किसी
भी कल्याणकारी सरकार की पहली जिम्मेदारी यह होती है कि वह अपने नागरिकों को रोटी,कपड़ा
और मकान मुहैया करवाये। पिछले नौ सालों से यह सरकार लगातार इस दिशा में काम कर रही
है। हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी अपनी रोजी रोटी के लिए खेती पर निर्भर है।
इसके लिए कृषि के क्षेत्र को मजबूत करने की कोशिशें लगातार चलती रही हैं। 11वीं
पांच साला योजना में सरकार को इसमें कामयाबी हासिल हुई है। 10वीं
पांच साला योजना में हमारी कृषि विकास दर 2.4 फीसदी थी जो अब
बढ़ कर 3.6 फीसदी हो गई है। क्योंकि सरकार ने किसानों को उनकी उपज के अच्छे दाम
दिये इसलिए उन्होंने अपनी फसलों की ओर अधिक ध्यान देना शुरू किया। अनाज की पैदावार
में लगातार होने वाली बढ़ोतरी से सरकार को हौंसला बढ़ा और उसने कानूनन लोगों को
सस्ता अनाज मुहैया करवाने का काम हाथ में लिया। इसके लिए सरकार ने पिछले दिनों
संसद में खाद्य सुरक्षा अधिनियम पारित करवाया। वर्त्तमान सरकार ने इस योजना को
अपने एक सपने के रूप में देखा था। जिसे पूरा करने के लिए उसने पहले ही, जुलाई
में, एक अध्यादेश के द्वारा जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान कर दी थी।
वर्तमान अधिनियम उसी अध्यादेश का स्थान लेने के लिए संसद द्वारा पारित किया गया
है। राष्ट्रपति की अनुमति के बाद यह अधिनियम विधेयक का रूप् ग्रहण कर लेगा।
भोजन
गांरटी का मतलब है कि घरेलू जरूरतों के लिए सबको पूरा अनाज उस कीमत पर मिले जिसे
हमारे देश के अधिकतर लोग आसानी से वहन कर सकें। इसलिए पूरी योजना की रूप रेखा देश
की तीन चौथाई आबादी को ध्यान में रख कर तैयार की गई है। यह आबादी लगभग 82
करोड़ है। भोजन की गारंटी देने वाले कानून को बनाने में विपक्ष ने भी सरकार का साथ
दिया है। इसे किसी भी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाना चाहिए।
इस
अधिनियम के माध्यम से सरकार ने किसानों को इस बात का भी भरोसा दिलाया है कि यह
कानून लागू होने के बाद भी उनकी उपज पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य में कोई
कटौती नहीं की जायेगी। इस कानून से शहरों की पचास प्रतिशत और गांवों की 75
फीसदी आबादी फायदा उठा सकेगी।
इस
कानून के लागू होते ही प्रत्येक गरीब को हर महीने पांच किलो सस्ता अनाज मिलेगा।
इसमें चावल तीन रुपये किलो,गेहूं दो रुपये प्रति किलो और ज्वार
इत्यादि मोटा अनाज एक रुपया किलो के हिसाब से उपलब्ध करवाया जायेगा। इस बात का
इंतजाम किया गया है कि अंत्योदय कार्ड वाले परिवार को 35 किलो अनाज
मिलेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब गरीब लोगों को अनाज उनके हक के तौर पर
मिलेगा। इस विधेयक के माध्यम से लोगों की कुपोषण की समस्या का समाधान करने की
कोशिश भी की जायेगी। इस योजना को लागू करने के लिए सरकार को 612.3
लाख टन अनाज की जरूरत होगी।
केन्द्र
सरकार की यह योजना राज्य सरकारों के माध्यम से लागू होगी। किसी कारण से अगर राज्य
सरकार सस्ते दर पर अनाज मुहैया नहीं करवा पायेगी तो उसे गरीबों को खाद्य सुरक्षा
भत्ता देना पड़ेगा। यह भत्ता कितना होगा
इसका फैसला राज्य सरकारें अपनी स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रख कर करेंगी।
वर्त्तमान
सरकार ने शुरू से ही महिला सशक्तिकरण को बहुत महत्व दिया है। महिलाओं को परिवार
में अधिक आदर सम्मान मिले इसके लिए सरकार ने यह प्रावधान किया है कि परिवार की
सबसे अधिक आयु वाली महिला को ही परिवार का मुखिया माना जायेगा। यह कार्ड उसी के
नाम पर जारी होगा। यदि किसी पीिवार में 18वर्ष से अधिक आयु की महिला नहीं होगी
तभी सबसे बड़ी आयु वाले पुरुष के नाम पर कार्ड बनवाया जा सकेगा। इस योजना के तहत
प्रत्येक गर्भवती महिला को 6000 रुपये सहायता के तौर पर मिलेंगे।
संबधित राज्य सरकारें इस बात का फैसला भी करेंगी कि यह धनराशि उन्हें एकमुश्त दी
जाये अथवा किस्तों। गर्भवती महिलाओं को आंगनवाड़ियों और ग्रामीण स्वास्थ्य
केन्द्रों से गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद तक अच्छा
पौष्टिक खाना बिना किसी मूल्य के मिलेगा। इसमें गांवों में चल रहे आशा केन्द्र
उनकी मदद करेंगे। छह महीने से 14 साल तक के बच्चों को राशन अथवा खाना
मुहैया करवाया जायेगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के तीन साल से लेकर छह साल तक के
सभी बच्चों को सुबह का नाश्ता और पकाया हुआ गर्म भोजन निशुल्क मिलेगा। जो बच्चे
कुपोषण के शिकार होंगे उनका खास ख्याल रखा जायेगा। इसी प्रकार पर्वतीय और दूर दराज
के इलाकों में और जनजातीय क्षेत्रों में कमजोर वर्ग के लोगों का भी खास ख्याल रखा
जायेगा। गरीबों की पहचान आधार कार्ड के आधार पर की जायेगी। इसके लिए राज्य सरकारें
भी अपने मानदंड़ तय करेंगी।
इस
बात का भी प्रबंध किया गया है कि इस योजना का राज्य सरकारों पर कोई अतिरिक्त भार न
पड़े। इसके लिए अनाज की ढुलाई के लिए राज्यों को केन्द्र सरकार से सहायता मिलेगी।
राशन का वितरण करने वालों को भी आर्थिक सहायता दी जायेगी। खाद्यान्न सुरक्षा के मद में सरकार को लगभग 1.25
लाख करोड़ रुपये का अनुदान देना होगा जो 2015-16 में बढ़ कर 1.50
लाख करोड़ हो जायेगा। इसके लिए सरकार को हर साल अपनी आमदनी में 10 से
15 फी सदी का इजाफा करना पड़ेगा। यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है जिसे
उसने स्वीकार किया है।
सरकार
यह सुनिश्चित करेगी कि अनाज के वितरण में किसी प्रकार की धांधली न हो। काला बाजारी
को रोकने के सभी उपाय किये जायेंगे। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में फैले भ्रष्टाचार
को रोकने के लिए हर जिले में प्रबंध किये जायेंगे। इस बात का प्रयास किया जायेगा
कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानें चलाने का जिम्मा प्राथमिकता के आधार पर
पंचायतों, स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को दिया जाये। लोगों को होने
वाली असुविधाओं को रोकने के लिए कॉल सेन्टर और हेल्प लाइन का प्रावधान किया
जायेगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े सभी दस्तावेज आम लोग देखना चाहेंगे तो
देख सकेंगे। यदि कोई अधिकारी विधेयक के नियमों का पालन नहीं करता तो उसे इसके लिए
सजा दी जायेगी। उन पर 5000 रुपये तक जुर्माना किया जा सकेगा।
इस
विधेयक के माध्यम से वत्तमान सरकार ने पूरी दुनिया को भी यह सन्देश दिया है कि
भारत अपने सभी देश्वासियों की अनाज गारंटी की जिम्मेदारी लेता है। किसी भी
कल्याणकारी राज्य के लिए यह एक बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है।
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