केन्द्रीय
मंत्रिमंडल ने सूचना अधिकार अधिनियम के उद्देश्य से राजनीतिक दलों को जन
प्राधिकरण की परिभाषा से बाहर रखने के लिए सूचना अधिकार अधिनियम, 2005
में संसद के आगामी सत्र में संशोधन करने के लिए एक विधेयक लाने की मंजूरी दी है।
केन्द्रीय
सूचना आयोग ने अपने 03.06.2013 के निर्णय में कांग्रेस, भाजपा,
माकपा,
भाकपा,
बसपा
और राकांपा जैसे राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 2(एच)
के अधीन जन प्राधिकरण माना है। आयोग ने मुख्य रूप से इन तथ्यों पर विश्वास व्यक्त
किया है कि इन राजनीतिक दलों को केन्द्र सरकार से काफी (अप्रत्यक्ष) वित्तीय
मदद मिलती है और वे सार्वजनिक कर्तव्य निभाते हैं। राजनीतिक दल योजना आयोग के साथ
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों
के अधीन पंजीकृत हैं। राजनीतिक दलों के संदर्भ में विस्तृत प्रावधान जन
प्रतिनिधित्व अधिनियम में विस्तार से दिये गये हैं, जिनमें राजनीतिक
दलों, प्रत्याशियों और दान से संबंधित जानकारी देने का प्रावधान है। कथित
अधिनियम में परस्पर निम्नलिखित प्रावधान हैं :-
• निर्वाचन आयोग के संघों और निकायों के
साथ राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकरण (धारा 29ए)
• राजनीतिक दल अंशदान स्वीकार करने के
हकदार (धारा 29बी)
• राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त दान की
घोषणा (धारा 29सी)
• परिसम्पत्ति और देयताओं की घोषणा
(धारा (75ए)
• चुनाव खर्च और अधिकतम राशि का खाता
(धारा (77)
• जिला निर्वाचन अधिकारी के पास खाता
प्रस्तुत करना (धारा 78)
• झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करने पर
जुर्माना (धारा 125ए)
जन
प्रतिनिधित्व अधिनियम के उपरोक्त प्रावधान ये दर्शाते हैं कि इस अधिनियम में
वित्त पोषण, इसकी घोषणा और झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करने पर
जुर्माने के पर्याप्त प्रावधान हैं। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 13ए
के अधिनियम राजनीतिक दलों के लिए कर से छूट का दावा करने के लिए लेखा परीक्षा किये
गये खातों के साथ टैक्स अधिकारियों के समक्ष निर्धारित तिथि से पूर्व आयकर विवरण
भरना अपेक्षित है। आयकर अधिनियम की धारा 138 के अनुसार आयकर
विभाग के समक्ष दी गई जानकारी साधारण रूप से गोपनीय होगी, लेकिन इसे तभी
सार्वजनिक किया जा सकेगा, अगर आयकर आयुक्त की फैसले में यह
जनहित में हो।
जन
प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10ए के अधीन कानून
की अपेक्षाओं के अनुसार चुनाव व्यय का लेखा प्रस्तुत करने में असफल रहने पर ऐसा
करने वाले प्रत्याशी को अयोग्य ठहराये जाने की तिथि से 3 साल के लिए
चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराया जा सकता है।
सूचना
अधिकार अधिनियम को संविधान के अनुच्छेद 19 के अधीन सूचना के अधिकार के कार्यान्वयन
के लिए प्रभावी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया था। जन प्राधिकरण की परिभाषा
सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 2 के खंड (एच) में दी गई है। राजनीतिक
दल सूचना अधिकार अधिनियम में दी गई जन प्राधिकरण की परिभाषा के दायरे में नहीं आते
हैं, क्योंकि वे आरपी एक्ट, 1951 के अधीन केवल पंजीकृत और मान्यता
प्राप्त हैं।
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