शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

गोवा में आयोजित 44 वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) एशिया में प्रति वर्ष आयोजित होने वाले सबसे महत्वपूर्ण फिल्म समारोहों में से एक है। इसका उद्देश्य विभिन्न देशों के सामाजिक, सांस्कृतिक लोकाचार के संदर्भ में समझ और फिल्म संस्कृति की सराहना करने, दुनिया के लोगों के मध्य मैत्री और सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व सिनेमा को फिल्म कला की उत्कृष्टता दर्शाने के लिए साझा मंच उपलब्ध कराना है।

इतिहास

आईएफएफआई  का पहला संस्करण फिल्म प्रभाग, भारत सरकार द्वारा 1952 में मुंबई में आयोजित किया गया था। इसमें चालीस फीचर और सौ लघु फिल्में शामिल की गई थी। इसके बाद यह समारोह चेन्नई, दिल्ली और कोलकाता में ले जाया गया। इस समारोह का स्वरूप गैर-प्रतिस्पर्धात्मक था और इसमें चौबीस देशों ने भाग लिया। मुख्य समारोह का आरंभ मुंबई में हुआ था जिसका उद्घाटन सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री श्री के.के. दिवाकर ने किया था। दिल्ली सत्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने 21 फरवरी, 1952 को किया था।

1952 में शुरूआत के बाद आईएफएफआई भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा आयोजन है। बाद में आईएफएफआई नई दिल्ली में आयोजित किए गए। जनवरी, 1965 में आयोजित तीसरे संस्करण से यह प्रतिस्पर्धी बन गया। इसके बाद इसे केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम ले जाया गया था। 1975 में फिल्मोत्सव की गैर-प्रतिस्पर्धी तथा एक साल के अंतराल के बाद अन्य फिल्म निर्माण करने वाले शहरों में आयोजित करने की शुरूआत की गई। बाद में फिल्म महोत्सवों का आईएफएफआई में विलय कर दिया गया। 2004 में इसे त्रिवेन्द्रम से गोवा लाया गया, तब से आईएफएफआई वार्षिक और प्रतिस्पर्धी आयोजन बन गया है।

आईएफएफआई, 2013

आईएफएफआई का 44वां संस्करण 20 नवंबर, 2013 से शुरू होकर 30 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। आईएफएफआई सचिवालय द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तत्वाधान में गोवा सरकार के सहयोग से आयोजित समारोह में पूरे विश्व से आई फिल्में दिखाई जाएंगी। इसमें भारत से लेकर पूरी दुनिया से आई समकालीन एवं कला फिल्में एक गुलदस्ते के रूप में पेश की जाएंगी। इसमें विभिन्न फिल्म स्क्रीनिंग कार्यक्रम, शैक्षिक सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस संस्करण में विभिन्न श्रेणियों में लगभग 160 फिल्में दिखाई जाएंगी।

आईएफएफआई का 44वां संस्करण कई मामलों में विशिष्ट है। पहली बार दो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म हस्तियां, हॉलीवुड की अभिनेत्री सुसान सारांडोन और जानेमाने ईरानी फिल्म निर्माता माज़िद मजीदी उद्घाटन समारोह में मंच साझा किया। पहली बार नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला और लेक वालेसा पर फिल्में दिखाई जाएगीं। पहली बार भारत के महान स्वतंत्रता-संग्राम नेता बाशा खान पर आधारित अफगान निदेशक द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म दिखाई जाएगी। हॉलीवुड अभिनेत्री सुश्री मिशेल योह, इस उत्सव के समापन समारोह की मुख्य अतिथि होंगी। इस समारोह में पहली बार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के सिनेमा पर प्रकाश डाला जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों की 19 फिल्मों के पैकेज में आठ पूर्वोत्तर राज्यों की जातीय, परम्परागत और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाया जाएगा।

प्रतिष्ठित लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार जानेमाने चेक फिल्म निदेशक श्री जिरी मेंजेल को दिया जा रहा है जिनकी फिल्में चेक न्यू वेब सिनेमा के रूप में मानी गई हैं। 44वें आईएफएफआई में फोकस खंड में जापान की फिल्में दिखाई जाएगी। जिरी मेंजेल द्वारा निर्मित चेक हास्य फिल्म द डॉन जोआंस से इस समारोह की शुरूआत हुई। समापन फिल्म मंडेला : लांग वॉक टू फ्रीडमजिसे जस्टिन चाणविक ने निर्देशित किया है, रंगभेद विरोधी क्रांतिकारी और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की जीवनी पर आधारित है।

भारतीय पैनोरमा

भारतीय पैनोरमा श्रेणी में समकालीन भारतीय सिनेमा की 26 फीचर फिल्में और 16 गैर-फीचर फिल्में शामिल हैं। महान अभिनेता मनोज कुमार ने उद्घाटन समारोह के दौरान भारतीय पैनोरमा-2013 की आधिकारिक रूप से झंडी दिखाकर शुरूआत की। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और संपादक श्री बी लेनिन की अध्यक्षता में फीचर फिल्मों की जूरी ने कुल 210 योग्य प्रविष्टियों में से 25 फिल्मों का चयन किया है। हिन्दी फिल्म पान सिंह तोमर, जिसने अभी हाल में 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता है, भारतीय पैनोरमा में 26वीं फिल्म है, जिसे सीधा प्रवेश मिला है। फीचर फिल्म जूरी ने कान्याका टाकीज (मलयालम निदेशक के आर मनोज ) को भारतीय पैनोरमा-2013 की उद्घाटन फिल्म के रूप में चुना है। फीचर फिल्म श्रेणी में जिन फिल्मों को चुना गया है, उनमें छह मलयालम, पांच बांगला, पांच हिन्दी, तीन मराठी और दो अंग्रेजी में हैं। कोंकणी, कन्नड, मिसिंग, उड़िया और तमिल में एक-एक फिल्म का चयन किया गया है।

जानेमाने निदेशक श्री राजा सेन की अध्यक्षता में गैर-फीचर फिल्म जूरी ने 130 योग्य प्रविष्टियों में से 15 फिल्मों का चयन किया है। कश्मीरी फिल्म शैफर्ड्स ऑफ पैराडाइज (निदेशक- श्री राजा शब्बीर खान) ने हाल में आयोजित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता है। इसे सीधे प्रवेश मिला है और यह भारतीय पैनोरमा की 16वीं फिल्म है। गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में रंगभूमि (हिन्दी, निदेशक कमल स्वरूप) उद्घाटन फिल्म है। गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में हिन्दी की पांच, मलयालम की तीन, अंग्रेजी की तीन, मराठी की दो, कश्मीरी की दो और कुदुख की एक फिल्म शामिल है।

आईएफएफआई-2013 युग फिल्म निर्माताओं मनोज कुमार, बुद्धदेब दासगुप्ता और एस. शंकर को नमन करता है और इन तीन हस्तियों की पसंद की तीन फिल्में इनके प्रशंसकों के लिए दिखाई जाएंगी।

पुरस्कार

44वें आईएफएफआई में विश्व की 16 फिल्मों को प्रतिष्ठित मयूर पुरस्कारों के लिए मुकाबला करना होगा। सर्वश्रेष्ठ फिल्म को 40 लाख रूपए नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा, जिसे फिल्म के निर्माता और निर्देशक में बराबर-बराबर बांटा जाएगा। फिल्म के निदेशक को नकद पुरस्कार के अलावा गोल्डन मयूर और प्रमाण-पत्र भी दिया जाएगा। रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और नकद पुरस्कार 15 लाख रूपए का होगा, जो श्रेष्ठ निदेशक को दिया जाएगा, जबकि सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं (पुरूष) और (महिला) को रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और 10 लाख रूपए का नकद ईनाम दिया जाएगा। किसी फिल्म (फिल्म के किसी भी पहलू के लिए जिसे जूरी पुरस्कार या मान्यता देना चाहती है) या व्यक्ति (फिल्म के लिए उसके कलात्मक योगदान के लिए) को रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और 15 लाख रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

प्रतिष्ठित लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार में 10 लाख रूपए का नकद पुरस्कार, प्रमाण-पत्र, एक शॉल और दुपट्टा सिनेमा के लिए विशिष्ट योगदान देने वाले मास्टर फिल्म निर्माता को प्रदान किया जाएगा। प्रतिष्ठित चेक फिल्म निर्माता श्री जिरी मेंजेल इस वर्ष का यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं। शताब्दी पुरस्कार रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और 10 लाख रूपए का नकद पुरस्कार उस फीचर फिल्म को दिया जाएगा, जो सौंदर्य, तकनीक या प्रौद्योगिकी नवाचार के रूप में मोशन फिक्चरों में नये प्रतिमान को दर्शाती हों।

भारतीय सिनेमा का शताब्दी वर्ष

यह वर्ष भारतीय सिनेमा का 100वां वर्ष है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस अवसर पर फिल्म उद्योग को बढ़ाना देने के लिए विशेष कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं- सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा के लिए मुदगल समिति का गठन किया गया है और समिति की सिफारिशें विचाराधीन है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि फिल्म निर्माताओं को देश में अनुमति लेने के लिए किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े, मंत्रालय ने एकल खिड़की क्लीयरेंस प्रणाली स्थापित करने के लिए सक्रिय कदम उठाया है। इसका उद्देश्य मानक संचालन प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करना था। सिनेमा को प्रोत्साहन देने की पहल के रूप में राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन को उद्योग की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए कहा गया है। इसने अभी हाल में घोषणा की है कि प्रत्येक वर्ष आईएफएफआई में प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म हस्ती को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए शताब्दी पुरस्कार दिया जाएगा।

समापन

फिल्म समारोह व्यक्तियों और उन देशों की एक सभा है जहां दुनिया के बड़े फिल्म कलाकार उभरती हुई प्रतिभाओं को समान स्तर का समझते हैं। यह सारी दुनिया के फिल्म प्रेमियों के साथ आमने-सामने बातचीत करने के लिए पेशेवरों का एक फोरम भी है। आईएफएफआई का उद्देश्य भारतीय सिनेमा को पोषित, प्रोत्साहित करना तथा बाहर की दुनिया के साथ-साथ अनेक दर्शकों से परिचित कराना है जो इस विशाल और विविधतापूर्ण देश में सह-अस्तित्व से रहते हैं। त्वरित प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के साथ इस उत्सव की महत्ता बढ़ेगी, क्योंकि यह दर्शकों और फिल्म निर्माताओं को एक साथ लाने के साथ-साथ उभरती प्रौद्योगिकियों और नये उभरते मीडिया की चुनौतियों से परिचित कराएगा। नई बातचीत की परिकल्पना की गई है। नई नीतियां गठित की जाएंगी, ताकि आईएफएफआई के प्रत्येक संस्करण के साथ देखने के अनुभव में वृद्धि हो और वह समृद्ध हो।


(पसूका लेख)

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