लघु उद्यमी एवं लघु व्यानपार विकास का राष्ट्रीरय संस्था न (नेशनल
इंस्टिट्यूट फॉर इंटरप्रेन्योरशिप एंड स्मॉल बिजनेस डवेलेपमेंट-एनआईईएसबीयूडी)
सूक्ष्मा, लघु तथा
मध्यसम उद्यमी विकास मंत्रालय के अंतर्गत 6 जुलाई 1983 से काम कर रहा है। इस संस्थासन का मूल उद्देश्या सूक्ष्मर, लघु एवं मध्यीम उद्यमों का संवर्धन करना है। संस्था न प्रतिस्पसर्धा
बढ़ाने के अनेक उपाय करता है।
इस संस्थान के प्रमुख कार्य निम्न्लिखित हैं-
प्रशिक्षण
संस्थान जो प्रमुख कार्य करता है उनमें शामिल हैं- प्रशिक्षकों का
प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीटीपी), प्रबंध विकास कार्यक्रम (एमडीपी), विभाग प्रमुखों (एचओडी) तथा वरिष्ठ् कार्यपालकों के लिए उन्मुमखता
कार्यक्रम तथाउद्यम-सह--कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी) और विभिन्नख लक्ष्यी
समूहों के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई प्रायोजित गतिविधियां।
हाल ही में इस संस्थान ने विभिन्न
क्षेत्रों के कुशल कामगारों का कौशल बढ़ाने के उद्देश्य से उन वर्गों के
विभिन्न् कामगारों के लिए उद्यम सह-कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी) चलाना शुरू
किया है जिन वर्गों और उद्योगों में इनकी कमी महसूस की जाती रही है। साथ ही यह
समसामयिक क्षेत्रों में शुल्क-आधारित
प्रशिक्षण गतिविधियां आयोजित करता रहा है।
यह संस्थान जुलाई 1983 से मार्च 31, 2013 तक अपने 5,951 विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये अपने 1,58,700 लोगों
को प्रशिक्षित कर चुका है। प्रशिक्षित लोगों में 2,453
अंतर्राष्ट्रीय भागीदार शामिल हैं जो दुनियाभर के 130 से
ज्यादा देशों से आये।
2013-14 के दौरान करीब 1 लाख लोगों को ट्रेनिंग दिये जाने
की संभावना है। नवम्बर 2013 तक 60,000
से ज्यादा को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
अनुसंधान/मूल्यांकन अध्य्यन
प्रारंभिक/मूल अनुसंधान के अलावा यह संस्थांन विभिन्नो सरकारी स्कीमों/कार्यक्रमों
की प्रशिक्षण आवश्यकताओं का मूल्यांयकन और समीक्षा करता रहा है। औद्योगिक संभावित
क्षमता का सर्वेक्षण भी यह संस्थान करता रहा है। यह सभी के प्रोजेक्ट् प्रोफाइल भी
तैयार करता रहा है जो संस्थािन की बहुआयामी गतिविधियों का अभिन्न अंग है। इन
गतिविधियों का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के क्षेत्र को बढ़ावा देना
है।
वर्ष 2012-13 में इस संस्थान ने मूल्यांकन/अनुसंधान के 7 अध्ययन
पूरे किए। संस्थान अनेक मूल्यांकन/अनुसंधान अध्ययनों पर वर्तमान में काम कर रहा है
और ये प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं।
पाठ्यक्रमों का विकास
इस संस्थान ने विभिन्न नौ लक्ष्य् समूहों के लिए आदर्श उद्यम विकास
कार्यक्रम विकसित किए हैं। ये हैं- सामान्यक उद्यम, विज्ञान एवं टैक्नोनलॉजी उद्यम, महिला उद्यमी, शिक्षित बेरोजगार उद्यमी, पूर्व सैनिक उद्यमी, ग्रामीण उद्यमी (समाज के दुर्बल
वर्गों सहित), दस्तदकार उद्यमी, आदिवासी
उद्यमी और विकलांग उद्यमी।
फिलहाल यह संस्था न सूक्ष्मौ, लघु तथा मध्यउम उद्यम मंत्रालय के कोर ग्रुप की नये
पाठ्यक्रमों के शुरू करने/ मानकीकरण में सहायता कर रहा है।
प्रकाशन
यह संस्थान उद्यमिता तथा इससे जुड़े हुए विषयों पर विभिन्न प्रकार के
प्रकाशन एवं उद्यमिता में काम आने वाले उपकरणों का विकास एवं संचालन करता रहा है।
हाल ही में इस संस्थान ने एक पुस्तिका प्रकाशित की है जिसका शीर्षक है लर्न टू
अर्न (सीखो और कमाओ)- स्कूली छात्रों के लिए उद्यमिता की शुरूआत। कंप्यूटर
हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग, खाद्य प्रसंस्क्रण, डेस्कटॉप
पब्लिशिंग। उद्यमिता विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रम की पुस्तदक: नियोज्य्ता एवं उद्यमिता
कौशल पर भी पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं। इस संस्थातन ने एक उद्यमिता, प्रेरणा एवं प्रशिक्षण किट तैयार किया है जिसमें प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों के लिए 6
प्रकार के खेल और प्रशिक्षण को सुविधाजनक बनाने के तरीके दिये गये हैं।
यह संस्था न एक त्रैमासिक न्यूजलेटर प्रकाशित करता है जिसमें संस्थान
की गतिविधियों के बारे में सूचनाएं रहती हैं। न्यूजलेटर में आगामी
कार्यक्रमों/गतिविधियों तथा सूक्ष्मि, लघु और मध्य म दर्जे के उद्यमों से संबंधित मंत्रालय
और इससे जुड़े क्षेत्रों के बारे में कार्यक्रमों/गतिविधियों की खबरें होती हैं।
उद्यमों का समूह बनाने का तरीका
सूक्ष्म ,लघु एवं मध्यरम क्षेणी के उद्यम के विकास में समूह बनाने का तरीका अपनाने
से दुनियाभर में बहुत किफायत हुई है। यह संस्थान कई प्रकार से विकास कार्यक्रमों
में सक्रिय रूप से शामिल रहा है और विभिन्न
हैसियत से इसने काम किया है। अभी तक यह संस्थाथन 24
औद्योगिक समूहों के विकास में शामिल रहा है।
फिलहाल यह संस्था न मेरठ के कैंची बनाने वाले उद्योग समूह के लिए एक
समान सुविधा केंद्र (सीएफसी) विकसित करने की एजेंसी के रूप में काम कर रहा है।
इस संस्था न ने मुरादाबाद
में पीतल उद्योग समूह, पिलखुआ में कपड़ा उद्योग समूह और मेरठ में कैंची उद्योग समूह विकसित करने
में काम किया है और इसका तजुर्बा बहुत अच्छाे और उत्पामदक रहा है।
एडड संस्थान एमएसएमई गारर्मेंट इनक्यू्बेशन सेंटर
सूक्ष्म्, लघु एवं मध्यकम उद्यमिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित इनक्यूपबेटर इस संस्था
न के परिसर में ही काम कर रहा है और यह लाभार्थियों को वास्तलविक फैक्ट्री और
बाजार की परिस्थतियों से परिचित कराता और प्रशिक्षण देता रहा है। यह केंद्र मड़े
काटने, सिलाई और जरदोज़ी की मशीनों से लैस है। इसमें एक सुई
वाली लॉक स्टिच, ओवर लॉक स्टिच और इंटरलॉक स्टिच मशीनें रखी
गई हैं। इनका इस्तेीमाल लाभार्थियों को व्या वहारिक प्रशिक्षण देने/माहौल बनाने
में किया जाता है।
बौद्धिक संपदा सुविधा केंद्र
बौद्धिक संपदा अधिकार इस क्षेत्र में काम करने वाली यूनिटों और उनके
विकास के लिए महत्वेपूर्ण पाये गए हैं। इस संस्था न के परिसर में एक बौद्धिक संपदा
सुविधा केंद्र चालू हो गया है, जो एक ही छत के नीचे आसपास की यूनिटों को बौद्धिक
संपदा अधिकारों की पहचान, पंजीकरण, संरक्षण
एवं प्रबंधन की सुविधा देता है।
ई मॉड्यूल: ईडीपी
इस संस्थाकन ने हिंदी और अंग्रेजी में ई लर्निंग का मॉड्यूल विकसित
किया है जो उद्यमी विकास कार्यक्रमों में काम आता है। इस मॉड्यूल की प्रशिक्षण
सामग्री एक सीडी में तैयार कर ली गई है जिसकी कीमत किफायती रखी गई है। यह मॉड्यूल
उन लोगों के लिए खासतौर से लाभप्रद है जो क्लाससरूम में पूरा समय नहीं दे पाते।
इस मॉड्यूल में एक दिन का प्रारंभिक प्रशिक्षण रखा गया है जिसके बाद 14 दिनों को ऑनलाइन प्रशिक्षण होता
है। इस ऑनलाइन परीक्षा के बाद भगीदारों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र दिये जाते हैं। यह
मॉड्यूल तकनीकी और प्रबंधकीय संस्था्नों के छात्रों में बहुत लोकप्रिय हैं।
इस मॉड्यूल को अब तक पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तॉराखंड, उत्तार प्रदेश, पंजाब और राजस्थाइन में शुरू किया जा
चुका है।
क्षेत्रीय केंद्र, देहरादून
इस संस्थादन का एक क्षेत्रीय केंद्र
देहरादून में खोला गया है जो खास तौर से उत्रााखंड और उत्त र प्रदेश के
निवासी लाभर्थियों को परामर्श सेवाएं देने का काम करता है।
उद्यमिता सर्जन के लिए प्रशिक्षण
संस्थान द्वारा आयोजित किए जा रहे ईडीपी और ईएसडीपी के मुख्ये
उद्देश्यो भागीदारों को प्रेरणा देना और उन्हें
स्वेरोजगार के लिए प्रेरित करना है। यह संस्थाजन ऐसे लोगों को हर प्रकार की
सेवाएं प्रदान करता है। अगर उद्यमी स्व रोजगार नहीं चाहते, तो यह संस्थान उन्हें वेतन वाला
रोजगार पाने में मदद करता है।
पिछले तीन वर्षो के दौरान संस्था के द्वारा
प्रशिक्षित किये गये व्यक्तियों का प्रतिशत :
|
इकाईयां लगाने के लिए
सहायता प्राप्त सहभागियों का प्रतिशत
|
मजदूरी रोजगार के लिए
सहायता प्राप्त सहभागियों का प्रतिशत
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2010-11
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6.80
|
32.73
|
2011-12
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4.20
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19.41
|
2012-13
|
2.44
|
27.23
|
सहयोगात्मक गतिविधियां :
विभिन्ने
लक्षित समूह के लिए सहायता तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए संस्थाेन
विभिन्नक देशी तथा विदेशी संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है। इनमें इंटरनेशनल
फाइनेंस कोरपोरेशन (आईएफसी), विश्वा बैंक समूह का एक सदस्य; जीआईजेड; सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी
एजुकेशन(सीबीएसई); सन ऑन-लाइन लर्निंग इंडिया प्रा.लि.;
इंस्टीट्यूट इंडिया,
जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेनेजमेंट आदि शामिल हैं।
साझेदार संस्थान :
संस्थान, इसकी प्रशिक्षण गतिविधियों की
पहुंच को बढ़ाने के लिए शैक्षणिक गतिविधियों एवं उद्यमशीलता विकास से जुड़े आधार
स्तर के संगठनों जिनके पास पर्याप्तत बुनियादी सुविधाएं, अनुभवी
फैकल्टीं, विभिन्ऩ प्रशिक्षण गतिविधियों को संचालित करने
के लिए वित्तीय व्यवहारिता हो, उन्हें अपने पैनल में शामिल
करता है। संस्थाल के साथ ऐसे 63 साझेदार संस्थान जुड़े हुये
है, जो 12 राज्यों /केन्द्र शासित
प्रदेशों में हैं।
अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियां :
विभिन्नत
देशों के सहभागियों के लिए विदेश मंत्रालय:
आईटीईसी/एससीएएपी/सीओएलओएमबीओ योजना की फैलोशिप के तहत संस्थात आठ सप्ताह
का प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है।
इसके
अलावा, संस्था
विदेशी एजेंसियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम डिजाइन और संचालित करता
है। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों की औद्योगिक क्षमताओं का आकलन करने के लिए
अन्य देशों को कंसल्टेनसी के कार्य में
सहायता करता है।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परामर्श सेवाएं देना:
इनमें
उद्यमशीलता विकास संस्थान का गठन करना; सूक्ष्म तथा बड़ी औद्योगिक क्षमताओं का सर्वेक्षण
करना;विभिन्न। लक्ष्य समूहों की प्रशिक्षण आवश्यसकताओं
का आकलन करना; विभिन्न लाभार्थियों का चयन करना अर्थात्
प्रशिक्षण प्रदाता, एमएसएमई आदि;
प्रशिक्षण प्रदान करने वाले(टीटीपी), उद्यमशीलता व कौशल विकास
कार्यक्रम(ईएसडीपी), उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम(ईडीपी) और
विभिन्न् ओरिएंटेशन कार्यक्रमों के पाठ्यक्रमों का निर्धारण करना; भारत तथा विदेश में उद्यमियों तथा प्रशिक्षण देने वालों के लिए प्रशिक्षण
कार्यक्रम संचालित करना; विभिन्न लक्ष्य, समूहों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण सामग्री तैयार करना,
इनमें सुधार करना; विभिन्न औद्योगिकी क्लस्टरों की पहचान करना, इनके
समेकित विकास को सुनिश्चि त करना, एमएसएमई क्षेत्र को
बढ़ावा देने के लिए बुनियादी सुविधाओं की स्थापना, इनकी
योजना तथा नीति का निर्माण करना आदि शामिल हैं।
PIB
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