रविवार, 24 नवंबर 2013

कैनेडी की हत्या के 50 साल

महात्मा गांधी की शहादत के बाद वैश्विक राजनीति में यह संभवत: सबसे अधिक चर्चित घटना थी। आज से 50 वर्ष पूर्व 22 नवम्बर 1963 को अमरीकी राष्ट्रपति जान एफ कैनेडी की हत्या ने विश्व को झकझोर कर रख दिया था। इससे 15 वर्ष पूर्व नाथूराम गोडसे द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की त्रासद घटना ने विश्व को गमगीन कर दिया था। गोडसे ने अपने अपराध को कबूल लिया था और उसके पीछे के षडयंत्र को उजागर भी कर दिया था, उसे फांसी की सजा दी गई थी। जबकि कैनेडी के हत्यारे आसवल्ड पर मुकदमा भी चलाया नहींजा सका। कैनेडी की हत्या के महज 48 घंटों के भीतर एक व्यक्ति ने उसकी हत्या कर दी और अमरीका में टीवी दर्शकों ने इस दृश्य को साक्षात देखा। खबरों व घटनाओं के टीवी प्रसारण की तब अमरीका में शुरुआत ही हुई थी। अमरीका के टीवी चैनलों में कैनेडी की हत्या के पचास साल पूरे होने पर तरह-तरह के कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं। ऐसे में एक चैनल सीबीएस न्यूज का मानना है कि कैनेडी की हत्या का पल अमरीकी न्यूज चैनलों के लिए परिवर्तनकारी साबित हुआ है। एक राष्ट्रपति की हत्या के साथ जीवंत प्रसारण की शुरुआत हुई। अमरीका ने एक राष्ट्रीय त्रासदी को साझा किया। टीवी के कारण अमरीकी जनता कैनेडी व उनके परिवार को थोड़ा और निकट से समझने लगी। इसके पहले के राष्ट्रपतियों के साथ ऐसी भावनात्मक निकटता नहीं थी।

कहा जाता है कि कैनेडी का हत्यारा टैक्सास स्कूल की छठवींमंजिल पर था, जब उसने कैनेडी पर गोली चलाई। लेकिन इतिहास में इस उलझे हुए प्रश्न का जवाब  नहींमिल पाया कि क्या ली हार्वे आसवल्ड ही कैनेडी का असली हत्यारा था? और अगर ऐसा है तो क्या हत्या उसने अकेले के दम पर की या वह किसी बड़े षडयंत्र का हिस्सा था? क्या उस बिल्डिंग में एक से अधिक हत्यारे मौजूद थे? इस त्रासदी की जांच करने वाले वारेन कमीशन ने सभी तथ्यों व सूबतों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि आसवल्ड ही कैनेडी का हत्यारा था। पर पुलिस द्वारा गिरफ्त में लिए जाने के बाद उससे जो पूछताछ हुई, उसमें उसने अपने गुनाह को कबूल नहींकिया। फिर डलास शहर में एक जेल से दूसरे जेल ले जाने के दौरान एक नाइट क्लब के मालिक जैक रूबी ने उसकी हत्या कर दी। इस घटना से समूचे परिदृश्य में संदेह और गहरा गया। क्या रूबी कैनडी की हत्या के षडयंत्र में सहभागी था और क्या इसी वजह से उसने आसवल्ड की हत्या कर दी, ताकि सारे सबूत नष्ट किए जा सकें। खबरों के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद रूबी का कहना था कि ऐसा करके वह जनता की नजरों के सामने डलास शहर के प्रायश्चित में मदद करना चाहता था और साथ ही आसवल्ड की हत्या से श्रीमती कैनेडी को मुकदमे की कार्रवाई में आने की परेशानी से मुक्ति मिलती।

डलास में ज्यूरी ने जैक रूबी को आसवल्ड की हत्या का दोषी पाया और उसे मृत्युदंड दिया गया। रूबी ने इस सुनवाई व सजा के खिलाफ अपील की और उसे नए सिरे से सुनवाई की अनुमति मिली। इधर सुनवाई की तारीखें तय हुईं और उधर जैक रूबी बीमार पड़ गया। जनवरी 1967 में उसकी फेफड़े के कैंसर के कारण मौत हो गई।

खबरों के मुताबिक 24 वर्षीय आसवल्ड वामपंथी विचारों का था। फेयर प्ले फॉर क्यूबा कमेटी का वह सक्रिय सदस्य था। सोवियत संघ व क्यूबा के फिदेल कास्त्रो का वह प्रशंसक था और कुछ समय रूस में रह चुका था। इन सबसे यह संदेह भी होता है कि कहींइस हत्या के पीछे शीतयुध्द की बढ़ती कड़वाहट तो जिम्मेदार नहींथी। सीबीएस न्यूज द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 61 प्रतिशत अमरीकी यह मानते हैं कि आसवल्ड ने अकेले इस हत्या को अंजाम नहीं दिया।

भारत में इस हत्या से शोक की लहर दौड़ गई थी। 46 वर्षीय युवा, आकर्षक राष्ट्रपति कैनेडी, उनकी पत्नी जैकलीन, दो सुंदर बच्चे 3 साल का जान व 6 साल की कैरोलीन से भारत के पाठक परिचित थे। मार्च 1962 में ही जैकलीन भारत यात्रा पर आयी थींऔर नेताओं व आम जनता के बीच खूब लोकप्रिय हुई थीं। कैरोलीन अब 56 साल की हैं और हाल ही में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें जापान में राजदूत नियुक्त किया है।

भारत के युवा कैनेडी से खासे प्रभावित थे। उनका प्रसिध्द कथन कि- ये मत पूछो कि देश तुम्हारे लिए क्या कर सकता है, पूछो कि तुम देश के लिए क्या कर सकते हो। आज भी कक्षाओं में, भाषणों में उध्दृत किया जाता है। भारत के नेता भी कैनेडी का सम्मान करते थे। राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू व सी.राजगोपालाचारी (राजाजी) आदि ने उनकी हत्या के बाद मार्मिक शोक संदेश वाशिंगटन भेजे। पं.नेहरू की बहन और संरा में राजदूत विजयलक्ष्मी पंडित ने कैनेडी के अंतिम संस्कार में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व किया था।

कैनेडी के मन में भारत, यहां की परंपरा व संस्कृति के प्रति बेहद सम्मान था। वे खुद यहां कभी नहींआए, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी को कुछ दिनों के लिए यहां भेजा था। 1962 में गांधी शांति प्रतिष्ठान के एक दल के मुखिया के रूप में राजाजी अमरीका गए और उन्होंने व्हाइट हाउस में जान एफ कैनेडी से मुलाकात की। उन्होंने परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कैनेडी को राजी करवा लिया था। उन्होंने कहा कि अमरीका को परमाणु परीक्षण बंद करने चाहिए या कम करने चाहिए क्योंकि इससे पर्यावरण पर खतरा बढ़ रहा है। यह मुलाकात महज 25 मिनट की तय थी, किंतु कैनेडी ने अपने बाकी कार्यक्रम स्थगित कर दिए और बैठक लगभग एक घंटे तक होती रही। बैठक की समाप्ति पर कैनेडी ने राजाजी से कहा कि वे जल्द ही कोई शुभ समाचार उन्हें सुनाएंगे। अर्थात अमरीका परमाणु परीक्षण कम करने और इस संबंध में सोवियत संघ से करार की संभावनाओं पर विचार करेगा।







देशबन्धु

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