ईरान के साथ उसके परमाणु कार्यक्रम को
लेकर विश्व के छह प्रमुख देशों- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने एक अतंरिम समझौते
पर 24 नवंबर 2013 को हस्ताक्षर किए. इस समझौते पर छह देशों की मुख्य वार्ताकार
कैथरीन मैरी एश्टन और ईरान के विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ के मध्य संयुक्त
राष्ट्र के मुख्यालय जिनेवा में हस्ताक्षर किये गए. जिनेवा में चार दिनों तक चली
वार्ता के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस) व जर्मनी (पी5 प्लस 1)
के प्रतिनिधि इस समझौते पर पहुंचे. इस समझौते की घोषणा यूरोपीय संघ की विदेश नीति
प्रमुख कैथरीन एश्टन ने की.
समझौते के मुख्य बिंदु
समझौते के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं.
• ईरान को यूरेनियम संवर्द्धन के स्तर को
पॉंच फीसदी तक सीमित रखना.
• अब तक (समझौता होने तक) संवर्द्धित बीस
फीसदी यूरेनियम को निष्क्रिय करना.
• 3.5 फीसदी संवर्द्धित यूरेनियम के
भंडार को आगे बढ़ाने पर रोक
• नए एल्ट्रा सेंट्रीफ्यूजेस को प्राप्त
करने पर रोक
• अरक (गुरू जल, भारी जल) संयंत्र को ईंधन से आगे
विकसित करने पर रोक.
• ईरान के परमाणु संयंत्रों पर आईएईए की
देखरेख में प्रतिदिन निगरानी होना.
• ईरान को कई क्षेत्रों में सात अरब
अमेरिकी डॉलर के आर्थिक प्रतिबंधों से राहत.
• छह महीने तक ईरान के खिलाफ आर्थिक
प्रतिबंध नहीं लगाना.
• ईरान को तेल बेचने की इजाजत.
• छह महीने तक ईरान पर नया प्रतिबंध
नहीं.
ई 3+3 और ईरान
परमाणु समझौते को लेकर ईरान के साथ
विश्व के छह प्रमुख देशों ने काम किया. इनमें शामिल ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस यूरोपीय यूनियन का
हिस्सा हैं, इसलिए उनको ई3 का नाम दिया गया. इसमें
शामिल शेष तीन अमेरिका, रूस और चीन हैं. इन तीनों को +3 कहा
गया.
पी5 प्लस 1
कुछ देशों ने इस समझौते को पी 5+1 की
संज्ञा दी हैं. पी5, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच
स्थायी सदस्य देश-अमेरिका,
ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस हैं जबकि प्लस 1 जर्मनी
है
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