बेरोजगार युवकों को बड़ी आसानी से गुमराह करके शोषण या लालच देकर
ग़ैर- कानूनी गतिविधियों में लिप्त कराया जा सकता है। युवाओं को रचनात्मक
गतिविधियों में शामिल करके रोजगार दिलाने योग्य बनाने के लिए कुछ वर्ष पूर्व जम्मू
और कश्मीर के सीमावर्ती और दूरदराज के क्षेत्रों में प्रमुख पहल के रूप में युवा
रोजगार एवं मार्गदर्शन केन्द्र (वाई
ई जी एन) कार्यक्रम शुरू किया गया था।
वाई
ई जी एन युवा पुरुषों और महिलाओं को विभिन्न कौशल में प्रशिक्षित करता है और
नौकरी पाने या कोई अपना रोजगार शुरू करने में मार्गदर्शन करता है। यह कार्यक्रम
उन्हें सेना और अर्धसैनिक बलों सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों में भर्ती होने
के लिए तैयार करता है और स्वरोजगार के लिए दक्षता हासिल करने में भी मदद करता है।
वाईईजीएन
के सद्भावना कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक युवा सेना, अर्धसैनिक बलों, रेलवे और बैंकों में भर्ती हो गए हैं। इसके तहत अनेक युवाओं ने
जीविकोपार्जन और अपना कार्य करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वाईईजीएन के
केंद्रों में कम्प्यूटर प्रशिक्षण सुविधाएं, विभिन्न कौशल
में प्रशिक्षण सुविधाएं, योग्य कर्मचारी और युवाओं को
लाभदायक रोजगार पाने, उच्च शिक्षा ग्रहण करने या बैंक,
रेलवे की परीक्षाओं में बैठने या अन्य क्षेत्रों के लिए मार्गदर्शन
करने हेतु विशेषज्ञ उपलब्ध हैं।
युवाओं
में अधिकांश छात्र शामिल होते हैं, जिन्हें विभिन्न क्षेत्रों में प्रतियोगी परीक्षाओं
के लिए रोजगार समाचार पत्र के अलावा सामान्य ज्ञान पर पत्रिकाएं उपलब्ध कराई जाती
हैं।
डींग
गांव के नरेश कुमार ने सीमा पर स्थित सैन्थ गांव के वाईईजीएन केंद्र में एक मास
की अवधि का प्लम्बर कार्य का प्रशिक्षण लिया। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण समाप्त
करने के बाद एमएसएमई ने उसे प्लम्बिंग में डिप्लोमा प्रमाण-पत्र प्रदान किया। आज
वह लगभग दस हजार रूपये प्रतिमाह कमा रहा है। उसका कहना है कि कभी वह दैनिक आधार पर
कार्य करता है तो कभी कोई कार्य विशेष करके पैसा कमाता है। बीस वर्षीय रोहित कुमार
जिसने जम्मू के पॉलिटेक्निक कॉलेज से
प्लम्बिंग में प्रशिक्षण लिया था, आज वह अनुदेशक है और उसे
दैनिक आधार पर पाँच सौ रुपये दिये जाते हैं।
झांगर
गांव के रहने वाले इंद्रजीत माही का कहना है कि उसने इलेक्ट्रिक उपकरण जैसे प्रेस, पंखे, मोटर वायरिंग आदि मरम्मत करने के कार्य का प्रशिक्षण लिया जिसके लिए उसे
प्रमाण-पत्र दिया गया है। बिजली उपकरणों की मरम्मत करके वह कुछ धन कमाने योग्य
हो गया है। वह रियायती दर के ऋण की सहायता से अपनी मरम्मत की दुकान खोलना चाहता
है। इसी गांव का संजीव कुमार दसवीं पास है। उसने भी ऐसा ही प्रशिक्षण लिया है
लेकिन वह आगे मेकैनिक प्रशिक्षण लेना चाहता है।
जम्मू
संभाग के सीमा स्थित गांव का बलविंदर कुमार छोटा किसान है और उसकी आय दो समय का
खाना जुटाने के योग्य नहीं है। 30 वर्ष के बलविंदर का कहना है कि उसकी आयु में
किसी कौशल को प्राप्त करना और नौकरी पाना मुश्किल है लेकिन वह अपनी आय बढ़ाना
चाहता है। सद्भावना कार्यक्रम के अंर्तगत सेना उसे राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दे
रही है। उसका कहना है कि राजमिस्त्री रोजाना 250 से 300 रुपये कमा रहे हैं और उसे
उम्मीद है कि एक बार उसका प्रशिक्षण पूरा हो जाने पर वह भी प्रतिमाह लगभग 15,000
रुपये कमाने के योग्य हो जायेगा। सैन्थ ग्राम पंचायत और आसपास के ग्रामों के
अनेक युवा व्यक्तियों ने हेयर ड्रेसर के रूप में प्रशिक्षण लिया हैं और वे अब 200
से 250 रुपये प्रतिदिन कमाने योग्य हो गये हैं।
इस
कार्यक्रम के तहत मेकैनिक्स, वैल्डिंग, मुर्गीपालन, हेयर ड्रेसिंग और सिलाई का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्वरोजगार का
दायरा बढ़ाने के लिए नर्सिंग और मछली पालन का प्रशिक्षण भी शामिल किया जा रहा है।
सैंन्थ गांव के विवेक ने शारीरिक फिटनेस और चिकित्सा टेस्ट पास किया है। जब हम
उससे मिले तो वह लिखित परीक्षा में शामिल होने वाला था जिसकी उसने अच्छी तैयारी
कर रखी थी। उसने बताया कि युवाओं को वह सभी जानकारी दी गई है जो सेना या अन्य
सेवाओं और व्यवसायों में भर्ती के लिए आवश्यक है। उन्हें भर्ती केंद्रों में भी
ले जाया गया है ताकि, वहां अपनाये जाने वाली प्रक्रिया का
ज्ञान हो सके। आज उसे सेना में भर्ती होने और अपने पिता की तरह जो स्वयं सेना में
थे, देश की सेवा करने की उम्मीद है।
विशाल
ने सभी टेस्ट पास कर लिये हैं। अब उसे सीमा सुरक्षा बल की ओर से नियुक्ति पत्र
आने की प्रतीक्षा है। उसने बताया कि सीमा स्थित गांव के युवा सेना में भर्ती होने
के ज्यादा इच्छुक हैं। एक अन्य युवक ने भी ऐसे ही भावना जाहिर की है। उसने
बताया कि गांव के युवक शारीरिक फिटनेस टेस्ट पास करने के लिए आवश्यक कद काठी
रखते हैं। उसने कहा कि उसने सेना से अनुशासन सीखा है, जो देश की सेवा
करने की प्रेरणा का मुख्य स्रोत हैं। उसने भी सभी टेस्ट पास कर लिये हैं और सीमा
सड़क संगठन में भर्ती होने के लिए लिखित परीक्षा में बैठेगा।
राकेश
कुमार ने इस वर्ष बी ए में दाखिला लिया है। उसने बताया कि वाई ई जी एन केंद्र पर
उपलब्ध सामान्य ज्ञान की पत्रिकाओं और पुस्तकों तथा रोजगार समाचार ने उसे काफी
लाभ पहुंचाया है। खाली समय के बाद शाम को इस केंद्र की कंप्यूटर कक्षाओं में
प्रशिक्षण लेता है और सेना में भर्ती होना चाहता है।
इस
कार्यक्रम की पहल से सेना, नौसेना और अर्धसैनिक बलों में 60 से अधिक युवक भर्ती
हुए हैं। इसके अलावा अनेक युवा पुरुष और महिलाओं ने अपना कार्य शुरू करने के लिए
कौशल अर्जित किया है। कुछ युवाओं ने टेस्ट पास किये हैं और उन्हें जल्दी ही
नौकरी मिलने की उम्मीद है। अध्यापक और छात्र भी वाई र्इ जी एन पहल से लाभान्वित
हो रहे हैं। राजकीय हाई स्कूल खेरी गांव के विशाल शर्मा एक अध्यापक हैं। एमएससी
होने के बावजूद उन्हें कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है। उन्होंने वाईईजीएन केंद्र से
कंप्यूटर का प्रशिक्षण लिया है। सेना ने स्कूल में कंप्यूटर उपलब्ध कराये हैं और
अध्यापक लगभग एक माह से कंप्यूटर का उपयेाग कर रहे हैं। युवाओं में आत्मविश्वास
जगाने के लिए फुटबॉल, बास्केट बॉल सहित अनेक खेलों के मैच
आयोजित कराये जा रहे हैं। इसके अलावा वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन और अन्य शैक्षिक कार्यक्रम तथा प्रतिभा विकास के लिए यूथ
फेस्टिवल आयोजित कराये जा रहे हैं। ट्रेकिंग, पर्वतारोहण और
साइक्लिंग जैसे साहसिक पर्यटन आयोजित किये जा रहे हैं। युवाओं को अपने गांव से
बाहर की दुनिया की जानकारी दिलाने के लिए सेना शैक्षिक भ्रमणों का आयोजन कर रही है
ताकि, उनके दृष्टिकोण में व्यापकता आये।
सिद़दार
स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले राहुल कुमार अपने पठानकोट, चंडीगढ़ और
शिमला तथा हिमाचल प्रदेश के अन्य स्थानों के भ्रमण को याद करता है। वह गांव से
बाहर कभी नहीं गया था। सैन्थ ग्राम पंचायत के सरपंच सुखदेव सिंह ने बताया कि वाई
ई जी एन ने युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों में शामिल होने और अवांछित गतिविधियों
से दूर रखने में काफी सहायता की है। पिछले एक साल में उसकी पंचायत के 15 युवक सेना
और अन्य नौकरियों में भर्ती हुए है। दूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों के लगभग
2,400 युवक जिनमें 538 लड़कियां शामिल है, वाई ई जी एन में
पंजीकृत है। युवाओं की ऊर्जा सकारात्मक गतिविधियों में लगाने की जरूरत है और युवा
रोजगार एवं मार्गदर्शन केन्द्र (वाईईजीएन) सद्भावना के अंर्तगत दूरदराज के
सीमावर्ती क्षेत्रों में युवाओं को मुख्य धारा में शामिल होने के लिए महत्वपूर्ण
भूमिका निभा रहा है।
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