भारत
और चीन के बीच छठी वित्तीतय वार्ता कल बीजिंग में आयोजित की गई। यह वार्ता चीन की
जनता का गणराज्यब और भारत गणराज्या के बीच वित्तीोय वार्ता के शुभारम्भी पर अप्रैल
2005 में हस्ताकक्षरित समझौता ज्ञापन पर आधारित है। इससे पहले दोनों
पक्षों ने अप्रैल 2006, दिसम्ब0र 2007, जनवरी 2009,
सितम्बसर
2010 और नवम्बरर 2011 में वार्ता के पाँच दौर सफलतापूर्वक
सम्पान्नज किये।
इस
वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने विश्वा की अर्थव्योवस्थाष के सामने नई चुनौतियों,
भारत
और चीन में वृहत आर्थिक स्थितियां और नीतियां, दोनों देशों में
ढ़ांचागत सुधारों में प्रगति, बहुपक्षीय ढांचे और द्विपक्षीय
वित्तीनय सहयोग के अधीन सहयोग पर गहराई से विचार विनमय हुआ। दोनों पक्ष वृहत
आर्थिक नीतियों और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीधय आर्थिक एवं वित्तीिय मुद्दों पर नियमित
संवाद और सहयोग को सुदृढ़ करने पर सहमत हुए।
वृहत
आर्थिक स्थिति और नीति
दोनों
पक्षों ने इस बात को स्वीरकार किया कि विश्वक में आर्थिक सुधार की स्थिति अभी
कमजोर है और उसमें गिरावट के खतरे अभी बने हुए हैं। वित्तीकय बाज़ारों में
उतार-चढ़ाव भी तेज हो गया है। विकसित देशों में हो रहे तेज विकास के चलते यह
आवश्यीक है कि ये देश उभरती हुई बाजार अर्थव्यंवस्था ओं (ईएमई) के साथ सहयोग करें।
समूह के रूप में बाजार अर्थव्येवस्थांएं
विकसित हो रही हैं, लेकिन कुछ देशों में इसकी गति धीमी है। ऐसी
परिस्थितियों में भारत और चीन के लिए यह आवश्यैक है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक
नीतियों को लेकर आपसी ताल-मेल बने। विशेष रूप से जी-20 द्वारा अपनाई
गई नीतियों को लागू करने के लिए दोनों देशों में आपसी सहयोग आवश्येक है, ताकि
आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के माध्यतम से विश्वे का मजबूत, टिकाऊ
और संतुलित विकास हो सके।
भारत
और चीन में वृहत आर्थिक नीतियां तथा ढांचागत सुधार
मोटे
तौर पर चीन के आर्थिक परिदृश्यं में स्थाधयित्व
बना हुआ है। ढांचागत सुधारों ने गति पकड़ ली है, व्यारपक पैमाने
पर उपभोग बढ़ रहा है, मूल्योंु में स्थाधयित्वड बना हुआ है तथा
रोजगार की स्थिति भी अच्छी, बनी हुई है। साथ ही व्यरय संरचना में
सुधार के लिए राजस्व नीति पर ध्यानन
केंद्रित किया गया है, प्रशासनिक व्यथय को कम किया गया है। लोक
कल्यालण पर ध्या न दिया जा रहा है तथा लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को करों में छूट दी जा रही है।
वैश्विक
आर्थिक मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यटवस्थाह का आधार अभी भी मजबूत बना हुआ है।
भारत में कुछ जोखिमपूर्ण व्यादपक आर्थिक तथा राजस्वह प्रबंधन नीतियां अपनाई है,
ताकि
समावेशी विकास एवं उच्चो आर्थिक वृद्धि, इन दोनों लक्ष्यों को साधा जा सके। केंद्रीय बजट (2013-14)
में
निवेश को बढ़ाने, मुद्रा स्फीकति पर नियंत्रण करने, उच्चा
स्तेर के ढांचागत विकास तथा वंचित तबकों के लिए व्या़पक सामाजिक सुरक्षा को
सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं गए हैं।
दोनों
पक्ष ढांचागत सुधारों की प्रक्रिया में एक-दूसरे को सहयोग करने तथा आपसी ताल-मेल
की संभावनाओं को तलाशने पर सहमत हुए हैं।
बहुपक्षीय
रूपरेखा के अंतर्गत आपसी सहयोग
दोनों
पक्षों ने जी-20, ब्रिक्सर तथा अंतर्राष्ट्री य वित्तीमय
संस्थावनों जैसी बहुपक्षीय रूपरेखाओं के तहत द्विपक्षीय ताल-मेल के महत्व, को
समझा है। दोनों पक्ष जी-20 के सेंट पीटर्सबर्ग शिखर सम्मेालन में
लिए गए महत्वापूर्ण निर्णयों को लागू करने में एक-दूसरे का सहयोग करने के लिए
तैयार हुए है। दोनों देशों के बीच अन्यर ब्रिक्सग सदस्यै देशों के साथ सहयोग पर
सहमति बनी है ताकि 'ब्रिक्सि विकास बैंक' तथा 'आककस्मिक
संरक्षण प्रबंध' जैसे कदमों को किसी ठोस परिणाम तक पहुंचाया जा
सके। इसी प्रकार दोनों पक्ष मिलकर अंतर्राष्ट्री्य वित्तीधय संस्थादनों से
विकासशील देशों के लिए ऋण क्षमता बढ़ाने का आह्वान करेंगे।
द्विपक्षीय
वित्तीआय सहयोग
दोनों
देशों ने द्विपक्षीय व्यायपार एवं निवेश के विस्ता्र में मजबूत मुद्रास्फींति तथा
वित्तीलय सहयोग की आवश्यशकता को पहचाना है। दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय
वित्तीमय सहयोग को बढ़ाने के लिए आपसी संवाद को मजबूत करने तथा संभावनाओं को
तलाशने पर सहमति बनी है। दोनों देशों के वित्तींय नियंत्रकों ने विदेशी बैंकों के
लिए बाजार अभिगम्यीता नियंत्रक नीतियों पर विचार-विमर्श किया तथा एक-दूसरे के
बाजार में विभिन्न बैंकों को अपनी शाखाएं
तथा उप-शाखाएं खोलने के लिए सहयोग करने पर भी बातचीत हुई।
दोनों
पक्षों ने भारत-चीन वित्ती य संवाद को बढ़ाने के लिए आपसी सहयोग को मजबूत करने,
आपसी
विश्वापस को गहरा करने तथा द्विपक्षीय राजस्वव और वित्तीलय संवाद को प्रोत्सानहन
देने पर सहमति जताई। दोनों पक्ष 2014 में नई दिल्ली में 7वें
भारत-चीन वित्तीहय संवाद के लिए भी तैयार हुए हैं।
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