भारत और कुवैत ने ऊर्जा तथा सजायाफ्ता
लोगों को भेजने सहित पांच समझौतों पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए. यह समझौते
कुवैत के प्रधानमंत्री शेख जाबर अल मुबारक अल हमद अल सबा की भारत की चार दिवसीय
राजकीय यात्रा के दौरान 8 नवंबर 2013 को किए गए. इसमें ऊर्जा क्षेत्र में अधिक भागीदारी, शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के अलावा
सजायाफ्ता लोगों को भेजने,
खेल और युवा मामलों के क्षेत्र में
सहयोग तथा सांस्कृतिक और सूचना कार्यक्रमों के आदान प्रदान के समझौते शामिल हैं.
समझौते के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं.
सजायाफ्ता लोगों को भेजने संबंधी
समझौता
इस समझौते के तहत अब दोनों देश एक
दूसरे के सजायाफ्ता नागरिकों को स्वेदश वापस ला सकेंगे जहां उक्त कैदी अपनी सजा की
बाकी मीयाद पूरी करेगा.
खेल, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में
आदान प्रदान हेतु सहमति पत्र पर हस्ताक्षर
खेल, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में आदान प्रदान के लिये दो सहमति
पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए.
इसके साथ ही विदेशी मामलों के मंत्रालय
के तहत विदेश सेवा संस्थान और कुवैत के विदेश मामलों के मंत्रालय के तहत सऊदी अल
सबा कुवैत डिप्लोमेटिक इंस्टीटयूट ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के
तहत दोनों देशों के संस्थानों के बीच ढांचे पर आधारित सूचना, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विषय, प्रशिक्षुओं, छात्रों, संकायों, सदस्यों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं का आदान प्रदान होगा.
ऊर्जा के क्षेत्र में भी समझौता
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने
ऊर्जा के क्षेत्र में दीर्घावधि आपूर्ति ठेके और पेट्रोलियम तथा पेट्रोकेमिकल के
क्षेत्र में संयुकत उपक्रम स्थापित करके भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा की. भारत के
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत ने कुवैत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के समक्ष
निवेश की कई परियोजनाएं पेश की.
आतंकबाद से मुकाबला
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने
भारत और कुवैत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बातचीत और प्रशिक्षण के जरिए एक दूसरे
की सहायता करने की घोषणा की. उन्होंने सीरिया के मसले का शांतिपूर्ण हल निकालने पर
जोर दिया.
डा. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत और
कुवैत के रिश्ते में सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग एक नया आयाम है. हम दोनों
इस बात पर सहमत हुये हैं कि कट्टरवाद और चरमपंथ से निपटना हम दोनों की समस्या है.
विदित हो कि वर्ष 2003 में कुवैत के प्रिंस और प्रधानमंत्री
के अलग होने के बाद सरकार प्रमुख के स्तर पर कुवैत का यह पहला सबसे बड़ा दौरा है.
भारत की तरफ से शीर्ष स्तर का दौरा 1981 में हुआ था. जब पूर्व प्रधानमंत्री
इंदिरा गांधी ने कुवैत की यात्रा की थीं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की
कुवैत की यात्रा के बाद से भारत का कोई भी प्रधानमंत्री कुवैत की यात्रा पर नहीं
गया है.
कुवैत में सात लाख भारतीय रहते हैं.
भारत खाड़ी देशों से 60 प्रतिशत तेल आयात करता है. भारत को
कच्चा तेल की आपूर्ति करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश कुवैत है.
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