शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

भारत में अल्‍पसंख्‍यकों का विकास

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां सभी समुदायों के लोग शांति एवं सद्भाव से रहते हैं। विश्‍व के सभी बड़े धर्मों के अनुयायी भारत में भी हैं। यहां हिन्‍दू बहुसंख्‍यक हैं और राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग, अधिनियम, 1992 के तहत मुस्लिमों, सिखों, ईसाइयों, बौद्ध एवं पारसियों को अल्‍पसंख्‍यक का दर्जा प्राप्‍त है।
देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। सरकार ने इन समुदायों के सामाजिक-आर्थिक उत्‍थान के लिए समय-समय पर विभिन्‍न कार्यक्रम एवं योजनाएं संचालित की है।

इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के सशक्‍तीकरण और उनकी संस्‍कृति, भाषा एवं धार्मिक स्‍वरूप को बनाए रखने के लिए अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय का गठन किया है। इस मंत्रालय का लक्ष्‍य सकारात्‍मक कार्यों तथा समावेशी विकास के जरिए अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है ताकि एक प्रगतिशील देश के निर्माण में हर नागरिक को बराबर के अवसर मिल सकें।

अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की शिक्षा, रोजगार, आर्थिक गतिविधियों में बराबर की हिस्‍सेदारी तथा उनका उत्‍थान सुनिश्चित करने के लिए जून 2006 में अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम की घोष्‍णा की गई थी। इसके तहत विभिन्‍न लक्ष्‍यों को निश्चित समयावधि में हासिल किए जाने पर जोर दिया गया है।
इस कार्यक्रम के मुख्‍य उद्देश्‍य इस प्रकार हैं :
  1. शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों को बढ़ावा देना।
  2. मौजूदा एवं नयी योजनाओं के जरिए आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार में अल्‍पसंख्‍यकों की समान हिस्‍सेदारी सुनिश्चित करना, स्‍वरोजगार के लिए ऋण सहायता को बढ़ावा देना तथा राज्‍य एवं केन्‍द्र सरकार की नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्‍व बढ़ाना।
  3. बुनियादी सुविधाओं के विकास से जुड़ी योजनाओं में उनकी पर्याप्‍त हिस्‍सेदारी सुनिश्चित करते हुए उनके जीवन स्‍तर में सुधार लाना।
  4. सांप्रदायिक हिंसा एवं वैमनस्‍यता की रोकथाम तथा नियंत्रण।


इस कार्यक्रम का मुख्‍य उद्देश्‍य इस बात को सुनिश्चित करना है कि वंचित तबकों के लिए शुरू की गई विभिन्‍न सरकारी योजनाओं का लाभ अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के वंचित वर्गों तक अवश्‍य पहुंचे। इन योजनाओं का लाभ समान रूप से अल्‍पसंख्‍यकों तक पहुंचाने के लिए इस कार्यक्रम में इस बात पर विशेष ध्‍यान दिया गया है कि अल्‍पसंख्‍यक बहुल क्षेत्रों में विकासात्‍मक परियोजनाओं की निश्चित हिस्‍सेदारी हो।

नए 15 सूत्री कार्यक्रम में शामिल की गईं विभिन्‍न योजनाएं इस प्रकार हैं :
  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की समन्वित बाल विकास सेवाएं योजना, इसमें आंगनवाड़ी केन्‍द्रों के जरिए सेवाएं दी जा रही हैं।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) एवं कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना (केजीबीवी)।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय की आजीविका योजना।
  • आवासीय एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय की स्‍वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना।
  • श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थाओं का आधुनिकीकरण।
  • वित्‍तीय सेवाओं के विभाग की वरीयता सेक्‍टर ऋण योजना के तहत बैंक ऋण की उपलब्‍धता।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय की इंदिरा आवास योजना।


केन्‍द्र सरकार ने सच्‍चर समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए कुछ सीमित उपाय भी किए हैं। ये इस प्रकार हैं
  • माध्‍यमिक स्‍तर तक गुणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा की पहुंच, राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान।
  • देश के शैक्षिक रूप से पिछड़े 374 जिलों में प्रत्‍येक में एक मॉडल कॉलेज की स्‍थापना की जाएगी। इन 374 जिलों में से 61 जिलों की पहचान अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों के रूप में की गई है।
  • जिन क्षेत्रों में अल्‍पसंख्‍यक खासकर मुस्लिम अधिक रहते हैं, वहां के विश्‍वविद्यालयों एवं कॉलेजों में महिला छात्रावास की स्‍थापना व्‍यवस्‍था में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग से वरीयता का प्रावधान।
  • क्षेत्र विशेष एवं मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम को संशोधित किया गया है और इसे दो भागों में बांटा गया है।

1.      मदरसों में गुणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा प्रदान करने की योजना। इसमें बेहतर शिक्षकों की भर्ती करने, वेतन एवं अन्‍य भत्‍ते बढ़ाने, पुस्‍तकों, कम्‍प्‍यूटरों एवं शिक्षण सहायक उपकरणों की खरीद के लिए सहायता में बढ़ावा देना।
2.      निजी सहायता/गैर सहायता प्राप्‍त शैक्षिक संस्‍थानों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्‍तीय सहायता।
  • अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्‍लामिया विश्‍वविद्यालय, नई दिल्‍ली तथा मौलाना आजाद राष्‍ट्रीय उर्दू विश्‍वविद्यालय, हैदराबाद में उर्दू माध्‍यम के शिक्षकों के लिए पेशेवर अकादमियों की स्‍थापना।


इसके अलावा केन्‍द्र सरकार ने 2008-09 में बहु-आयामी विकास कार्यक्रम भी शुरू किया है। इस कार्यक्रम का मुख्‍य उद्देश्‍य अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों में लोगों के जीवन की गुणवत्‍ता में सुधार लाना, विभिन्‍न प्रकार के असन्‍तुलनों को कम करना तथा सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है।

विकास के नजरिए से जो जिले मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, उनके लिए विशेष योजना बनाई गई है, जिसमें स्‍कूली एवं माध्‍यमिक शिक्षा की बेहतर व्‍यवस्‍था, साफ सफाई पर ध्‍यान देना, पक्‍के घरों का निर्माण, स्‍वच्‍छ पेयजल एवं बिजली की उपलब्‍धता तथा आय बढ़ाने वाली लाभार्थी आधारित योजनाएं शामिल हैं। इसमें इस बात पर ध्‍यान दिया गया है कि जीवन स्‍तर में सुधार लाने के लिए बुनियादी सुविधाओं जैसे बेहतर सड़क संपर्क, मूलभूत स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं, कौशल विकास एवं विपणन सुविधाओं का होना जरूरी है।

इसके अलावा अल्‍पसंख्‍यक मामलों का मंत्रालय अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के छात्रों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्‍त बनाने की दिशा में उन्‍हें विभिन्‍न छात्रवृत्तियां उपलब्‍ध करा रहा है।

इसमें शामिलि छात्रवृत्तियां इस प्रकार हैं
  • प्री मैट्रिक स्‍कॉलरशिप स्‍कीम
  • पोस्‍ट मैट्रिक स्‍कॉलरशिप स्‍कीम
  • मैरिट-मींस स्‍कॉलरशिप स्‍कीम
  • मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप
  • मुक्‍त कोचिंग एवं अन्‍य योजनाएं
  • अल्‍पसंख्‍यक वर्ग की महिलाओं के लिए नेतृत्‍व विकास योजना
  • राज्‍यों में राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक विकास एवं वित्‍तीय निगमों से जुड़ी एजेंसियों को अनुदान योजना।



इस प्रकार केन्‍द्र सरकार अल्‍पसंख्‍यक वर्गों के उत्‍थान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि जीवन के हर क्षेत्र में वे दूसरों के साथ सम्‍मान से खड़े होकर गौरवपूर्ण जीवन जी सकें।

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