एक पुरानी कहावत है कि यदि कोई किसी
दूसरे के लिये गङ्ढा खोदता है तो देर या सबेर स्वयं उसमें गिर पड़ता है और अपने लिए
मुसीबतों को आमंत्रित कर लेता है। पाकिस्तान में आज बहुत कुछ ऐसा ही हो रहा है।
दूसरों को तंग करने के लिये और आतंक फैलाने के लिये पाकिस्तान ने तालिबान को जन्म
दिया और उसे हर तरह से लड़ाई की ट्रेनिंग दी तथा आधुनिकतम खतरनाक हथियार मुहैया
कराए। आज यह सब कुछ पाकिस्तान की सरकार और पाकिस्तान की जनता के विरुध्द इस्तेमाल
हो रहा है।
पाकिस्तान में तालिबानी संगठन को 'तहरीके तालिबान' कहते हैं जिसे संक्षेप में 'टीटीपी' के नाम से भी पुकारा जाता है। 'टीटीपी' के
सरगना 'हकीमुल्ला महसूद' को अमेरिकी ड्रोन से चलाए गए मिसाइल के
द्वारा गत एक नवम्बर को मार गिराया गया। उस समय यह कुख्यात आतंकवादी उत्तरी
वजीरिस्तान में अपने विशाल महल में आराम फरमा रहा था। इसके पहले इस संगठन के
मुखिया बैतुल्ला महसूद को भी अमेरिकनों ने ड्रोन से हमला करके मार गिराया था।
हकीमुल्ला महसूद की हत्या से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। अमेरिका की गुप्तचर
एजेंसी हकीमुल्ला महसूद की खोज सन् 2009 से ही कर रही थी। जब उसके नेतृत्व में
आतंकवादियों ने पूर्वी अफगानिस्तान के एक सैनिक अड्डे पर हमला करके 7 अमेरिकी
गुप्तचर एजेंसी के कर्मचारियों को मार डाला था। महसूद ने सन् 2010 में अमेरिका के
न्यूयार्क टाइम्स सक्वायर में कार में रखे बम द्वारा भयानक विस्फोट करना चाहा था
परन्तु इसमें वह सफल नहीं हो पाया था ।
अमेरिकन गुप्तचर एजेंसी ने कई बार
ड्रोन द्वारा हमला करके हकीमुल्ला महसूद की हत्या करना चाहा। परन्तु उसमें उसे
सफलता नहीं मिली थी। इस बार उसे अचानक सफलता मिल गई और हकीमुल्ला महसूद का काम
तमाम हो गया। इस खूंखार आतंकवादी के मारे जाने से पाकिस्तानी तालिबानी संगठन 'टीटीपी' के आतंकवादी अत्यन्त ही उग्र और हिंसक हो गये हैं। महसूद के समर्थकों
ने पाकिस्तानी सरकार को खुली चेतावनी दे दी है कि अब वह नरसंहार के लिए तैयार रहे।
'टीटीपी' पाकिस्तान की सेना, पाकिस्तान की पुलिस पर आए दिन हमला करेगी। वह आत्मघाती आतंकियों
द्वारा पाकिस्तान के सरकारी प्रतिष्ठानों को उड़ाएगी और सरकारी कर्मचारियों का
बेरहमी से सफाया करेगी।
'टीटीपी' के कई मुखिया ने यह भी सार्वजनिक तौर से कहा है कि तालिबान के मामले
में पाकिस्तानी सरकार दोगली नीति अपना रही है। एक तरफ वह कहती है कि वह अमेरिका से
बार-बार अनुरोध कर रही है कि पाकिस्तान में ड्रोन हमले रोके जाएं क्योंकि इससे
निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं और दूसरी तरफ वह अमेरिकनों को गुपचुप तरीके से
तालिबानों के ठिकानों पर ड्र्ोन हमले करने को उकसाती है। अब तालिबान पाकिस्तान
सरकार के झूठे बयानों और झूठे वादों पर विश्वास करने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान
सरकार अब यह देखेगी कि 'टीटीपी' किस
प्रकार पाकिस्तान में खून की होली खेल रही है।
यह सच है कि अपने पिछले वाशिंगटन दौरे
के दौरान नवाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से यह अनुरोध किया था कि
पाकिस्तान में ड्रोन हमले रोके जाएं क्योंकि इसमें निर्दोष लोग मारे जाते हैं
परन्तु बराक ओबामा ने ऐसा करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि पाकिस्तान में ड्रोन के हमले केवल
आतंकवादियों का सफाया करने के लिए किए जाते हैं। यदि गलती से ये हमले कुछ निर्दोष
नागरिकों पर भी हो जाते हैं तो उस पर पाकिस्तान की सरकार को ध्यान नहीं देना
चाहिये। बराक ओबामा ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की पूर्ववर्ती सरकार ने लिख कर
अमेरिकी सरकार से यह अनुरोध किया था कि पाकिस्तान में ड्रोन हमले जारी रखे जाएं।
क्योंकि आतंकवादियों के सफाए के लिए यह आवश्यक है। खबर है कि बराक ओबामा के कठोर
रुख को देखकर नवाज शरीफ निरूत्तर हो गए। उन्होंने बराक ओबामा से यह भी अनुरोध किया
कि अमेरिका काश्मीर के मामले में हस्तक्षेप करे। परन्तु बराक ओबामा ने कठोर शब्दों
में कहा कि अमेरिका ऐसा कभी नहीं करेगा। अत: नवाज शरीफ बड़े बेआबरू होकर व्हाइट
हाउस ने निकले।
पिछले कई महीनों से नवाज शरीफ की सरकार
यह कोशिश कर रही थी कि पाकिस्तानी तालिबानो के साथ, दूसरे शब्दों में टीटीपी के साथ, एक सुलह वार्ता हो जिससे तालिबान पाकिस्तान में और अधिक उत्पात नहीं
मचा सके। यह महज एक संयोग था कि जिस समय टीटीपी के साथ पाकिस्तान सरकार के
प्रतिनिधियों की बातचीत होने वाली थी ठीक उसी समय टीटीपी के मुखिया हकीमुल्ला
महसूद की हत्या अमेरिकनों ने ड्रोन से छोड़ी गई मिसाइल के द्वारा कर दी। इस घटना से
पाकिस्तान सरकार कांप उठी। पाकिस्तान के आन्तरिक मामलों के मंत्री चौधरी निशार अली
खां ने यहां तक कहा कि ऐसा करके अमेरिका ने पाकिस्तान में शांति स्थापना करने के
सारे प्रयासों पर पानी फेर दिया। अब टीटीपी शायद ही सुलह वार्ता को राजी हो।
सन् 2003 से आतंकवादियों ने पाकिस्तान
में 9000 सुरक्षा सैनिकों और 18000 आम नागरिकों की हत्या की है। टीटीपी का कहना है
कि अब इस तरह की हत्याएं और तेजी से बढ़ेंगी। टीटीपी पाकिस्तान सरकार और अमेरिका
दोनों से बदला लेना चाहती है। नवाज शरीफ
की मुश्किलें कम नहीं होने वाली हैं।
क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक हालत खस्ता है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने
के लिए उसे अमेरिका से आर्थिक मदद लेनी ही होगी। उधर अमेरिका किसी भी हालत में
ड्रोन हमलों को बन्द करने के लिये तैयार नहीं है।
इसमें कोई सन्देह नहीं कि आतंकवादियों
को बढ़ावा पाकिस्तान की फौज ने यह सोचकर दिया था कि वह सीमा पार कर भारत में आतंक
मचाएगा। पाकिस्तान में जिस तेजी से हालात बिगड़ते जा रहे हैं उसमें जनता का ध्यान
बांटने के लिए पाकिस्तान की फौज तालिबानो को घुसपैठ कर भारत में झोंकने का प्रयास
करेगी। इससे भारत की सिरदर्दी बहुत अधिक बढ़ जाएगी। अब भारत के सुरक्षा बलों को
पहले से अधिक सतर्क रहना होगा जिससे पाकिस्तानी आतंकवादी भारत में घुसकर नरसंहार
नहीं कर सकें।
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