कैबिनेट
की आर्थिक मामलों की समिति ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 1030
करोड़ रू. के आबंटन वाली की परिवर्तित औद्योगिक आधुनिकीकरण योजना की मंजूरी दे दी
है। इस राशि में से 450 करोड़ रू. प्रतिबद्ध दायित्व के लिए तथा 580
करोड़ रू.14 से 16 नई परियोजनाओं के लिए हैं। इन
परियोजनाओं में कम से कम दो परियोजनाएं उत्तर पूर्वी राज्यों में वर्तमान या
ग्रीनफील्ड औद्योगिक क्लस्टर में बुनियादी ढांचे को उन्न्त बनाने के लिए हैं।
इस
योजना के तहत सभी राज्य शामिल हैं लेकिन 12वीं योजना के
आबंटन की सीमा के कारण परियोजनाएं केवल 14 से 16 राज्यों/जिलों
में शुरू की जाएंगी।
एमआईआईयूएस
की अधिसूचना के बाद परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) की नियुक्ति की जाएगी। पीएमए
परियोजना प्रस्तावों के मूल्याकंन तथा परियोजनाओं पर निगरानी रखने के कार्य में
औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग (डीआईपीपी) की मदद करेगी। दो राष्ट्रीय
दैनिक समाचारपत्रों में विज्ञापन के माध्यम से परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित किए
जाएंगे। पीएमए की सहायता से परियोजना प्रस्तावों की जांच की जाएगी तथा इन प्रस्तावों
को 'सैद्धांतिक' अनुमोदन के लिए सर्वोच्च समिति के
समक्ष लाया जाएगा।
परियोजनाओं
पर निगरानी का कार्य 'सैद्धांतिक' मंजूरी के बाद
आरंभ होगा ताकि वे एमआईआईयूएस के अनुरूप अंतिम मंजूरी के लिए अपेक्षाओं पर खरे उतर
सकें। परियोजनाओं पर निगरानी इनके पूर्ण होने तक रखी जाएगी। 12वीं
पंचवर्षीय योजना के अंत तक इन परियोजनाओं के पूर्ण किए जाने का लक्ष्य रखा गया
है।
यह
निर्णय बेहतर सामान्य ढांचा, चुनिंदा औद्योगिक क्षेत्रों में कौशल
विकास केंद्रों सहित सामान्य सुविधाओं को विकसित करने के लिए लिया गया है।
पृष्ठभूमि
: आईआईयूएस का आरंभ उद्योगों में स्पर्धा बढ़ाने के लिए 2003
में केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में आरंभ की गई जिसमें 5 करोड़ की अंतिम
सीमा तक परियोजना लागत का 75 प्रतिशत केंद्रीय सहायता के रूप में
तय किया गया। फरवरी 2009 में योजना में संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत 75
प्रतिशत केंद्रीय सहायता ज्यों की त्यों रखी गईं और उत्तर-पूर्वी
क्षेत्र/पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अधिकतम अंतिम सीमा 60 करोड़ रूपए के
साथ केंद्रीय सहायता 90 प्रतिशत तय की गर्इ।
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