यह
माना जाता है कि साक्षरता विकास की कूंजी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके ही
कारण गरीब जनता अलग-थलग है और कल्याणकारी कार्यक्रमों से वंचित है। राष्ट्रीय
साक्षरता मिशन का नया स्वरूप ‘’साक्षर भारत’’ प्रधानमंत्री
डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा सितंबर 2009 में शुरू किया गया था। शुरू में यह
योजना 31 मार्च, 2012 तक लागू थी, किंतु अब साक्षर
भारत कार्यक्रम को 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में
शामिल कर लिया गया है।
सुनियोजित
देख-रेख और अथक प्रयासों के कारण इस दिशा में काफी प्रगति हुई है। 2001
में साक्षरता दर 64.83 प्रतिशत थी, जो 2011
में बढ़कर 74.04 प्रतिशत हो गई है। रोचक तथ्य यह है कि महिलाओं
की साक्षरता दर तेजी से अर्थात् 53.67 प्रतिशत से बढ़कर 65.46
प्रतिशत हो गई है और यह बढोत्तरी 11.8 प्रतिशत है, जबकि पुरूषों
की साक्षरता दर 75.26 प्रतिशत से बढ़कर 82.14 प्रतिशत हो गई
है अर्थात् 6.9 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई है। साक्षरता का
स्तर विभिन्न राज्यों, जिलों, सामाजिक समूहों
और अल्पसंख्यकों के बीच एक जैसा नहीं रहता है। हालांकि कुछेक राज्यों ने विशेष
साक्षरता अभियान चलाकर और सामुदायिक समर्थन से बेहतर साक्षरता स्तर को हासिल
किया है। फिर भी, कुछ राज्य अब भी पीछे हैं।
साक्षर
भारत मिशन का उद्देश्य अच्छी एवं स्तरीय व्यस्क शिक्षा व साक्षरता के जरिए
पूर्णत: साक्षर समाज की स्थापना करना है। इस मिशन के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार
हैं, जिन्हें वर्ष 2017 तक हासिल किया जाना है:-
- साक्षरता स्तर का आधार वर्ष 2011 के 73 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक बढ़ाना।
- महिलाओं और पुरूषों के बीच साक्षरता के अंतर को कम करके वर्ष 2011 के 16 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक लाना।
- साक्षरता स्तर पर शहरी ग्रामीण असमानता को पाटना।
यह
देखते हुए कि सामाजिक विकास संबंधी सभी गतिविधियों के लिए महिला साक्षरता
एक जबर्दस्त ताकत है, ‘साक्षर भारत’ को 8 सितंबर,
2009 को
भारत के राष्ट्रीय व्यस्क शिक्षा कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था।
इस
कार्यक्रत के जरिए सरकार ने ग्रामीण भारत में 15 वर्ष की आयु और
इससे अधिक आयु के सभी लोगों, विशेषत: महिलाओं को शामिल किया है। यह
विश्व का सबसे बड़ा साक्षरता कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य
वर्ष 2017 तक 6 करोड़ निरक्षर महिलाओं और 1
करोड़ निरक्षर पुरुषों को साक्षर बनाना है।
इस
योजना के चार महत्वपूर्ण घटक है जिनका दृष्टिकोण लक्ष्य परक है।
1. कार्यात्मक साक्षरता
2. बुनियादी शिक्षा
3. व्यावसायिक कौशल विकास
4. सतत् शिक्षा कार्यक्रम
1. कार्यात्मक
साक्षरता
कार्यात्मक
साक्षरता का आशय पढ़ने, लिखने और गणित में लोगों को आत्म-निर्भर बनाना
है। यह 300 घंटे की पढ़ाई-लिखाई का कार्यक्रम है, जिसे इंसट्रक्टर
के माध्यम से चलाया जाएगा। यह कार्यक्रम तीन महीने या इससे अधिक का होगा जिसे
लोगों की मातृभाषा में चलाया जाएगा।
2. बुनियादी
शिक्षा कार्यक्रम
इससे
निरक्षर वयस्क बुनियादी शिक्षा के बाद भी अपनी पढाई जारी रख सकेंगे और वे 10
वर्ष की औपचारिक शिक्षा के बराबर बुनियादी शिक्षा हासिल कर सकेंगे।
3. व्यावसायिक
कौशल विकास कार्यक्रम
इस
कार्यक्रम के जरिए वयस्कों को व्यावसायिक कौशल सिखाया जाएगा ताकि वे अपना
जीवन-स्तर और आजीविका की स्थिति में सुधार ला सकें। उचित व्यावसायिक कौशल का
प्रशिक्षण 271 जन शिक्षण संस्थानों के माध्यम से दिया
जाएगा। ये संस्थान इस कार्यक्रम के तहत
पूर्णत: वित्त पोषित गैर-सरकारी संगठन हैं।
4. सतत शिक्षा
कार्यक्रम
इस
कार्यक्रम के जरिए आजीवन अध्ययन करने हेतु अवसर प्रदान करके एक अध्ययनरत समाज की
स्थापना करना हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गांवों में सतत् अध्ययन का वातावरण
तैयार करना है ताकि लोगों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
यह
योजना वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस को शुरु की
गई थी। तब से इसे 25 राज्यों के 372 अल्प महिला
साक्षरता जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया गया है। पिछले चार वर्षों में
इस योजना की उपलब्धियां इस प्रकार हैं:-
- दो करोड़ से अधिक वयस्कों को बतौर साक्षर प्रमाणित किया गया है।
- लगभग डेढ़ लाख लोक शिक्षा केन्द्रों को स्थापित किया जा चुका है।
- 15.5 लाख स्वैच्छिक अध्यापकों को जुटाया गया है और 18.5 लाख वयस्कों को विभिन्न व्यवसायों में दक्ष बनाया गया है।
यह
प्रसन्नता और गौरव की बात है कि राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण ने इस वर्ष
का यू.एन.ई.सी.ओ. किंग सेजोंग साक्षरता पुरस्कार प्राप्त किया है। यह पुरस्कार
एक पूर्णत: साक्षर समाज स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध कार्यक्रम के रूप में दिया
गया है।
हालांकि,
ऐसे लांगों की संख्या काफी है, जिन्होंने बुनियादी शिक्षा का अवसर
पहले ही खो दिया है। ऐसे 20 राज्य हैं जिनकी साक्षरता दर 80
प्रतिशत से कम है। 19 राज्यों में महिला से कम पुरूष साक्षरता दर
में अंतर दस प्रतिशत से अधिक है। 482 जिलों की साक्षरता दर 80 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों में औसत महिला
साक्षरता दर दयनीय अवति 58 प्रतिशत की अस्वीकार्य स्थ्िति
में है। हमें साक्षरता स्तर को ऊंचा उठाने के लिए दोगुनी ताकत से प्रयास करने की
जरूरत है। विशेषत: महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित
जनजातियों, अल्पसंख्यकों और समाज के अन्य अलग-अलग लोगों
के संदर्भ में। राष्ट्रपति जी ने इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके
पर देशवासियों से कहा है कि हमारा उद्देश्य न केवल औसत विश्व दर के बराबर
अपने देश की साक्षरता दर को लाना है, बल्कि इसे अग्रणी देशों द्वारा हासिल
साक्षरता दर के स्तर तक पहुंचाना है। उन्होंने यह भी बताया कि इस लक्ष्य को
कैसे हासिल किया जाए। उन्होंने कहा कि हमें बालिकाओं और महिलाओं पर विशेष
ध्यान देते हुए, महिलाओं और पुरूषों के बीच साक्षरता के अंतर
को पाटना होगा। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि साक्षरता समस्त देश में फैले जिससे
गरीबी दूर हो और समाज के सभी वर्गों में पुरूषों व महिलाओं के बीच समान एवं उचित
साक्षरता दर हो तथा प्रत्येक बच्चे को स्कूल जाने का अवसर प्राप्त हो। हमें इस
दिशा में सभी स्तरों अर्थात् राष्ट्रीय, राज्य, जिला,
ब्लाक
और ग्राम पंचायत के स्तर पर अपने तंत्र को मजबूत व गतिशील बनाना होगा। सरकारी
एजेंसियों और गैर-सरकारी एवं निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठित संगठनों को शामिल
करके कार्यान्वयन ढांचे को भी सुदृढ़ बनाना होगा।
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