बुधवार, 11 जून 2014

जलवायु परिवर्तन के खतरनाक संकेत

जलवायु परिवर्तन पर सरकार की चिंता स्वाभाविक है। पूरी दुनिया इससे चिंतित है और इसे रोकने के कारगर प्रयासों पर अभी से गौर नहीं किया गया तो धरती पर जीवन के लिए गंभीर संकट पैदा हो सकता है। जलवायु परिवर्तन को अक्सर पड़ रहे सूखे और लगातार गर्म होते धरती के तापमान से समझा जा सकता है। इस गर्मी में पूरे छत्तीसगढ़ में भीषण लू के कारण लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। राजधानी रायपुर में चार लोग मौत के शिकार हो गए। करीब एक पखवाड़े तक तापमान 45 से ऊपर बना रहा। ऐसा पहले संभवत: कभी नहीं हुआ। तापमान इस स्तर तक पहुंचने पर बदली छा जाती थी और तपती गर्मी से राहत के रूप में बादल बरस जाते थे। इस बार मौसम ने प्रतिकूलता का अनुभव कराया है और यह परिवर्तन बड़ी चिंता का सबब है। राज्य सरकार ने इसकी गंभीरता को समझा है और जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्ययोजना के लिए 10 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार की कार्ययोजना की प्राथमिकताएं क्या होगी फिर भी जल संवर्धन, पर्यावरण संरक्षण के उपायों पर नि:संदेह विशेष तौर से गौर किया जाएगा। बढ़ता अनियोजित शहरीकरण भी जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण है। क्रांकीट के सड़क बढ़ते ही जा रहे हैं। अब तो सड़कें भी क्रांकीट की बन रही है और पक्की नालियों से वर्षा जल की भी निकासी हो रही है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए वर्षा जल को संचित करने की योजना पर भी गंभीरता से काम नहीं हो पा रहा है। वनों के विकास की योजनाएं तो बनाई जा रही हंै पर विकास से कहीं ज्यादा तेजी से वनों का विनाश हो रहा है, जिसे रोकने के प्रभावी तरीकों को गंभीरता से लेने की कोशिश नहीं हो रही है। वन क्षेत्रों की आबादी अभी भी घरेलू जरूरतों के लिए वनों पर निर्भर है। उन्हें चूल्हा जलाने के लिए जलाऊ से लेकर इमारती उपयोग के लिए लकड़ी चाहिए। इसकी आपूर्ति कहां से हो, इसका कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे ग्रामीणों को रसोई गैस उपलब्ध करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह अभी भी कागजों पर ही है। ग्रामीणों से कहा जाता है कि वे वनों से जलाऊ की जरूरत वनों में गिरी पड़ी सूखी लकडिय़ों से करें। यह देखने की कोशिश नहीं की जाती कि वनों में क्या इतनी सूखी लकडिय़ां हैं भी, जिनसे उनकी जरूरत पूरी हो सकती है। वनों के सिमटते क्षेत्रफल का यह भी एक बड़ा कारण है। वनों को बचाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि लोगों की वनों पर निर्भरता को कम से कम किया जाए। वर्षा जल के नदी-नालों से होकर बह जाने से रोकने के लिए छोटे-छोटे बांध बनाए जाएं और किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। वातावरण में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन को वातावरण गर्म होने का सबसे बड़ा कारण माना गया है। इसमें कमी लाने के  उपायों पर भी काम शुरू करना होगा ताकि धरती पर जीवन को खतरे से बचाया जा सके।

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