकार हैं :-
(1) भारतीय
प्रौद्योगिकी नेतृत्व संबंधी नए सहस्राब्दि उपाय।
(2) जैव
प्रौद्योगकी भागीदारी कार्यक्रम
(3) लघु
व्यापार नवाचार अनुसंधान उपाय
(4) जैव
प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनुबंध अनुसंधान और सेवा कार्यक्रम
(5) औषधि
एवं फार्मास्यूटिकल्स अनुसंधान कार्यक्रम के अंतर्गत उद्योग-संस्थान संयुक्त
परियोजनाओं को सहायता
(6) नेनो
साइंस और नेनो टेक्नोलॉजी संबंधी राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत नेनो फंक्शनल मैटीरियल
के बारे में संस्थान-उद्योग से सम्बद्ध छह संयुक्त परियोजनाओं को सहायता,
(7) शैक्षिक,
अनुसंधान
संस्थानों और उद्योग को शामिल करते हुए जल प्रौद्योगिकी उपायों और सौर ऊर्जा
अनुसंधान उपायों के रूप में संयुक्त परियोजनाएं विकसित करने के गंभीर प्रयास किए
गए हैं।
(8) निजी
क्षेत्र के सहयोग से प्रधानमंत्री का डॉक्टरल फेलोशिप कार्यक्रम
श्री
रेड्डी ने कहा कि मेरा यह मानना है कि अगर भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के
क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभानी है और अनुसंधान एवं विकास के लिए सकल घरेलू
उत्पाद का दो प्रतिशत व्यय करने का लक्ष्य हासिल करना है तो अनुसंधान एवं विकास के
क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बड़े पैमाने पर योगदान करना होगा।
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