वित्त
मंत्रालय के तहत गठित आयकर विभाग केंद्र सरकार के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष
करों के संग्रहण और उनके प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाता है। ज्यादा से ज्यादा कर
संग्रहण और गुणवत्ता युक्त ग्राहक सेवा उपलब्ध कराने के लिए आयकर विभाग ने
केंद्रीय ऑटोमेशन प्रोसेसिंग सेवा की शुरूआत की है। आयकर भरने वालों की तेजी से
बढती संख्या तथा आयकर रिटर्न के वैधानिक प्रोसेसिंग मॉडल के कारण आयकर विभाग को
आयकर मामलों को समय पर निपटाने में काफी मुश्किलें आ रही थीं इसलिए ऑटोमेशन सेवा
की शुरूआत की गई।
वित्त
अधिनियम-2008 के जरिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को आयकर
रिटर्न के मामलों के त्वरित निपटारे के लिए केंद्रीयकृत प्रोसेसिंग योजना शुरू
करने का अधिकार दिया गया है। तकनीकी सलाहकार समूह के सुझावों के आधार पर बैंगलौर
में केंद्रीय ऑटोमेशन प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) खोले जाने का फैसला लिया गया।
इसके तहत आयकर मामलों के निपटारे के लिए आयकरदाताओं से व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क
किए बिना ऑनलाइन आयकर रिटर्न प्राप्त करने तथा रिफंड देने की प्रक्रिया शुरू करने
की पहल की गई।
परिचालन
केंद्रीय
मंत्रिमंडल ने फरवरी 2009 में 255 करोड़ रूपये की
लागत से सीपीसी स्थापित करने को मंजूरी दी। इसके बाद इस काम को पूरा करने का
अनुबंध सूचना प्रोद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस लिमिटेड को 23 फरवरी 2009 को
दिया गया।
जुलाई
2009 तक आयकर विभाग का यह केंद्र नये परिसर में शुरू कर दिया गया। जनवरी 2010 से
इसने पूरी क्षमता के साथ काम शुरू कर दिया।
उद्देश्य
सीपीसी
परियोजना के मुख्य उद्देश्यों में आयकर भुगतान और रिफंड के मामलों की प्रोसेसिंग
के लिए आयकर विभाग की दक्षता बढ़ाने के साथ उसके लिए एक वृहत प्रणाली विकसित करना, एकीकृत प्रोसेसिंग केंद्र की व्यवस्था
करना, आउटसोर्स मॉडल के आधार पर बैक ऑफिस ऑटोमेशन व्यवस्था हासिल करना,
एकीकृत
स्तर पर कर प्रबंधन से जुड़े कार्यों जैसे रसीद, स्केनिंग,
डाटा
एंट्री, प्रोसेसिंग, रिफंड देना तथा आयकर रिटर्न से जुडे
सभी आंकडों और दस्तावेजों का रखरखाव, किफायती खर्चों पर गुणवत्ता युक्त
सेवाएं उपलब्ध कराना तथा आयकर से जुडे सभी रिकार्डों को वैज्ञानिक पद्धति से
संरक्षित रखने तथा संदर्भ के लिए आवश्यकता पडने पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित
कराना है।
लाभ
सीपीसी
परियोजना में आम लोगों के साथ-साथ आयकर विभाग के लिए भी काफी फायदे समाहित हैं। आम
नागरिकों को अब आयकर रिटर्न जमा करने के लिए लम्बी लाइनें नहीं लगानी पडती। आयकर
भरने से जुडे खर्चे भी कम हो गये हैं। आयकर रिटर्न की प्रोसेसिंग के लिए अंतर्राष्ट्रीय
स्तर की सेवा उपलब्ध कराई गई है। इसके जरिए आयकर रिफंड के साथ ही आयकर से जुडी
शिकायतों का निपटारा भी पूरी दक्षता के साथ किया जा रहा है।
दूसरी
ओर परियोजना से आयकर विभाग भी लाभान्वित हो रहा है। विभाग को आम लोगों को त्वरित
सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद मिल रही है। केंद्रीयकृत निगरानी प्रक्रिया शुरू हो
जाने से कर संग्रहण का बेहतर लेखा-जोखा करना संभव हो गया है। कामकाज के बोझ को कम
करने में मदद मिल रही है। रिफंड का भुगतान तेजी से किया जा रहा है और कर संग्रहण
से जुडी सभी जानकारी एक ही स्थान से उपलब्ध हो रही है।
चुनौतिया
सीपीसी
के सामने क्रियान्वयन स्तर पर भी कई चुनौतियां रही हैं। वृहत परियोजना के लिए
परिचालन सुगम बनाये रखना जोखिमों से भरा हुआ था। तकनीकी स्तर पर सही प्रौद्योगिकी
का चयन एक बडी चुनौती थी इसलिए शुरूआती स्तर पर जोखिम को कम से कम रखने के
लिए 'ओरेकल इंजन रूल'
का
इस्तेमाल करके एक लाख से ज्यादा आयकर रिटर्न की प्रोसेसिंग की गई। चूंकि इस समय
तक आयकर से जुडे रिकॉर्डों का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन और रखरखाव के लिए
आउटसोर्सिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिए रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए दिल्ली और
बंगलौर में प्रूफ ऑफ कन्सेप्ट के तहत यह व्यवस्था की गई। इसमें रिकॉर्ड
प्रबंधन क्षेत्र की 2 प्रमुख कंपनियों ने भी हिस्सा लिया। यह पूरी
प्रक्रिया 6 महीने तक चली। इस दौरान एकत्रित किए गए आंकडों
का इस्तेमाल आरएफपी तैयार करने और सेवा स्तर पर किए जाने वाले अनुबंधों के लिए
मानक निर्धारित करने के लिए किया गया।
आयकर
विभाग की कम्प्यूटर एप्लीकेशन प्रणाली के साथ नई प्रणाली को जोड़ने का काम
भी काफी चुनौती भरा था। इसमें कई तरह के
बदलाव किए गए। इसके लिए कई नई तकनीक विकसित की गई।
वित्तीय
अंकणन के लिए नई पद्धति विकसित की गई। इसके लिए डबल एंट्री एकाउंटिंग सिस्टम का
विकास किया गया। अभी तक किसी भी सरकारी विभाग में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ था
इसलिए यह अपने आप में एक नई पहल थी। इसके तहत विभिन्न तरह के आंकडों को जोड़ने की
प्रक्रिया काफी सरल बना दी गई है। जो आयकर विभाग के लिए काफी मददगार साबित हो सकती
है। नई तकनीक के जरिए आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए कंप्यूटर में सहजता से इस्तेमाल
किए जाने वाले फार्म तैयार किए गए हैं। लोग ऑनलाइन आयकर भरने के लिए इस फार्म का
इस्तेमाल कर सकते हैं।
सीपीसी
के लिए कारोबारी मॉडल का चयन भी एक बडी चुनौती थी। इसके लिए विकल्पों की तलाश के
वास्ते व्यापक स्तर पर बाजार अध्ययन कराया गया। आखिर में प्रोक्योरमेंट मॉडल
और एमएसपी मॉडल में से किसी एक को चुनने का फैसला किया गया। पिछले अनुभवो को ध्यान
में रखते हुए एमएसपी मॉडल का चुनाव किया गया।
स्रोत
पर आयकर कटौती-टीडीएस में गडबडियों का ऑटोमेशन पद्धति के जरिए निपटारा एक मुश्किल
भरा काम था। इसके लिए कई तरह के उपाय किए गए। करदाताओं को उनके आयकर के ब्यौरे
भेजे गए और साथ ही टीडीएस प्रकोष्ठ को ज्यादा उन्नत और मजबूत बनाया गया ताकि
गडबडियों का सही तरीके से निपटारा किया जा सके। इसके साथ ही विभिन्न संचार माध्यमों
के जरिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाया गया ताकि लोगों को उनकी आय पर
लगने वाले करों की सही जानकारी उपलब्ध कराई जा सके।
कर
जमा करने की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ई-फाइलिंग, ई-मेल और एसएमएस
सेवाएं शुरू करने का फैसला लिया गया। आयकरदाताओं की ओर से मांगी जाने वाली
जानकारियों के संबंध में उन्हें सही और त्वरित सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए एक
कॉल सेंटर स्थापित करने की व्यवस्था की गई। इसमें 60 एजेंटों की
नियुक्ति की गई। सीपीसी परियोजना में प्रबंधन स्तर पर किए गए बदलाव किसी भी
सरकारी विभाग में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव रहा।
सीपीसी
प्रोसेस
सीपीसी
के तहत आयकर मामलों के निपटारे के लिए 14 नई सेवाएं शुरू की गई। इन सेवाओं में
डॉटा स्केनिंग, डॉटा एंट्री, टैक्स
प्रोसेसिंग, टैक्स एकाउंटिंग, डॉटाओं का चयन
और उनकी वैधता का पता लगाना शामिल है।
नई
पहल का असर
सीपीसी
परियोजना से आयकर रिटर्न प्रोसेसिंग पर लगने वाला समय काफी घट गया है। सामान्य
तौर पर पहले जहां इस पर औसतन एक साल से ज्यादा समय लग जाता था वहीं यह काम 65
दिनों में पूरा हो जाता है। पिछले तीन सालों के दौरान सीपीसी से आयकर रिटर्न से
जुड़े 4.15 करोड़ से ज्यादा मामलो की प्रोसेसिंग कर चुका है। मौजूदा वर्ष इसके
1.8 करोड़ से ज्यादा आयकर रिटर्न प्रोसेस करने की संभावना है। आयकर
विभाग के कुल काम के बोझ का यह करीब 70 प्रतिशत है।
रिफंड
निपटारा
सीपीसी
ने पिछले चार वर्षों के दौरान 1.3 करोड़ से ज्यादा रिफंड के मामले
निपटाये हैं। सभी मामलों का निपटारा बिना किसी भेदभाव के किया गया है। मौजूदा वर्ष
रिफंड से जुडे मामलों का निपटारा जनवरी 2014 तक कर दिया
जायेगा।
रिफंड
में देरी के मामले घटे
वित्त
वर्ष 2009-10 के दौरान आयकर विभाग को रिफंड में देरी के
कारण जहां औसतन 17 प्रतिशत से अधिक का ब्याज देना पडा था वहीं
सीपीसी के कारण यह अब घटकर 4.77 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। इसके
कारण सरकारी खजाने को काफी बचत हुई है।
शिकायतों
का जल्द निपटारा
सीपीसी
के कारण आयकर से जुडी शिकायतों का निपटारा भी जल्दी होने लगा है। 11.65
लाख ऐसी शिकायतों में से 11.41 लाख का निपटारा 90
दिनों के भीतर कर दिया है जबकि पहले इसमें 180 दिन लगते थे।
सीपीसी के कॉल सेंटर के जरिए रोजाना ग्राहकों के 4 हजार 300
फोन कॉल का जवाब दिया जाता है। यह सेवा फिलहाल कन्नड, अंग्रेजी और
हिन्दी भाषा में उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रभावी
प्रबंधन
सीपीसी
की ऑटोमेशन सेवा के कारण आयकर दाखिल करने के लिए कागज पर होने वाला खर्च खत्म हो
गया है। सीपीसी का दस्तावेज प्रबंधन मॉडल को अंतर्राष्ट्रीय मानक आईएसओ 15489 का
दर्जा दिया गया है। भारत में यह पहला विभाग
है जिसे यह दर्जा मिला है। सीपीसी में रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए स्वदेशी स्तर पर
विकसित वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल किया गया है। इससे कागज वाले दस्तावेजों के
रखरखाव पर होने वाले खर्चे काफी घट गये हैं।
ई-फाइलिंग
को प्रोत्साहन
सीपीसी
में आयकर रिटर्न की त्वरित प्रोसेसिंग के कारण ऑन लाइन आयकर रिटर्न भरने वालों की
संख्या में भारी इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान
ऑनलाइन आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 164.34 लाख रही। जबकि
वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान यह आंकडा 21.70 लाख था।
वार्षिक स्तर पर ऑनलाइन आयकर रिटर्न भरने के मामलों में 25 प्रतिशत की दर
से बढोतरी हो रही है। पिछले वर्ष के रूझान को देखते हुए मौजूदा साल यह आंकडा 2.5
करोड़ को पार कर जाने की संभावना है।
मानव
संसाधन का इस्तेमाल
सीपीसी
में नये एमएस की मॉडल के तहत प्रबंधन स्तर पर आयकर विभाग के 35
शीर्ष अधिकारियों की टीम काम कर रही है। सिर्फ इतने अधिकारी मिलकर पूरे विभाग के
एक-तिहाई कामकाज को निपटा रहे हैं। इससे विभाग के अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों
को विभाग के लिए राजस्व अर्जित करने के अन्य कामों जैसे सर्वे, आयकर
जांच, सूचना और खुफिया जानकारी इक्ट्ठा करने जैसे काम में लगाया जा सका
है।
बेहतर
ग्राहक सेवा
सीपीसी
ने कॉल सेंटर, ई-मेल और एसएमएस सेवाओं के जरिए ग्राहकों के
साथ संपर्क का जरिया मजबूत बनाया है।
बेहतर
साख
व्यापक
स्तर पर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके सीपीसी ने एक और जहां आयकर विभाग के
कामकाज में क्रांतिकारी बदलाव लाये हैं वहीं दूसरी ओर यह एक बड़ा प्रशासनिक सुधार
साबित हुआ है।
सीपीसी
की कार्यप्रणाली की वजह से देशभर के 510 शहरों में स्थित आयकर विभाग के 745
कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने में
मदद मिली है साथ ही आयकरदाताओं को गुणवत्तायुक्त सेवाएं मिल रही हैं। इस व्यवस्था
से सरकार के लिए आगे आयकर संग्रहण संतोषजनक
रहने की संभावना है।
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