गुरुनानक
देव विश्वविद्यालय ने एक सर्वेक्षण करने के बाद इस बात की पुष्टि की कि पंजाब के 16 से 35 वर्ष के बीच की
आयु वर्ग वाले 73.5
प्रतिशत युवाओं को नशाखोरी की लत है और इसके साथ ही देश भर में फैली मादक पदार्थों
का दुरुपयोग और शराबखोरी की लत एक बार फिर से देश भर में चर्चा का विषय बन गई। 2010-11 के लिए राज्य
में बनाई गई आपदा प्रबंधन योजना में इस समस्या को गंभीर बताया गया। मादक पदार्थों
के निवारण पर बने कार्यबल के एक पूर्व अध्यक्ष के हवाले से कहा गया कि यह पंजाब
में प्रचलित एक असाधारण मानवीय संकट है और काफी बड़ी संख्या में कम आयु के लोग
गांजा, अफीम, हेरोइन जैसे
मादक पदार्थों के आदी हो चुके हैं। कई वर्जित गोलियों का इस्तेमाल भी बढ़ा है।
इससे
पहले एक अध्ययन करके चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के परास्नातक संस्थान
(पीजीआईएमईआर) ने दावा किया था कि राज्य के 16 से 25 वर्ष आयु वर्ग के युवकों में मादक
पदार्थों का सेवन बढ़ गया है। इस अध्ययन से यह भी पता चला कि ऐसे मामले बढ़े हैं
जहां युवक अफीम और इससे बने पदार्थों के आदी हो गए हैं। इस लत के कारण टीबी, हेपाटाइटिस बी व
सी और ऐसी ही बीमारियां बढ़ी हैं। लत वाले युवकों में नशीलों पदार्थों के इंजेक्शन
लेना भी काफी प्रचलित है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) का अनुमान है कि
इंजेक्शन के जरिए नशाखोरी करने वाले युवा लोगों की संख्या देशभर में 17 लाख होगी।
अनुमानों
के अनुसार भारत में मादक पदार्थों के आदी युवकों की संख्या कम से कम 7.5 करोड़ होगी।
नशे की लत का असर नशेड़ी पर ही नहीं, बल्कि उसके परिवार पर भी पड़ता है और इसके कारण
पड़ने वाला सामाजिक, आर्थिक बोझ काफी ज्यादा होता है। घरेलू हिंसा का एक प्रमुख कारण
नशाखोरी बताया जाता है। भारत में नशाखोरी
की लत एक सामाजिक अभिशाप माना गया है और अनेक परिजन यह बताते हुए झिझकते हैं कि
उनका कोई सदस्य नशे की लत छुड़ाने वाले केंद्र जाता है। यही नहीं, देश में नशाखोरी
की लत छुड़ाने और नशेड़ियों का पुनर्वास करने वाले केंद्रों और कर्मचारियों की
बेहद कमी है।
संयुक्त
राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर पांच में से एक व्यक्ति
नशाखोरी से ग्रस्त है और उसे इससे मुक्त कराने की जरूरत है। भारत
में करीब 400
ऐसे पुनर्वास केंद्र हैं जिन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का समर्थन
प्राप्त है। इससे अलावा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सहायता से करीब 122 नशा छुड़ाने
वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
नशा
मुक्ति आंदोलन के लिए नोडल मंत्रालय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय है जो इस
कार्यक्रम के सभी पक्षों में तालमेल लाता है और उनकी मॉनिटरिंग करता है। उसके
कार्यों में इस समस्या का मूल्यांकन, निवारक उपाय, इलाज और नशेड़ियों का पुनर्वास,, सार्वजनिक
शिक्षा तथा सूचना संप्रेषण शामिल हैं। यह मंत्रालय नशेड़ियों की पहचान, चिकित्सा, इलाज और
पुनर्वास के लिए स्वयंसेवी एजेंसियों को समुदाय आधारित सेवाएं उपलब्ध कराता है।
सरकार इस काम में लगे गैर-सरकारी संगठनों को उनके कार्य में सहायता के लिए अनुदान
भी देती है। वर्ष 2011-12 के
दौरान कुल मिलाकर रुपए 3533.44 लाख की आर्थिक सहायता 296 गैर सरकारी
संगठनों को दी गई जिसका इस्तेमाल उन्होंने 348 परियोजनाएं चलाने में किया और उनसे
लगभग 1,24,412
लोग लाभान्वित हुए।
सामाजिक
न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का सोशल डिफेंस ब्यूरो शराबखोरी और नशीले पदार्थों
के आदी लोगों के कल्याण की जरूरतें पूरी करता है। इस ब्यूरो की नीतियां और
कार्यक्रम इस उद्देश्य से बनाए जाते हैं कि ऐसे लोग आदर और सम्मान का जीवन जी सकें
और समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनें। यह ब्यूरो स्वयंसेवी सेवा को प्रोत्साहन देता
है और उन्हें आगे बढ़ाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है। राज्य सरकारें, स्वायत्तशासी
निकाय, गैर-सरकारी
संगठन और कॉरपोरेट जगत को ऐसी नीतियों के बनाने और उन्हें लागू करने में शामिल
किया जाता है।
नार्कोटिक
ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज ऐक्ट, 1985 अपेक्षा करता है कि सरकार नशे के आदी
लोगों की देखभाल,
पुनर्वास और चिकित्सा के लिए केंद्रों की स्थापना करेगी और उनका
रखरखाव संभालेगी। इस काम में बड़ी संख्या में गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं, अतः सामाजिक
न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने पिछले वर्ष दिसम्बर में नशाखोरी एवं शराबखोरी
क्षेत्रों में श्रेष्ठ सेवा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार देने की स्कीम शुरू की
थी। इसका उद्देश्य मादक पदार्थों के
दुरुपयोग, उनके
पीड़ितों का पुनर्वास और ऐसे ही क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ कार्यों को मान्यता
प्रदान करना और श्रेष्ठता को प्रोत्साहित करना है।
यह
स्कीम उन संस्थानों और व्यक्तियों के लिए शुरू की गई जो इस क्षेत्र में काम कर रहे
हैं। हर वर्ष उन लोगों को पुरस्कार दिए
जाएंगे जो मादक पदार्थों का दुरुपयोग रोकने के लिए काम करेंगे। ये पुरस्कार हर वर्ष 26 जून को प्रदान किए जाएंगे। इस तारीख को
संयुक्त राष्ट्र ने मादक पदार्थ दुरुपयोग निवारण दिवस घोषित किया है। ये पुरस्कार
संस्थानों और व्यक्तियों को दस वर्गों में दिए जाएंगे। इसके अंतर्गत नकद पुरस्कार
होगा जो एक लाख से पांच लाख रुपए के बीच हो सकता है। जिन वर्गों के लिए पुरस्कार
दिए जाएंगे उनके विवरण नीचे दिए जा रहे हैं।
सांस्थानिक वर्ग
·
नशाखोरों के पुनर्वास के लिए सर्वश्रेष्ठ
एकीकृत केंद्र – यह
पुरस्कार नशाखोरों और मादक पदार्थों से मुक्त हुए लोगों को सर्वश्रेष्ठ पुनर्वास
सेवाएं देने के लिए होगा।
·
सवश्रेष्ठ क्षेत्रीय संसाधन एवं प्रशिक्षण
केंद्र- नशाखोरी रोकने के क्षेत्र में सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत करने पर यह
पुरस्कार दिया जाएगा।
·
शराबखोरी रोकने के लिए काम करने वाले
सर्वश्रेष्ठ पंचायती राज एवं नगर पालिका निकाय।
·
मादक पदार्थों का दुरुपयोग निवारण
·
नशाखोरी और मादक पदार्थों का दुरुपयोग रोकने के
लिए जागरुकता पैदा करने वाले सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्थान
·
गैर-सरकारी संगठन अथवा स्व-सहायता समूह, ट्रस्ट या
समुदाय-आधारित गैर-लाभ अर्जक सर्वश्रेष्ठ संगठन।
·
कोई संस्थान जो नशाखोरी निवारण के लिए नई तकनीक, चिकित्साविधि
अथवा रोकने का तरीका विकसित करे या नया तरीका अपनाए जिससे शुरुआती चरण में भी
नशेड़ियों की पहचान हो सके।
·
सर्वश्रेष्ठ जागरुकता अभियान- निरंतर लतखोरी
संबंधी विषयों अथवा निरंतर आधार पर किसी संस्था या संगठन के बारे में सूचना देना।
इनमें शिक्षण संस्थाएं शामिल नहीं होंगी।
व्यक्ति
वर्ग
·
किसी व्यावसायिक द्वारा व्यक्तिगत रूप से
प्राप्त की गई उपलब्धि- सामान्य कर्तव्य मानकर किसी चिकित्सक द्वारा चलाया गया
अभियान। इस वर्ग में मनोरोग चिकित्सक, व्यावसायिक तथा क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक और कुशल
प्रशिक्षक आएंगे,
जिन्होंने शराबखोरी और मादक पदार्थों के आदी लोगों का इलाज किया हो
और इनसे पीड़ित लोगों के पुनर्वास के लिए काम किया है।
·
किसी गैर व्यावसायिक द्वारा व्यक्तिगत उपलब्धि – इस वर्ग में
छात्र नेता, कार्यकर्ता
जैसे गैर-व्यावसायिक लोग आएंगे, जिन्होंने शराबखोरी और नशीले पदार्थों का
दुरुपयोग रोकने के लिए सर्वश्रेष्ठ काम किया हो।
·
नशे के पूर्व आदी व्यक्ति, जिन्होंने
जागरुकता पैदा करने, नशे की लत छुड़ाने अथवा नशेड़ियों के पुनर्वास के क्षेत्र में
श्रेष्ठ काम किया हो।
·
मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार की इस
स्कीम में अनुदान देने के अलावा युवा मामलों और खेलकूद मंत्रालय के स्वायत्तशासी
संगठन नेहरू युवा केंद्र संगठन को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और शराबखोरी रोकने
के लिए सालभर अग्रिम योजना चलाने के लिए अनुदान सहायता दी जाती है। यह परियोजना
पंजाब के 10
जिलों में 75
ब्लाकों के 3000
गांवों और मणिपुर के सात जिलों के 25 ब्लाकों के 750 गांवों में लागू की गई। नशीले
पदार्थों के दुरुपयोग के क्षेत्र में पंजाब और मणिपुर सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों
में प्रमुख हैं।
·
इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नशाखोरी निवारण, चिकित्सा और
पुनर्वास के लिए जहां सरकार और गैर-सरकारी संगठन जमकर प्रयास कर रहे हैं, वहीं लोगों को
भी अपना रवैया शराबखोरों और नशीले पदार्थों के आदी लोगों के प्रति बदलने की जरूरत
है। लोगों को चाहिए कि वह उन्हें अलग-थलग करने और पुनर्वास केंद्रों को भेजने के
बजाए समाज की मुख्य धारा में लाने के प्रयास करें।
सरिता बरारा
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