राष्ट्रपति
श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर, पूसा,
नई
दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 85वें स्थापना
दिवस पर व्याख्यान दिया।
इस
अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमें बारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि में कृषि वृद्धि
दर का लक्ष्य हासिल करने के लिए उच्च पैदावार हासिल करनी होगी। हमें फसल विविधीकरण,
पुराने
बीजों के स्थान पर नए बीज लाने की दर में सुधार, अधिक उपज देने
वाली किस्मों को अपनाने तथा जल प्रबंधन की परिपाटियों में सुधार जैसे पैदावार
केंद्रित उपायों पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
राष्ट्रपति
ने कहा कि कृषि शिक्षा और विस्तार कार्यक्रमों के जरिए हमारे किसान समुदाय में
उर्वरकों और कीटनाशकों के संतुलित इस्तेमाल की आवश्यकता का प्रचार-प्रसार किया
जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-आइसीएआर और अन्य कृषि
संस्थान उर्वरक इस्तेमाल की दक्षता को बढ़ावा देने के काम मे लगे हुए हैं। उन्होंने
कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी इस तरह से इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए कि उससे फसल
की किस्म, सही कृषि पद्धतियोें और अपनी उपज बेचने के लिए सही मण्डियों के चयन
के संबंध में किसानों को निर्णय लेने में मदद मदद मिल सके।
राष्ट्रपति
ने कहा कि भारत में करीब 85 प्रतिशत किसानों के पास 2
हेक्टेयर से भी छोटी जोत है जो उत्पादन की पूरी क्षमता हासिल करने में बाधा बनती
है। ऐसी भूमिजोतों में उपज बढ़ाने के लिए किफायती, हल्के, बहु-उद्देश्यीय
कृषि उपकरण विकसित करने आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि छोटी जोतों का मशीनीकरण समय
की जरूरत है क्योंकि इससे व्यस्त सीजन के दौरान श्रम की कमी भी दूर हो सकती है।
प्रभावशाली ऊर्जा प्रबंधन से कृषि में मशीनीकरण को सुगम बनाना चाहिए। उन्होंने कहा
कि पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करने और टिकाऊपन सुनिश्चित करने के लिए हमारे
शोध संस्थानों को सौर ऊर्जा एवं जैवईंधनों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा मॉडलों पर ध्यान
देना चाहिए।
इस
अवसर पर राष्ट्रपति ने किसान एसएमएस पोर्टल का शुभारंभ किया तथा आसीएआर राष्ट्रीय
पुरस्कार प्रदान किए।
इस
अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री शरद पवार, केंद्रीय
कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री डॉ. चरन दास महंत और केंद्रीय कृषि एवं
खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री श्री तारिक अनवर उपस्थित थे।
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