शिक्षा से अपेक्षा की जाती है कि वह
नागरिकों को अपने चारों तरफ हो रही घटनाओं से अवगत कराए और उनकी जानकारी अद्यतन
रखे, ताकि सामाजिक मुद्दों से निपटने में
उनमें आत्मविश्वास पैदा हो सकें। इस संदर्भ में वैज्ञानिक शिक्षा का काफी महत्व
है कि वह लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करती है। विज्ञान में उच्च शिक्षा के
क्षेत्र में अन्य संभावनाओं के अन्वेषण की जरूरत है। शिक्षा की वह शाखाएं जो कई
विषयों से संबंधित है, जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन, जलवायु प्रबंधन, कृषि प्रबंधन, विपणन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में
बाहरी जगत से जुड़ी शिक्षाओं को शामिल किये जाने और उनका विश्लेषण करने की जरूरत
है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य :
पिछले पांच दशकों में शिक्षा की विभिन्न
शाखाओं से लोगों की काफी उम्मीदें बढ़ी है और शिक्षा की पद्धति तथा पाठ्यक्रम में
बदलाव की मांग की गई है। शिक्षा से जुड़े संस्थान इन बदलावों एवं जरूरतों को
इनमें शामिल करने का प्रयास करते रहे है, ताकि
वे समय के साथ प्रासंगिक हो और लोगों की उम्मीदों को पूरा कर सकें। उद्योग जगत, कोरपोरेट जगत, संसाधन प्रबंधन से जुड़ी सभी शाखाओं
में छात्रों से अपेक्षा की गई है कि वे पर्यावरण संबंधी मुद्दों, सतत् विकास, कार्बन डाई ऑक्साइड के उर्त्सजन पर
रोक एवं पर्यावरण बदलाव से जुड़े मुद्दों की विशेष जानकारी रखें। इसी तरह की उम्मीदें
तकनीकी क्षेत्र में प्रगति एवं कम्प्यूटर तथा संचार के क्षेत्र में होने वाली
प्रगति का बड़ा कारण है। इस तरह की प्रगति एवं खोजों ने चीजों को बहुत आसान एवं
प्रतिस्पर्धी बना दिया है,
लेकिन अब समाज की जरूरतें और भी बढ़ गई
हैं और इनकी मांग जोर पकड़ने लगी है।
हाल ही में आई आपदाएं :
मानव जिस तरीके से प्रकृति से छेड़छाड़
करके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है। उन्होंने किसी न किसी तरीके से जता
दिया है कि यह अधिक शोषण है और इस तरह की गतिविधियां ज्यादा नहीं चल सकती हैं।
ऐतिहासिक दृष्टि से अगर हम देखें, तो
पाएंगे कि संसाधनों के अंधाधुंध दोहन को देखते हुए विभिन्न प्रकार की आपदाओं, जैव विविधता को नुकसान, जल संकट, अकाल एवं सूखा, बाढ़
एवं अन्य आपदाओं की घोषणा पहले ही कर दी गई थी। हाल ही में उत्तराखंड और ओडिशा
में जो प्राकृतिक आपदाएं आयी हैं, वे
सभी इसी बात की पुष्टि करती है और उन सभी के कारक उन्हीं आपदाओं में छिपे हुए
हैं।
इस तरह के प्रत्यक्ष गंभीर परिणामों
और घटनाओं ने मानव जाति को यह बताने की कोशिश की है कि वह प्रकृति के दायरे में
रहकर ही अपनी गतिविधियां जारी रखें और अपने लोभ तथा लालच को छोड़कर कुदरत के साथ
तारतम्य बैठाने की कोशिश करें। इस संदर्भ में देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र
में अब यह जरूरी हो गया है कि हम अपने पाठ्यक्रम में इस तरह के बदलावों को शामिल
करें, ताकि युवाओं का ज्ञान एवं चीजों तथा
उनके बारें में उनकी सोचने की क्षमताओं में बढ़ोतरी हो सकें।
केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय
के तहत कार्य कर रहे भारतीय वन प्रबंधन संस्थान ने समकालीन जरूरतों से सामंजस्य
स्थापित किया है और अपने पाठ्यक्रम में विभिन्न विषयों जैसे प्राकृतिक संसाधन
प्रबंधन, पर्यावरण बदलाव और लोगों पर उसके पड़ने
वाले प्रभावों, पारिस्थिातिकी से जुड़ी गतिविधियां, प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, वन एवं भूमि की आर्थिक कीमत को पहचानने
जैसे मुद्दों को समाहित किया है। वन प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, फैलो इन प्रोग्राम मैनेजमेंट, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में एम फिल
जैसे विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है, जिससे
छात्रों में लोगों से जुड़ी बुनियादी जरूरतों की विश्लेषण क्षमता का विकास होता
है। इन सभी पाठ्यक्रमों में पढ़े गये विषयों से छात्रों को अपने क्षेत्र कार्यों
के दौरान चीजों से रूबरू होने का अवसर मिलता है और ग्राम स्तर पर होने वाली
घटनाओं को वे वास्तविक नजरिये से देखते है, जिससे
उनकी सोचने और निर्णय लेने की व्यावहारिक क्षमता का विकास होता है। देश में कई
प्रबंधन संस्थान हर साल विभिन्न प्रबंधन संबंधी विषयों में स्नातकोत्तर पेशेवर
तैयार कर रहे है। लेकिन भारतीय वन प्रबंधन संस्थान की यह खूबी है कि वह ऐसे युवा
स्नातकोत्तर छात्र तैयार करता है, जिन्हें
पर्यावरण पर मानवीय गतिविधियों के पड़ने वाले प्रभावों के आंकलन, संसाधनों के बारे में जानकारी और उनकी
कीमत का ज्ञान, पारिस्थिातिकी से जुड़ी सेवाओं का मूल्यांकन, सामाजिक प्रभाव आंकलन क्षमता के
क्षेत्र में विशेष ज्ञान होता है।
देश में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक क्षेत्र में हो रहे
बदलावों और हाल ही में कंपनी कानून में
किये गये कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़े विषय पर संशोधन के मद्देनजर ऐसे
युवा छात्रों की मांग कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। भविष्य में ऐसी स्थिति आएगी, जब ऐसे युवा विशेषज्ञ छात्रों की समाज
में काफी मांग होगी। भारतीय वन प्रबंधन संस्थान इस जरूरत से वाकिफ है और वह अपने
यहां पढ़ रहे छात्रों की क्षमताओं में और बढ़ोतरी पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
इसी के मद्देनजर उनके प्रशिक्षण एवं क्षेत्र कार्य के दौरान लोगों से अंतक्रिया की
क्षमता का विकास करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
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