भारतीय
रेलवे, लंदन के 'इंस्टीटयूट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स' के साथ मिलकर यहां विज्ञान भवन में 'तीव्र गति से रेल यात्रा और कम लागत के
उपाय' विषय पर 29 और 30 अक्टूबर को दो दिन
का अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सम्मेलन कर रहा है। इसमें 11 देशों- जर्मनी, स्पेन, आस्ट्रेलिया, अमरीका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, दक्षिण
अफ्रीका, स्विटजरलैंड, इटली और चीन के प्रतिनिधि और रेलवे में
तीव्र गति की प्रौद्योगिकी से जुड़े उनके तकनीकी संस्थानों के अधिकारी भाग लेंगे।
भारतीय
रेलवे 1853 में अपनी शुरूआत से ही भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा
है। यात्री परिवहन के क्षेत्र में भारतीय रेलवे विश्व में सबसे बड़ा तंत्र है
जिसकी रेलों में प्रतिदिन दो करोड़ 20 लाख यात्री यात्रा करते हैं। इसकी सबसे
तीव्र गति वाली रेलगाड़ी भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस है जिसकी अधिकतम गति 140
कि0मी0 प्रति घंटा है। हालांकि अन्य सभी राजधानी/शताब्दी रेलगाड़ियों की अधिकतम
गति 130/120 कि0मी0 प्रति घंटा है।
इस
समय भारतीय रेलवे कई मार्गों पर उच्च गति की रेलगाड़ियाँ चलाने संबंधी सम्भाव्यता
अध्ययन कर रहा है जिसमें मुंबई-अहमदाबाद कॉरीडोर शामिल है। इसके लिए रेल मंत्रालय
फ्रांसीसी रेलवे द्वारा अध्ययन को स्वीकृति दे चुका है। मुम्बई-अहमदाबाद मार्ग
पर उच्च गति की रेलगाड़ियाँ चलाने संबंधी संयुक्त सम्भाव्यता अध्ययन के लिए
भारत ने जापान के साथ भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हुए हैं। इस अध्ययन का ध्येय
इस मार्ग पर 300-350 कि0मी0 प्रति घंटा की रफ्तार से रेलगाड़ियाँ चलाए जाने की सम्भाव्यता
रिपोर्ट तैयार करना है।
भारत
अपनी वित्तीय बाधाओं और भूमि अधिग्रहण तथा रेल पटरियों की बाड़ाबंदी संबंधी
मुद्दों को देखते हुए रेलवे के वर्तमान आधारभूत ढांचे में ही कुछ निवेश करके
अधिकतम 160 से 200 कि0मी0 प्रति घंटा की गति से ही रेलगाड़ियाँ चलाना चाहता है।
बाद में उनकी गति 300 कि0मी0 प्रति घंटा तक ले जाई जा सकती है। इसी सिलसिले में 'इंस्टीटयूट ऑफ रोलिंग स्टॉक' (आईआरएसई) भारतीय रेलवे और रेल इंडिया
टैक्नीकल एंड इकोनॉमिकल सर्विसेज़ (आरआईटीईएस) के सहयोग से यह दो दिन का सम्मेलन
आयोजित कर रहा है। इसका उद्घाटन रेल मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे। इस
सम्मेलन में नीति निर्माता, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, रोलिंग स्टॉक निर्माता, अनुसंधान संस्थान, कलाकार और उद्योग जगत के देश-विदेश के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इस अवसर
पर उच्च गति की रेलों से जुड़ी प्रौद्योगिकी पर एक प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है।
सम्मेलन
में विदेशी प्रतिनिधियों, भारतीय रेलवे और 'रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्डस् ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) के
अधिकारियों द्वारा कुल 49 पर्चे प्रस्तुत किए जाएंगे तथा आस्ट्रेलिया और स्पेन
के अधिकारी रेलवे के उच्च गति तंत्र पर अपने अध्ययन पेश करेंगे। 'इंस्टीटयूट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स' लंदन की सह-अध्यक्षता में इस सम्मेलन
के मुख्य विचारणीय विषय होंगे:-
• विश्व व्यापी तीव्र गति प्रौद्योगिकी
की समीक्षा
• तीव्र गति वाले डिब्बों की
प्रौद्योगिकी
• रेलों के तीव्र गति से संचालन के फायदे
• तीव्र गति से चलने वाले पहिए
• रेल पटरियां और आधारभूत संरचना
• सिगनलों से जुड़ी प्रौद्योगिकी
• संचालनात्मक सुरक्षा
• निर्माण और रख-रखाव आदि।
भारतीय
रेलवे को उम्मीद है कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से विकासशील देशों के लिए कम
लागत में रेलवे-तंत्र विकसित करने के उपाय सामने आएंगे।
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