भारत
में एलपीजी ईंधन गैस का इस्तेमाल 1955 से शुरू हुआ, जब तत्कालीन
बर्मा शैल कंपनी ने मुंबई में एलपीजी की बिक्री शुरू की। पिछले छह दशकों में
एलपीजी सबसे अधिक लोकप्रिय रसोई गैस बन गई है। 1980 में महत्वपूर्ण
गतिविधि हुई, जिससे एलपीजी वितरण व्यवस्था के विस्तार की
गाथा दो भागों में लिखी जा सकती है। 1978 से पहले एलपीजी की बिक्री केवल स्वदेशी
स्रोतों से प्राप्त ईंधन गैस की मात्रा तक सीमित थी। एलपीजी के लिए खोज यूनिटों
की स्थापना और तेल शोधन कंपनियों (रिफाइनरी) के विस्तार से एलपीजी ईंधन गैस की
उपलब्धता बढ़ने पर 1980 में एलपीजी की बिक्री बड़े पैमाने पर शुरू की
गई। एलपीजी गैस की लोकप्रियता बढ़ने से इसकी मांग भी बढ़ती गई, जिसके
लिए स्वदेशी उपलब्धता कम पड़ गई और बड़े पैमाने पर एलपीजी का आयात करने की जरूरत
महसूस की गई।
शुरू
के वर्षों में एलपीजी ईंधन गैस की बिक्री केवल शहरी इलाकों में थी, बाद
में इसका विस्तार धीरे-धीरे अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों तक किया गया।
आज
भारत में एलपीजी ईंधन गैस की आपूर्ति 15 करोड़ (1 जुलाई,
2013 को
15.43 करोड़) से अधिक घरों में पहुंच गई है, जिसका मतलब है
कि देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी इसका इस्तेमाल कर रही
है। कोई नहीं सोच सकता था कि 1955 में जिसकी साधारण सी शुरूआत हुई थी और
कई सारे लोग इसको स्वीकार करने के पक्ष में भी नहीं थे, एक दिन उस
एलपीजी की लोकप्रियता इतनी अधिक बढ़ जाएगी।
स्वच्छ
और हरित ईंधन
पुराने
समय के धुएं से काले हुए रसोई घर और आज के चमकते हुए आधुनिक रसोई घर, जहां
एलपीजी ईंधन गैस का इस्तेमाल होता है, की तुलना से इस बात का स्पष्ट प्रमाण
मिलता है कि कोयला, लकड़ी, उपलों आदि जैसे ईंधन के मुकाबले एलपीजी
एक स्वच्छ, सुविधाजनक और हितकारक ईंधन है।
इसके
स्पष्ट लाभों को देखते हुए सरकार ने ईंधन के लिए एलपीजी पर सब्सिडी देने का
फैसला किया, ताकि ज्यादा से ज्यादा घरों को इस ईंधन के
इस्तेमाल की प्रेरणा मिले, जो सुरक्षित और साफ-सुथरा है। अमरीका,
चीन,
सऊदी
अरब और जापान के बाद आज भारत दुनिया में एलपीजी ईंधन गैस की खपत करने वाला पाँचवाँ
सबसे बड़ा देश है। देश में एलपीजी ईंधन गैस का लगभग 90 प्रतिशत इस्तेमाल
घरेलू ईंधन गैस के रूप में होता है। इस दृष्टि से अमरीका और चीन के बाद भारत घरेलू
इस्तेमाल के लिए एलपीजी की खपत करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। देश में 15
करोड़ घरों को हर रोज एलपीजी ईंधन गैस के 30 लाख सिलेंडर
यानी एक साल में 90 करोड़ से भी अधिक सिलेंडर वितरित किए जाते हैं,
जो
एक विशाल संख्या है।
देश
के अंदरूनी इलाकों में एलपीजी की आपूर्ति के लिए नेटवर्क का विस्तार
एलपीजी
की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने इसके प्रचालन-तंत्र के सामने कई सारे मुद्दे खड़े
कर दिए, जैसे देशव्यापी आपूर्ति शृंखला विकसित करने की आवश्यकता, बेरोक-टोक
आपूर्ति शृंखला की स्थापना, सब्सिडी की बढ़ती राशि और गलत तरीकों
और भ्रष्टाचार को कम करने की चुनौती आदि। यह वास्तव में सरकार के लिए और
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल वितरण कंपनियों – इंडियन ऑलय
कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम
के लिए सराहना की बात है, जो देश के सभी भागों में एलपीजी के 12,791
डिस्ट्रिब्यूटरों का विशाल नेटवर्क स्थापित
किया गया है और एलपीजी के 186 बॉटलिंग प्लांट लगाए गए हैं। इनके
साथ देश की 22 रिफाइनरियां भी जुड़ी हुई हैं, जो
एलपीजी की अबाध आपूर्ति कर रही हैं।
देश
के अंदरूनी इलाकों में एलपीजी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार की योजना
ग्रामीण और अर्द्धशहरी इलाकों में और ज्यादा एलपीजी बॉटलिंग प्लांट लगाकर इसके
ढांचे का विस्तार करने की है।
अब
तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां कम से कम 20,000 की आबादी वाले
कस्बों और शहरों में एलपीजी की बिक्री कर
रही थीं, लेकिन 2009 में राजीव गांधी ग्रामीण एलपीजी वितरण योजना
की शुरूआत ने छोटे कस्बों और गांवों में भी एलपीजी पहुंच को सुनिश्चित कर दिया
है। इस योजना के अंतर्गत एलपीजी के लिए 6619 डिस्ट्रिब्यूटर
नियुक्त किये जाने थे, जिनमें से लगभग 2200 ने कार्य करना
शुरू कर दिया है, जिससे ग्रामीण इलाकों में इस सुरक्षित, विश्वसनीय
और सुविधाजनक ईंधन गैस की आपूर्ति होने लगी है। ग्रामीण इलाकों में एलपीजी की
आपूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा इस योजना में कई गरीब-हितैषी पहलू भी शामिल हैं,
जैसे
बीपीएल परिवारों के लिए एलपीजी कनेक्शन जारी करना, जिसके लिए सिक्योरिटी
की राशि तेल वितरण कंपनियों की सामाजिक दायित्व की राशि में से दी जाएगी, डिस्ट्रिब्यूटरशिप
पंचायत या स्थानीय लोगों को आवंटित करना, पति-पत्नी दोनों के नाम पर एलपीजी की
आपूर्ति करना, जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा आदि।
इस योजना की सफलता का पता इस बात से चलता है कि एक जुलाई, 2013 तक
इन डिस्ट्रिब्यूटरों के माध्यम से 1.42 लाख बीपीएल परिवारों सहित एलपीजी के 38.8
लाख ग्राहक दर्ज किये गये हैं।
ग्राहकों
की सुविधा पहली प्राथमिकता
सरकार
एलपीजी गैस की आपूर्ति ग्राहकों के घरों तक पहुंचाने और सेवा के बेहतर मानदंड
सुनिश्चित करने की लगातार कोशिश कर रही है। इन दोनों उद्देश्यों को ध्यान में
रखते हुए कई नये प्रयास शुरू किये गये हैं, जैसे गैस की
आपूर्ति के लिए लगे समय के आधार पर डिस्ट्रिब्यूटरों का मूल्यांकन करना और
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के एलपीजी पारदर्शी पोर्टल पर डिस्ट्रिब्यूटरों के
कार्य के बारे में ऑन लाइन जानकारी उपलब्ध कराना। इससे यह सुनिश्चित रहेगा कि
मानवीय नियंत्रण से बाहर की रूकावटों को छोड़कर एलपीजी के सिलेंडर ग्राहकों को यथा
संभव जल्द से जल्द मिलेंगे।
सरकार
ने प्रायोगिक आधार पर चंडीगढ़ में एक योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत
ग्राहक अगर किसी डिस्ट्रिब्यूटर की सेवा से संतुष्ट नहीं है, तो
वह ऑन लाइन अपना डिस्ट्रिब्यूटर बदल सकता है। इस पोर्टबिलिटी सेवा को चरणबद्ध
तरीके से दूसरे स्थानों पर शुरू किया जाएगा।
गैस
सिलिंडरों के रिफिल की बुकिंग और इसे जारी करने के सिलसिले में ग्राहकों को मोबाइल
टेलीफोनों के जरिए सुविधा देने के लिए प्रौद्योगिकी का पूरा इस्तेमाल किया गया है
और शिकायतों के निपटान के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की सभी कंपनियों की ओर से एक शुल्क
मुक्त (टोलफ्री) नम्बर (18002333555) शुरू किया गया है। उपभोक्ता अब अपने
डीलरों के बारे में कंपनी के पोर्टल या
पारदर्शी पोर्टल में उपलब्ध जानकारी के आधार पर राय बना सकते हैं।
सब्सिडी
राशि का सीधा अंतरण
सरकार
का हमेशा इरादा रहा है कि एलपीजी की सब्सिडी की राशि लाभार्थियों तक पहुंचे,
लेकिन
व्यवस्था की खामियों को दूर करना एक बहुत बड़ी चुनौती रही है। यह मामला कितना बड़ा
है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्षों में रसोई
गैस की लागत को सीमित रखने के लिए सरकार को सब्सिडी की कितनी बड़ी राशि की व्यवस्था
करनी पड़ी। 2012-13 में घरेलू एलपीजी के लिए सब्सिडी की राशि 41,547
करोड़ रूपए थी। सब्सिडी की राशि सही उपभोक्ताओं तक पहुंचे, यह
सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की योजना शुरू
की है, जिसके अंतर्गत एलपीजी सिलिंडरों पर दी जा रही सब्सिडी की राशि,
जो 465
रूपए प्रति सिलिंडर है, लाभार्थी के बैंक खातों में सीधे पहुंचाई जा
रही है। प्रायोगिक आधार पर यह योजना 1 जून, 2013 को देश के 18
जिलों में शुरू की गई थी और 1 जुलाई, 2013 को मैसूर में
तथा 1 अगस्त, 2013 को मंडी में शुरू की गई। यह योजना 8
राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में शुरू की गई है,
जहां
आधार संख्या के पात्रों की संख्या अधिक है। अब तक के प्राप्त परिणामों के
अनुसार एलपीजी के लिए शुरू की गई प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना बहुत सफल रही है।
इसके अंतर्गत 40 लाख से अधिक लेन-देन हुए हैं और इन 20
जिलों में आज की तारीख तक एलपीजी उपभोक्ताओं के खातों में 150
करोड़ रूपए से अधिक की राशि सीधे पहुंचाई गई है।
1
सितम्बर 2013 को यह योजना देश के और 35
जिलों में शुरू की जाएगी, जिसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे
देश में लागू किया जाएगा।
पारदर्शी
पोर्टल
एलपीजी की बिक्री और वितरण के विभिन्न पहलुओं की
जानकारी ग्राहक को ऑन लाइन उपलब्ध कराने के लिए 22 जून,
2012 को
पारदर्शी पोर्टल की शुरूआत की गई थी। सब्सिडी वाली एलपीजी की आपूर्ति में
पारदर्शिता लाने की दिशा में यह पोर्टल एक बहुत बड़ा कदम है, क्योंकि इससे
सभी महत्वपूर्ण जानकारियां मिल जाती हैं। एलपीजी
सिलिंडरों की प्राप्ति और आपूर्ति के बारे में ग्राहक और डिस्ट्रिब्यूटर
अब काफी जागरूक हैं। इस प्रकार जानकारी उपलब्ध कराना वास्तव में एक सशक्त
सामाजिक लेखा परीक्षण व्यवस्था भी साबित हुई है।
सरकार
द्वारा उठाए जा रहे नये कदमों से एलपीजी ईंधन गैस अब देश के दूर-दराज के भागों तक
पहुंचाई जा सकेगी, जिससे रसोई का काम और आसान हो जाएगा। इस
प्रणाली के विस्तार के साथ-साथ पारदर्शी और बेहतर उपभोक्ता सेवाओं के जरिए
ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों सहित देश के लोगों के रहन-सहन
के स्तर में सुधार लाने में बहुत मदद मिलेगी।
(पसूका
विशेष लेख)
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