मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

आधी आबादी का सच

हमारे देश में औरतों के साथ भेदभाव का संबंध व्यापक स्तर पर व्याप्त है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि लिंग भेद हमारी संस्कृति और परंपरा में सदियों से रचा-बसा है। औरतों को हमेशा से समाज में परिवार में एक अलग दर्जा दिया गया।

उसके व्यक्तित्व को घर और समाज के इज्जत के साथ जोड़कर देखा जाता है। यह एक मनुवादी सोच है। औरतों को परिवार और समाज में हमेशा नीचा दिखाया गया। यानी कि औरत दोयम दर्जे की होती है। हमारे समाज में लड़कियों को किस हद तक लिंगभेद का शिकार होना पड़ता है। इसका सबसे निकृष्ट उदाहरण है कि उसको जन्म लेने के पहले ही लिंग परीक्षण के बाद भ्रूणहत्या का शिकार होना पड़ता है। अगर लड़कियां इस तरह के भेदभाव की शिकार नहीं हुई तो जन्म लेने के बाद उसे भोजन, पढ़ाई, जीने की आजादी, प्रेम करने का मौलिक हक, इन मामलों में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। परिवार में पुत्र के शिक्षा, स्वास्थ्य, करियर, उसकी आजादी को पुत्री की अपेक्षा अधिक तवज्जो दिया जाता है। लड़कियां प्रेम नहीं कर सकती, क्योंकि इससे समाज में उसकी जाति और परिवार का अपमान होता है, कभी-कभी तो झूठी शान के नाम पर लड़कियों को कत्ल कर दिया जाता है, जिसे ऑनर किलिंग कहा जाता है। हमारे समाज में औरतों को दंडित करने के लिए कई तरह की भ्रांतियों का सहारा लिया जाता है। अगर वैवाहिक जीवन के पहले पति मर जाए तो उसको विधवा बोला जाता है। अब वह अशुभ हो गई। जन्म से लेकर मृत्यु तक औरतों को समाज के पक्षपातपूर्ण रवैये का शिकार होना पड़ता है। उसको हमेशा किसी ना किसी के अधीनता में रहना पड़ता है। पुत्र को परिवार और वंश को बढ़ाने वाला माना जाता है तो पुत्री को दान में दिया जाता है। इसे हमारे समाज में कन्या-दान कहा जाता है। इस तरह की सामंती सोच और अंधविश्वास को छोड़ना होगा। दहेज के नाम पर औरतों के साथ जुल्म किया जाता है। औरतों को डायन कहकर उसे जिंदा जलाया जा रहा है। यह सब 21वीं सदी के हमारे समाज में हो रहा है। इस तरह के गैर व्यावहारिक और भाव-विहीन सोच, के साथ हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। अगर हम सब आने वाली पीढ़ी को एक उन्नत समाज देना चाहते हैं तो लड़कियों को भी लड़कों की तरह आगे बढ़ने के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना होगा। उसे भी बराबरी का हक देना होगा। कुदरती तौर पर औरत पुरुष से कमतर नहीं है, ना ही पुरुष औरत से कमतर है। दरअसल दोनों कुदरत की अनुपम कृति है और कोई किसी से कम नहीं है।

* ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में शामिल 135 देशों की सूची में भारत 105वें स्थान पर है।
* महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से भारत चौथा सबसे खतरनाक देश है।
* देश में लिंग अनुपात प्रति हजार पुरुषों पर 940 महिलाओं का है।

  -डॉ रंजना कुमारी [निदेशक, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च]

  

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