उन्होंने
इस मेले के आयोजन के लिए अन्यं राष्ट्रींय संस्थानों के अलावा भारतीय कृत्रिम अंग
निर्माण निगम (एएलआईसीएमओ) को बधाई दी। उन्होंनने कहा कि विकलांगजनों के पुनर्वास
के लिए मंत्रालय की एक लोकप्रिय योजना सहायक यंत्रों से विकलांगजनों की सहायता ‘एडीआईपी’
है।
इस योजना का मुख्यं उद्देश्यप जरूरतमंद विकलांगजनों को टिकाऊ, अत्याधुनिक
और वैज्ञानिक तरीके से निर्मित आधुनिक सहायक यंत्र उपलब्ध कराना है। इन उपकरणों से उनके शारीरिक, सामाजिक
और मनोवैज्ञानिक पुनर्वास में मदद मिलेगी और उनमें विकलांगता का अहसास कम होगा तथा
कमाने के अवसर बढेंगे। इस समय इस योजना के अंतर्गत चलने-फिरने में अक्षम, दृष्टिबाधित,
बधिर,
मानसिक
रूप से अक्षम लोगों के लिए सहायता एवं सहायक यंत्र प्रदान किए जा रहे हैं। इस समय
सहायता के लिए स्वीटकृत उपकरणों की लागत की सीमा और आय की सीमा बहुत कम है।
मंत्रालय इस सीमा को बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
एएलआईसीएमओ
की सराहना करते हुए कुमारी सैलजा ने कहा कि यह एक गैर-लाभकारी निर्माण उद्योग है,
जो
पिछले चार वर्षों से कार्य कर रहा है। यह विकलांगजनों के लिए सहायता और सहायक
यंत्रों का निर्माण और आपूर्ति करने के अलावा उन्हें उपकरण देने के लिए शिविर भी आयोजित करता है। अब
तक यह 40 लाख से ज्यादा विकलांगजनों को सहायता और सहायक यंत्र प्रदान कर चुका
है। पिछले दो वर्षों में इसने उत्पाबदन बढ़ाने के साथ-साथ शिविर लगाने में भी कई
गुणा वृद्धि की है।
कुमारी
सैलजा ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली के कारण होने वाली बहुत सी अन्यल विकलांगताओं का
पता लगाने और विकलांगजनों के लिए उचित सहायक तकनीक विकसित करने की आवश्यककता है।
इन बातों को ध्यानन में रखकर मंत्रालय ने देश में उपलब्धे विभिन्न् सहायक उपकरणों
का एक राष्ट्रीय व्या्पार मेला आयोजित करने का फैसला किया। इससे इस क्षेत्र के
विभिन्न साझेदारों की उपलब्धलता के बारे
में जागरूकता उत्पन्न करने और उनका आकलन करने में मदद मिलेगी। इससे निर्माताओं और
इन उपकरणों के इस्तेलमाल करने वालों के बीच वैचारिक आदान प्रदान और क्षेत्र से
जुड़े़ उद्योगों को आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।
सामाजिक
न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री माणिक राव गावित ने देश में सहायक यंत्रों
के निर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं को एक ही स्थाजन पर लाने पर
संतोष व्यक्त किया और एएलआईसीएमओ को बधाई दी।
विकलांगजन
मामलों के विभाग में सचिव सुश्री स्तुति कक्कड़ ने स्वावलम्बन में आए सभी लोगों का
स्वागत किया। सचिव ने यह भी बताया कि विकलांगजन राष्ट्रीय नीति , 2006 के
अंतर्गत विकलांगजनों को मूल्यवान मानव संसाधन माना गया है और इस नीति में उनके
शारीरिक, आर्थिक और शैक्षिक पुनर्वास पर विशेष ध्यातन दिया गया है। उन्होंरने कहा
कि वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में 2.19
करोड़ विकलांगजन हैं। उनकी जरूरतें अलग-अलग हैं और उनमें से अधिकतर को कभी न कभी
सहायक तकनीक की जरूरत पड़ती है।
विकलांगता
के शिकार छात्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सभी स्तरों पर छात्रवृत्तियां
शुरू की गई हैं, जो मैट्रिक पूर्व/मैट्रिक बाद, उच्च
शिक्षा, सर्वश्रेष्ठ संस्थांनों में शिक्षा के लिए प्रदान की जाएंगी। यह
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली इस तरह की सुविधाओं
की तर्ज पर होगी। यूजीसी के जरिये उच्चं शिक्षा के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय
फैलोशिप शुरू की जा चुकी है, जबकि अन्यी योजनाएं प्रस्तावित हैं।
इस
अवसर पर सामाजिक न्या्य और अधिकारिता सचिव श्री सुधीर भार्गव, विकलांगजन
मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव श्री
अवनीश कुमार अवस्थी, विकलांगजनों से सम्बसद्ध विभाग के मुख्यल आयुक्त
श्री प्रसन्न कुमार
पिंचा, नेशनल ट्रस्टक की अध्यक्ष सुश्री पूनम नटराजन, एएलआईसीएमओ के
मुख्यन प्रबंध निदेशक श्री नारायण राव जी मौजूद थे।
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