शनिवार, 22 जून 2013

डेयरी विकास

भारतीय डेयरी क्षेत्र ने 9वीं योजना के बाद से शानदार वृद्धि दर्ज की है, जिसके परिणाम स्‍वरूप प्रतिवर्ष 130 मिलियन टन के करीब वार्षिक उत्‍पादन करते हुए देश अब दुनिया के दुग्‍ध उत्‍पादन करने वाले देशों में पहले स्‍थान पर पहुंच गया है। यह हमारी बढ़ती हुई जनसंख्‍या के लिए दूध की उपलब्‍धता और दुग्‍ध उत्‍पादों में दीर्घकालीन वृद्धि को दर्शाता है। दुग्‍धशाला लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए आय का एक प्रमुख द्वितीयक साधन बन गया है और खासतौर पर कमजोर तबके के लोगों और महिला किसानों के लिए रोजगार और आय सृजन के अवसर प्रदान करने में सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2012 तक प्रति व्‍यक्ति दुग्‍ध की उपलब्‍धता 290 ग्राम प्रतिदिन के स्‍तर तक पहुंच गयी है, जो 284 ग्राम प्रतिदिन के अंतरराष्‍ट्रीय औसत से अधिक है। देश में अधिकांश दूध का उत्‍पादन छोटे, कमजोर तबके के किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के द्वारा किया जाता है। मार्च 2012 तक करीब 14.78 मिलियन किसानों को 1,48,965 ग्राम स्‍तर की डेयरी सहकारी समितियों के दायरे में लाया जा चुका है। कुल पशुधन के करीब 87.7 प्रतिशत का प्रतिनिधित्‍व 4 हेक्‍टेयर से कम की भूमि वाले गरीब तबके के किसानों, लघु और उपमध्‍यम संचालकों द्वारा किया जाता है। दुनिया के सर्वाधिक पशुधन की संख्‍या भारत में है। यह दुनियाभर में भैंसों की जनसंख्‍या का करीब 57.3 प्रतिशत और पशु जनसंख्‍या का 14.7 है।

देश की राष्‍ट्रीय अर्थव्‍यवस्‍था और सामाजिक-आर्थिक विकास में पशुपालन और डेयरी एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन गतिविधियों से ग्रामीण क्षेत्रों खासतौर पर भूमिहीन, छोटे, गरीब तबके के किसानों और महिलाओं के लिए न सिर्फ लाभदायक रोजगार का सृजन होता है बल्कि उन्‍हें सस्‍ता और पौष्टिक अन्‍न मिलता है। पशुधन सूखे और अन्‍य प्राकृतिक आपदाओं के समय किसानों के लिए सर्वश्रेष्‍ठ बीमा के तौर पर काम करता है। दुधारु पशुओं की उत्‍पादकता का बढ़ाने के लिए सरकार ने कई उपाय अपनाए हैं, जिसके परिणाम स्‍वरूप दूध के उत्‍पादन में महत्‍वपूर्ण रूप से वृद्धि हो रही है।

राष्‍ट्रीय डेयरी योजना
दुग्‍ध उत्‍पादन को बढ़ाने, दुधारू पशुओं की उत्‍पादकता में सुधार करने के उद्देश्‍य के साथ देश में तेजी से बढ़ती हुई दूध की मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने फरवरी 2012 में करीब 2,242 करोड़ रूपये के कुल निवेश के साथ राष्‍ट्रीय डेयरी योजना चरण-1 (एनडीपी-1) को भी स्‍वीकृति दे दी है। इस योजना को 2016-17 तक कार्यान्वित किया जाएगा। राष्‍ट्रीय डेयरी योजना-1 2016-17 तक 150 मिलियन टन दूध की लक्षित राष्‍ट्रीय मांग को पूरा करने में मदद करेगी, इसमें उत्‍पादकता वृद्धि, दूध की खरीद और बाजारों तक उत्‍पादकों की अधिक पहुंच बनाने के लिए ग्रामस्‍तर के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना और इसका विस्‍तार करना शामिल है। एनडीपी-1 में 14 प्रमुख दुग्‍ध उत्‍पादक राज्‍य उत्‍तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और केरल पर खास ध्‍यान दिया जाएगा। ये राज्‍य देश के कुल दुग्‍ध उत्‍पादन का 90 प्रतिशत से ज्‍यादा उत्‍पादित करते हैं। इस योजना के कार्यान्‍वयन के लिए 31 दिसम्‍बर, 2012 तक एनडीडीबी को कुल 79 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना
डेयरी क्षेत्र में निजी निवेश को बढावा देने के लिए डेयरी उद्यमिता विकास य़ोजना (डीईडीएस) 1 सिंतबर 2010 को शुरू की गई। इस योजना का उद्देश्य स्वरोजगार के अवसर बढाकर गरीबी कम करने के साथ देश में निवेश बढाकर दूध का उत्पादन बढ़ाना था। नाबार्ड के माध्‍यम से लागू होने वाली इस योजना के अंतर्गत वि‍त्‍तीय सहायता व्यावसायिक, सहकारी, शहरी और ग्रामीण बैंकों के माध्‍यम से सामान्य श्रेणी के आवेदकों को 25 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी और अनुसूचित जाति और जनजाति के लाभार्थियों को 33 प्रतिशत की सहायता केंद्रीय सहायता के तौर पर प्रदान की जाती है। इस योजना का लाभ किसान, व्यक्तिगत उद्यमी, संगठित और असंगठित क्षेत्र के समूह इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने के योग्य हैं।

अपनी शुरूआत के बाद से ही नाबार्ड ने 31 दिंसबर 2012 तक 62,046 डेयरियों को स्थापित करने के लिए 251.20 करोड़ रूपए की राशि वि‍तरि‍त की है। इसके अलावा इस योजना को लागू करने के लिए वर्ष 2012-13 के दौरान सरकार ने  140 करोड़ रूपए जारी किए हैं, जिसमें से 31 दिसंबर 2012 तक नाबार्ड ने 32,749 डेयरी स्थापित करने के  लिए 127.13 करोड़ रूपए जारी किए हैं।  

सहकारी संस्‍थाओं को सहायता
वर्ष 1999-2000 के दौरान जि‍ला स्‍तर पर रुग्‍ण डेयरी सहकारी मि‍ल्‍क यूनि‍यन तथा राज्‍य स्‍तर पर मि‍ल्‍क फेडरेशनों के पुनरुत्‍थान के उद्देश्‍य से योजना की शुरुआत की गई थी। योजना को सरकार तथा संबंधि‍त राज्‍य सरकार के बीच 50:50 हि‍स्‍सेदारी के आधार पर राष्‍ट्रीय डेयरी टेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीपी) के माध्‍यम से लागू कि‍या जा रहा है। संबंधि‍त राज्‍य मि‍ल्‍क फेडरेशन/जि‍ला मि‍ल्‍क यूनि‍यन से परामर्श करते हुए पुनरुत्‍थान योजना को राष्‍ट्रीय डेयरी टेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीपी) ने तैयार कि‍या है। प्रत्‍येक पुनरुत्‍थान योजना को इस ढ़ंग से तैयार कि‍या गया है कि‍ इनके अनुमोदन की तारीख से सात वर्ष की अवधि‍ के भीतर रुग्‍ण सहकारी संस्‍था सकारात्‍मक ढ़ंग से कार्य करने लगेगी।


इसके आरंभ से, 31 दि‍संबर 2012 तक वि‍भाग ने मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़, हरि‍याणा, कर्नाटक, उत्‍तर प्रदेश, केरल, महाराष्‍ट्र, असम, नागालैंड, पंजाब, पं. बंगाल और तमि‍लनाडु राज्‍यों में रुग्‍ण मि‍ल्‍क यूनि‍यनों के लि‍ए 42 पुनरुत्‍थान परि‍योजनाओं के लि‍ए मंजूरी दी है। इसके लि‍ए 310.91 करोड़ रुपये की कुल लागत नि‍र्धारि‍त की गई है, जि‍समें केंद्र का हि‍स्‍सा 155.64 करोड़ रुपये का है। 31 दि‍संबर 2012 तक रुग्‍ण सहकारी मि‍ल्‍क यूनि‍यनों को केंद्र के हिस्‍से का 120.64 करोड़ रुपये जारी कि‍ये जा चुके हैं।

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