शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय संगठन

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ-एसईएआरओ) एक ऐसा संगठन है जिसने सभी लोगों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की हैं। यह संगठन डब्‍ल्‍यूएचओ के उन छह क्षेत्रीय संगठनों में से एक है जिसने चेचक पूरी तरह समाप्‍त करने, औसत जीवन दर बढ़ाने, शिशु और माता मृत्‍यु दर में कमी लाने, पोलियो तथा गिनी वर्म जैसी बीमारियों को समाप्‍त करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। 

संगठन में एंटीमाइक्रोबायल प्रतिरोधक, रक्‍त सुरक्षा और प्रयोगशाला टेक्‍नोलॉजी, एचआईवी/एड्स, कुष्‍ठ रोग, मलेरिया, तपेदिक, वैक्‍टर बोर्न और उपेक्षित उष्‍णकटिबंधीय प्रदेश में होने वाली बीमारियां, बच्‍चों और किशोरों के स्‍वास्‍थ्‍य, प्रतिरक्षण और टीके का विकास, गर्भधारण और प्रजनन स्‍वास्‍थ्‍य को सुरक्षित बनाने और पोषण जैसे अनेक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम शामिल हैं। 

दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र इसलिए महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि इसमें 1.79 अरब लोग रहते हैं, जो विश्‍व की आबादी का 26.4 प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में स्‍वास्‍थ्‍य पर सबसे कम खर्च किया जाता है जो जीडीपी का करीब 3.8 प्रतिशत है और सामाजिक-आर्थिक प्रगति के बावजूद इसे स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामलों से निपटना पड़ता है। गैर संक्रामक बीमारियों के कारण बड़े पैमाने पर होने वाली मौतों की संख्‍या बढ़ रही है और अनेक संक्रामक बीमारियां सामने आ रही हैं। इस क्षेत्र पर गैर संक्रामक रोगों का 27 प्रतिशत बोझ है। तपेदिक और मलेरिया तथा एचआईवी/एड्स की भयावह चुनौती ने इस क्षेत्र के स्‍वास्‍थ्‍य परिदृश्‍य में एक नया आयाम जोड़ दिया है।

डब्‍ल्‍यूएचओ एसईएआरओ देश स्‍वास्‍थ्‍य उपलब्धि के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कार्य कर रहे हैं। भारत ने इस दिशा में सराहनीय कार्य किया है। हाल में नई दिल्‍ली में सम्‍पन्‍न एसईएआरओ स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों की बैठक में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भारत दवाओं की कीमतों में पर्याप्‍त कमी लाया है; एचआईवी/एड्स के इलाज के खर्च में काफी कमी आई है। भारत उच्‍च गुणवत्‍ता वाली सस्‍ती दवाओं का केन्‍द्र है और इसे ‘’दुनिया की फार्मेसी’’ कहा जाता है। श्री आजाद ने कहा कि भारत  को चिकित्‍सा शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में अच्‍छे सुधार करने में प्रसन्‍नता होगी क्‍योंकि इस तरह के आदान-प्रदान से यह क्षेत्र स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के क्षेत्र में वैश्विक ज्ञान का खजाना बन जाएगा।

डब्‍लयूएचओ के महानिदेशक डा. मार्गरेट चान ने भारत सरकार द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार और उसके स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री देश में स्‍वास्‍थ्‍य परिदृश्‍य में सुधार करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

पृष्‍ठभूमि

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र की स्‍थापना 1948 में की गई थी। यह डब्‍ल्‍यूएचओ के छह क्षेत्रीय संगठनों में पहला था। डब्‍ल्‍यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में 11 सदस्‍य देश-भारत, बांग्‍लादेश, भूटान, कोरिया लोकतांत्रिक गणराज्‍य, इंडोनेशिया, मालदीव,म्‍यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और तिमोर लेस्‍ते शामिल हैं।

 इसका मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में है। डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह को स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों की 31वीं बैठक में इसका नया क्षेत्रीय निदेशक चुना गया है।

एसईएआरओ के महत्‍वपूर्ण कार्य

संगठन के प्रमुख कार्य हैं:- विशेषज्ञता प्राप्‍त एजेंसियों, सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य प्रशासनों, पेशेवर समूहों और ऐसे अन्‍य संगठनों के साथ प्रभावकारी सहयोग स्‍थापित करना और उसे बनाए रखना।- स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए अनुरोध मिलने पर सरकारों की सहायता करना, उचित तकनीकी सहायता देना और आपात स्थिति में क्षेत्र की सरकारों के अनुरोध पर आवश्‍यक सहायता प्रदान करना।- महामारी, क्षेत्र विशेष में होने वाली और अन्‍य बीमारियों को समाप्‍त करने के कार्य के लिए प्रोत्‍साहित करना।- जहां जरुरी हो वहां अन्‍य विशेष तरह की एजेंसियों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना, पोषण, आवास, स्‍वच्‍छता, आर्थिक या काम करने की स्थितियों तथा पर्यावरण स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान के अन्‍य पहलुओं में सुधार करना।- स्‍वास्‍थ्‍य को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में लगे वैज्ञानिक और पेशेवर समूहों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।- सम्‍मेलनों, समझौतों और नियमों का प्रस्‍ताव करना, और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मुद्दों के सम्‍बन्‍ध में सिफारिशें करना।

हाल का घटनाक्रम

हाल में भारत ने डब्‍ल्‍यूएचओ-एसईएआरओ देशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों की 31वीं बैठक और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए डब्‍ल्‍यूएचओ क्षेत्रीय समिति का 66वां सत्र आयोजित किया।

बैठक में बुढ़ापे और स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में 2012 के योग्‍याकार्ता घोषणापत्र और 2015 के बाद विकास एजेंडा में स्‍वास्‍थ्‍य क्‍योंकि 2015 में मिलेनियम विकास लक्ष्‍य हासिल करना तय किया गया है।
बुढ़ापे और स्‍वास्‍थ्‍य के अलावा बैठक में अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नियमों को लागू करने, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और तंत्रिका संबंधी पेरशानियों सहित गैर संक्रामक रोगों; आपात स्थितियों के प्रबंधन में डब्‍ल्‍यूएचओ की भूमिका, स्‍वास्‍थ्‍य जन बल प्रशिक्षण और शिक्षा; महामारी के रुप में फैलने वाले जुकाम के लिए तैयारी; और पोलियो समाप्‍त करने की चुनौतियों पर विशेष रुप से चर्चा की गई।    डब्‍ल्‍यूएचओ क्षेत्रीय समिति के सत्र के दौरान जिन मुद्दों पर प्रमुखता से विचार-विमर्श किया गया उनमें: व्‍यापक स्‍वास्‍थ्‍य कवरेज, गैर संक्रामक रोगों की रोकथाम और उन पर नियंत्रण तथा खसरा जड़ से समाप्‍त करने और रुबेला पर नियंत्रण करने के लिए लक्ष्‍य तय करना शामिल है। अन्‍य मुद्दों में डब्‍ल्‍यूएचओ सुधार और कार्यक्रम बजट मामले, मलेरिया पर प्रगति रिपोर्ट तथा क्षेत्रीय समिति के कुछ चुने हुए प्रस्‍तावों पर प्रगति रिपोर्ट शामिल है।

एसईएआरओ के 11 देशों में वर्ष 2011 में खसरे से 70,700 बच्‍चों की मौत हो गई। सदस्‍यों ने 2020 तक खसरे को जड़ से समाप्‍त करने और रुबेला और जन्‍मजात होने वाले लक्षणों पर नियंत्रण करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। सरकार 95 प्रतिशत आबादी को इन बीमारियों से बचाएगी और इसके लिए प्रत्‍येक जिले में प्रतिरक्षण और /या पूरक अभियान चलाए जाएंगे।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों की 31वीं बैठक में इन देशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों ने उच्‍च रक्‍तचाप पर नई दिल्‍ली घोषणपत्र को मंजूरी दी। इन मंत्रियों ने प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की कि वे उच्‍च रक्‍तचाप की रोकथाम और उस पर नियंत्रण करने को सर्वोच्‍च प्राथमिकता देंगे और क्षेत्र में 2025 तक हाइपरटेंशन की संभावना को कम करने का प्रयास करेंगे। दुनिया भर में हाइपरटेंशन मौत का सबसे बड़ा जोखिम भरा कारक है। इसके कारण दक्षिण पूर्व एशिया में हर साल 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है। दक्षिण पूर्व एशिया में हर तीसरा व्‍यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार है जिसके कारण दिल की बीमारियां, स्‍ट्रोक और किडनी के काम करना बंद करने जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

इस अवसर पर स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उच्‍च रक्‍तचाप पर दिल्‍ली घोषणापत्र न केवल राष्‍ट्रीय कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि इस बीमारी को नियंत्रित करने के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों की प्रतिबद्धता को इससे जोड़ेगा। डब्‍ल्‍यूएचओ महानिदेशक डा. मार्गरेट चान ने कहा कि दिल की बीमारियों और स्‍ट्रोक से हर वर्ष 94 लाख लोगों की मौत्‍हो जाती है। इसलिए जीवन शैली को बदलना और दवाइयां महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखती हैं।

दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के अनेक देशों में धन और मानव संसाधन की कमी जैसी अनेक बाध्‍यताएं हैं। क्षेत्र के अनेक देश टेक्‍नोलोजी, बुनियादी ढांचा और एक उचित स्‍वास्‍थ्‍य नीति जैसी कमी का सामना कर रहे हैं। ये बाधाएं सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य, विशेष तौर पर 2015 तक मिलेनियम विकास लक्ष्‍य को हासिल करने में गंभीर चुनौती खड़ा करती हैं।


इन चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद डब्‍ल्‍यूएचओ एसईएआरओ के प्रयास सराहनीय हैं। इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि ये एक महत्‍वपूर्ण संगठन है जो क्षेत्र में स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी सभी चुनौतियों से जड़ से निपटने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।

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