सोमवार, 29 जुलाई 2013

डब्‍लू आई एफ एस कार्यक्रम

भारत उन देशों में शामि‍ल है जहां एनि‍मि‍या के बहुत अधि‍क मामले पाए जाते हैं। तीसरे राष्‍ट्रीय परि‍वार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 10-19 वर्ष आयु समूह की 56 प्रति‍शत कि‍शोरि‍यों और 30 प्रति‍शत कि‍शोरों में एनि‍मि‍या है, यानी उनमें रक्‍त की कमी है।

हमारे देश में एनि‍मि‍यां से संबंधि‍त पोषण की लगभग 50 प्रति‍शत लौह की कमी है। इसका कारण प्रमुख रूप से अल्‍प पोषण और खान-पान में लौह की कम मात्रा होना है। यह कमी न केवल गर्भवती महि‍लाओं, शि‍शुओं और बच्‍चों में होती है, अपि‍तु कि‍शोरों में भी होती है। ऐसा अनुमान है कि‍ 15-19 वर्ष आयु समूहों में 5 करोड़ कि‍शोर एनि‍मि‍क हैं।

कि‍शोरावस्‍था में लौह की कमी से होने वाले एनि‍मि‍या से शारीरि‍क वि‍कास, शारीरि‍क चुस्‍ती और ऊर्जा के स्‍तर पर बुरा असर पड़ता है और इससे ध्‍यान केंद्रि‍त करने और कामकाज में भी दि‍क्‍कत आती है। लड़कि‍यों में लौह की कमी से स्‍वास्‍थ्‍य पर वि‍परी‍त गंभीर असर पड़ता है, इससे समूचे जीवन चक्र पर भी असर पड़ सकता है। एनि‍मि‍या वाली लड़कि‍यों में गर्भ काल से पहले लौह का कम भंडार होता है। एनि‍मि‍क कि‍शोर लड़कि‍यों में समय से पूर्व प्रसव होने का जोखि‍म बना रहता है और शि‍शु का वजन भी कम हो जाता है। कि‍शोर लड़कि‍यों में एनि‍मि‍यां होने से मातृत्‍व के दौरान मृत्‍यु का जोखि‍म भी होता है। मातृत्‍व के दौरान की मृत्‍यु के सभी मामलों में एक ति‍हाई 15-24 वर्ष आयु वर्ग की महि‍लाएं होती हैं।

इसलि‍ए आयरन फोलि‍क एसि‍ड को माईक्रो न्‍यूट्रेंट के समृद्ध भोजन के साथ पूरक के रूप में नि‍यमि‍त रूप से लेने से कि‍शोरि‍यों और कि‍शोरों में होने वाली लौह की कमी को रोका जा सकता है।

इसे देखते हुए इस वर्ष जनवरी में साप्‍ताहि‍क आयरन और फोलि‍क एसि‍ड पूरक कार्यक्रम शुरु कि‍या गया ताकि‍ स्‍वास्‍थ्‍य के महत्‍वपूर्ण मुद्दों को हल नि‍काला जा सके।

साप्‍ताहि‍क लौह और पूरक एसि‍ड कार्यक्रम वर्तमान में देशभर के सभी राज्‍यों में कक्षा 6-12 के स्‍कूल में पढ़ रही 13 करोड़ लड़कि‍यों और लड़कों और सरकारी/सहायता प्राप्‍त और नगरपालि‍का वि‍द्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों की कि‍शोर लड़कि‍यों तक पहुंच रहा है।

हाल ही में पि‍छले कुछ दि‍नों में चक्‍कर आने और उल्‍टी आने के कुछ मामूली वि‍परीत प्रभाव की कुछ खबरें मि‍ली है, हालांकि ऐसे कुछ मामूली प्रभावों को रोकने के लि‍ए फोलि‍क एसि‍ड की गोलि‍यां देने से संबंधि‍त ‍दि‍शार्नि‍देश दि‍ए गए हैं।

हाल ही में आयोजि‍त प्रैस कांफ्रेंस में जन स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण केंद्र, आखि‍ल भारतीय आयुर्वि‍ज्ञान संस्‍थान और युनि‍सेफ के जन स्‍वास्‍थ्‍य वि‍शेषज्ञों ने लौह फोलि‍क एसि‍ड की गोलि‍यों और डब्‍लू आईएफएस कार्यक्रम के बारे में वि‍चार रखते हुए कुछ मामूली वि‍परीत प्रभावों को रोकने की भी जानकारी दी।


जब पहली बार लौह की गोली ली जाती है, तो शरीर को इसे पचाने में कुछ परेशानी हो सकती है और पेट दर्द तथा चक्‍कर आने के लक्षण हो सकते हैं। अगर इस गोली को भोजन के बाद लि‍या जाए तो पेट दर्द और चक्‍कर आने की संभावना नहीं रहती। इस गोली को कुछ सप्‍ताह ले लेने के बाद ऐसे मामूली प्रभाव नहीं होते, क्‍योंकि‍ शरीर इसे पचाने का आदि‍ हो जाता है। लौह फोलि‍क एसि‍ड की गोली लेने के बाद ठोस मल आना नुकसानदायक नहीं होता । शरीर आवश्‍यकता के अनुसार लौह ग्रहण कर लेता है और अति‍रि‍क्‍त लौह मल के जरि‍ए नि‍कल आता है। इसके वि‍परी‍त प्रभाव से बचने के लि‍ए इस गोली को भोजन लेने के बाद लेना चाहि‍ए। कि‍सी बीमारी के दौरान भी कोई वि‍टामि‍न या पोषक लेने की कोई मनाही नहीं होती। दरअसल इससे शरीर की सहन शक्‍ति‍ बढ़ती है और बीमारी जल्‍द ठीक हो जाती है। लौह एसि‍ड फोलि‍क की गोली बीमारी और औरतों की महावारी के दौरान भी ली जा सकती है।

डब्‍लू आईएफएस कार्यक्रम के तहत काम करने वालों को प्रशि‍क्षण दि‍या गया है और कौशल वि‍कास के लि‍ए संसाधन सामग्री भी दी गई है, ताकि‍ इस अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम को कुशलतापूर्वक लागू कि‍या जा सके और इस पर नि‍गरानी रखी जा सके। संसाधन सामग्री से पता चलता है कि‍ लौह की कमी और एनि‍मि‍या को दूर करना, लौह फोलि‍क एसि‍ड गोलि‍यों को देने के लि‍ए पूरी व्‍यवस्‍था करना, क्‍यों इतना महत्‍वपूर्ण है। राज्‍यों को सलाह दी गई है कि‍ वे डब्‍लू आईएफएस कार्यक्रम की र्नि‍धारि‍त मानदंड के अनुरूप गुणवता बनाए रखें और समय-समय पर नि‍रीक्षण करें तथा बाहरी गुणवत्‍ता नि‍गरानी प्रकोष्‍ठ स्‍थापि‍त करें। इसके अलावा राज्‍यों को दी जा रही आपूर्ति‍ में से समय-समय पर कुछ नमूने उठाकर जांच के लि‍ए भेजने का भी प्रावधान है। इसके लि‍ए स्‍वास्‍थ्‍य और परि‍वार कल्‍याण मंत्रालय ने कुछ प्रयोगशालाओं का चयन कि‍या है।

स्‍कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के लि‍ए भी मासि‍क रि‍पोर्ट तैयार करने और लौह फोलि‍क एसि‍ड की गोलि‍यों की वि‍तरण पर नजर रखने, इसके समुचि‍त भंडारण तथा वर्ष में 2 बार बच्‍चों को कीड़ों से मुक्‍त करने की दवा देने के र्नि‍देश जारी कि‍ए गए हैं।

लौह फोलि‍क एसि‍ड गोलि‍यों को लेने की मात्रा के बारे में दि‍शार्नि‍देश दि‍ए गए हैं।

·         लौह फोलि‍क एसि‍ड की गोलि‍यां दि‍न के खाने के बाद लेनी चाहि‍ए ताकि‍ चक्‍कर आने जैसे वि‍परी‍त प्रभाव न हो।
·         जि‍न कि‍शोर और कि‍शोरि‍यों को इस गोली को लेने से वि‍परि‍त प्रभाव होता है, उन्‍हें सोने से पहले और रात में खाने के बाद गोली लेने की सलाह दी जाए।
·         भोजन में नीबू, आमला आदि‍ वि‍टामि‍न सी से समृद्ध वस्‍तुएं लेने से शाकाहारी भोजन लेने वालों के लि‍ए लौह को पचाना आसान हो सकता है।
·         खाना पकाने के लि‍ए लौहे के बर्तनों का इस्‍तेमाल कि‍या जाना चाहिए।
·         खाना खाने के एक घंटे के भीतर चाय या कॉफी पीने से बचना चाहि‍ए।
·         कि‍शोरों और कि‍शोरि‍यों को सही शारीरि‍क स्‍वच्‍छता के लि‍ए प्रेरि‍त कि‍या जाना चाहि‍ए और उन्‍हें जूते डालने के लि‍ए भी कहना चाहि‍ए।

हालांकि दि‍शार्नि‍देश जारी कि‍ए गए हैं, लेकि‍न इस महत्‍वपूर्ण कार्य में लगे कार्यकार्यताओं और शि‍क्षकों के प्रशि‍क्षण समेत इस कार्यक्रम को अमल में लाने के मुद्दों को हल करने की जरूरत है। लौह फोलि‍क एसि‍ड की गोलि‍यां की सही मात्रा सुनि‍श्‍चि‍त करने के लि‍ए प्रशि‍क्षण के साथ साथ नि‍रीक्षण का भी ज्ञान दि‍या जाना चाहि‍ए। इस कार्यक्रम पर बेहतर नजर रखने की भी जरूरत है।

वर्तमान आंकड़ों से पता चलता है कि‍ लौह सल्‍फेट के धीमी गति‍ से तैयार होने से लौह की कमी का मानक उपचार होता है। माहवारी वाली महि‍लाओं को हर सप्‍ताह वि‍भि‍न्‍न प्रकार से लौह और फोलि‍क एसि‍ड देना वि‍भि‍न्‍न देशों में (कंबोडि‍या, मि‍स्र, लाओस, फि‍लि‍पि‍न्‍स और वि‍यतना) कामयाब रहा है।

राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य की अति‍रि‍क्‍त सचि‍व और मि‍शन डायरेक्‍टर श्रीमती अनुराधा गुप्‍ता ने सही कहा है कि‍ लौह की कमी के एनि‍मि‍या के दूर करने के लि‍ए साप्‍ताहि‍क लौह फोलि‍क एसि‍ड सुरक्षि‍त और प्रभावी प्रमाण आधारि‍त कार्यक्रम है। उन्‍होंने कहा कि‍ बहुत कम मामलों में कुछ कि‍शोर और कि‍शोरि‍यों को इसके वि‍परि‍त प्रभाव हुए हैं। इस महत्‍वपूर्ण जन स्‍वास्‍थ्‍य पहल में बाधा नहीं आना चाहि‍ए।



डब्‍लू आईएफएस के बारे में दुष्‍प्रचार नहीं जागरूकता फैलाने की जरूरत है। महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम का कुशल कार्यान्‍वयन और समुचि‍त नि‍गरानी की जानी चाहि‍ए, ताकि‍ कि‍शोरो और कि‍शोरि‍यों का स्‍वास्‍थ्‍य उन्‍नत हो और उनका वि‍कास हो।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुल पेज दृश्य