बुधवार, 19 जून 2013

सीमा सुरक्षा बल के गरि‍मामय 50 वर्ष

केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल वि‍द्यालय, सीमा सुरक्षा बल, इंदौर इस वर्ष अपनी स्‍थापना के 50वां गरि‍मामय वर्ष पूर्ण कर रहा है। दल भावना की संस्‍कृति, वि‍श्‍वास और नि‍ष्‍पक्षता को बढ़ावा देने की दि‍शा में इस संस्‍थान ने महत्‍वपूर्ण भूमि‍का नि‍भाई है।

केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल वि‍द्यालय, सीमा सुरक्षा बल का सबसे पहले स्‍थापि‍त कि‍या गया, एक वि‍शि‍ष्‍ट केंद्र है। यह संस्‍थान लघु शस्‍त्र के शूटिंग कौशल में उत्‍कृष्‍टता प्रदान करता है। इसकी स्‍थापना सीमा सुरक्षा बल के प्रथम महानि‍देशक स्‍वर्गीय श्री खुसरो फरामुर्ज रूस्‍तमजी (आईपीएस) का सपना था। वे इस संस्‍थान के माध्‍यम से एक मंच तैयार करना चाहते थे, जहां केंद्रीय पुलि‍स संगठनों तथा राज्‍य पुलि‍स बलों के कार्मि‍क व अधि‍कारी उच्‍च कोटि‍ का प्रशि‍क्षण प्राप्‍त करने के साथ-साथ एक दूसरे से परि‍चि‍त हों, अपने अनुभवों को बाटें तथा आपसी सहयोग स्‍थापि‍त करें। उनके नजरि‍ये में पुलि‍स अभि‍यानों में आधुनि‍कता का वि‍कास तथा पेशेवर अंदाज का असर तभी संभव हो सकता था।

केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल वि‍द्यालय, सीमा सुरक्षा बल, इंदौर के बि‍जासन रोड पर स्‍थि‍त है। इस मुख्‍य कैंपस के अति‍रि‍क्‍त बि‍जासन टेकरी, बुडानि‍या व रेवती रेंज भी इसी के अंग हैं, जहां पर भि‍न्‍न-भि‍न्‍न प्रकार के प्रशि‍क्षण दि‍ये जाते हैं, जि‍समें शस्‍त्र और रणनीति‍ पाठ्यक्रम, आईपीएस परीवि‍क्षार्थि‍यों के पाठ्यक्रम, प्‍लाटून वेपन पाठ्यक्रम,  नि‍शानची पाठ्यक्रम, नये हथि‍यार और नि‍गरानी उपकरण पाठ्यक्रम, नक्‍शा अनुदेशकों के पाठ्यक्रम, शस्‍त्र के सहायक नि‍रीक्षणालय पाठ्यक्रम, भर्ती कांस्‍टेबल के लि‍ए सहायक प्रशि‍क्षण केंद्र, सेमि‍नार/कार्यशालाएं/सहभागि‍ता/माड्यूल प्रशि‍क्षण कार्यक्षेत्र तथा वरि‍ष्‍ठ बीएसएफ अधि‍कारि‍यों के प्रशि‍क्षण शामि‍ल हैं।

कैंपस की स्‍थापना सन् 1930 में महाराजा तुकोजी राव होल्‍कर द्वारा अपनी प्रथम केवलरी तथा तोपखाना रखने के उद्देश्‍य से की गई थी। इसमें लगभग 100 घोड़े एवं दर्जन भर तोपें शामि‍ल थी। सन् 1938 में इस यूनि‍ट को भंग कर दि‍या गया था, किंतु इस तोपखाने की तोपों को वि‍भि‍न्‍न समारोहों के दौरान, भ्रमण में आने वाले गणमान्‍य अति‍थि‍यों को सलामी देने और दशहरा उत्‍सव मनाने के लि‍ए इस्‍तेमाल में लि‍या जाता रहा। सन् 1940 में महाराजा तुकोजी राव होल्‍कर ने रि‍क्रूटों को प्रशि‍क्षण देने के मकसद से यहां पर एक प्रशि‍क्षण केंद्र खोला गया, जि‍सका नाम 'इंदौर प्रशि‍क्षण केंद्र' रखा गया। स्‍वतंत्रता के उपरांत पूरे संस्‍थान को मध्‍य भारत की पुलि‍स को सौंप दि‍या गया। जि‍न्‍होंने यहां अपने आरक्षकों, मुख्‍य आरक्षकों, उप नि‍रीक्षक, नि‍रीक्षक एवं उपाधीक्षक को प्रशि‍क्षण देने के लि‍ए पुलि‍स प्रशि‍क्षण केंद्र स्‍थापि‍त कि‍या। 1956 में राज्‍यों के पुनर्गठन के पश्‍चात पूरा संस्‍थान मध्‍य प्रदेश पुलि‍स को सौंप दि‍या गया।

स्‍वतंत्रता के पश्‍चात पुलि‍स बलों को वि‍भि‍न्‍न नई चुनौति‍यों का सामना करना पड़ा। पुलि‍स बलों को सक्रि‍य एवं हिंसक हथि‍यारों से लैस असामाजि‍क तत्‍वों का सामना करने के लि‍ए कुशल प्रशि‍क्षण की आवश्‍यकता हुई। नई परि‍स्‍थि‍ति‍यों से नि‍पटने के लि‍ए हथि‍यारों से सुसज्‍जि‍त व उनके उपयोग में नि‍पुण पुलि‍स बलों को वि‍भि‍न्‍न परि‍स्‍थि‍ति‍यों में उचि‍त व कारगर कार्यवाही करने में समर्थ बनाने के अति‍रि‍क्‍त कोई अन्‍य वि‍कल्‍प नहीं था। इन सभी पहलूओं को ध्‍यान में रखते हुए सभी केंद्रीय पुलि‍स बलों एवं राज्‍य पुलि‍स संगठनों को आयुध एवं युद्ध कौशल में प्रशि‍क्षि‍त करने का फैसला लि‍या गया। तदानुसार केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल वि‍द्यालय, इंदौर की स्‍थापना 15 जून 1963 को इंटेलीजेंस ब्‍यूरो के अधीन की गई। सीमा सुरक्ष बल ने इस राष्‍ट्रीय संस्‍थान को संचालि‍त करने की जि‍म्‍मेदारी जून 1966 से ली।

इस संस्‍थान में सीमा सुरक्षा बल के सभी पदों के कार्मि‍कों के अति‍रि‍क्‍त सभी केंद्रीय अर्द्धसैनि‍क बलों तथा राज्‍य पुलि‍स बलों के कार्मि‍कों को आधुनि‍क हथि‍यारों की उच्‍च कोटि‍ की सि‍खलाई, युद्ध कौशल एवं फील्‍ड क्रॉफ्ट में कुशल प्रशि‍क्षण प्रदान करने के साथ-साथ नक्‍सलि‍यों व आतंकवादि‍यों से कुशलतापूर्वक नि‍पटने का प्रशि‍क्षण प्रदान कि‍या जाता है। इस संस्‍थान में भारतीय पुलि‍स सेवा के अधि‍कारि‍यों को वैपन्‍स एवं टैक्‍टि‍स के प्रशि‍क्षण के आधुनि‍क तरीक एवं मूल्‍यांकन पद्धति‍ के साथ-साथ फि‍दायीन हमले को नकारा करने से संबंधि‍त प्रशि‍क्षण दि‍या जाता है। भारत के मि‍त्र देशों जैसे नेपाल, भूटान व मालदीव के पुलि‍स बलों के अधि‍कारि‍यों व कार्मि‍कों को भी हथि‍यारों व युद्ध कौशल से संबंधि‍त प्रशि‍क्षण दि‍या जाता है। अब तक संस्‍थान द्वारा लगभग 48000 प्रशि‍क्षार्थि‍यों को प्रशि‍क्षि‍त कि‍या गया है।

इस संस्‍थान के सहायक प्रशि‍क्षण केंद्र में हर वर्ष 1000 से अधि‍क नव-आरक्षकों को प्रशि‍क्षि‍त कि‍या जाता है। इस संस्‍थान को भारत सरकार, गृह मंत्रालय द्वारा 30 सि‍तम्‍बर 1999 को 'सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस' घोषि‍त कि‍या गया।

प्रशि‍क्षण के अति‍रि‍क्‍त उच्‍च कोटि‍ के नि‍शानेबाज तैयार करना तथा नि‍शानेबाजी को बढ़ावा देना भी केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल वि‍द्यालय का एक और महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है। इसी दि‍शा में संस्‍थान की रेवती रेंजेज पर एक अतरराष्‍ट्रीय स्‍तर का शूटिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स तैयार कि‍या गया है, जि‍समें बल की पेशेवर जरूरतों को पूरा करने के अति‍रि‍क्‍त बल के युवा व प्रति‍भावान नि‍शानेबाजों को राष्‍ट्रीय व अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर दस्‍तक देने के लि‍ए एक मंच तैयार कि‍या जाता है। इसी के परि‍णामस्‍वरुप, सीमा सुरक्षा बल के अनेक नि‍शानेबाजों ने ओलंपि‍क, एशि‍यन तथा अनेक पदक अर्जि‍त किए हैं, जि‍समें नि‍शानेजबाजी में अर्जून पुरस्‍कार वि‍जेता मोहिंदर लाल जैसे अनेक नि‍शानेबाज शामि‍ल हैं। अब इस कड़ी में एक नया अध्‍याय जुड़ गया है, जब सीमा सुरक्षा बल में कुछ समय पहले ही शामि‍ल हुई महि‍ला कार्मि‍कों ने नि‍शानेबाजी में उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करते हुए राष्‍ट्रीय प्रति‍योगि‍ताओं में पदक जीतकर बल का नाम रोशन कि‍या है।

प्रशि‍क्षण के मुख्‍य उद्देश्‍य को पूरा करने के साथ-साथ इस संस्‍थान ने गुणवत्‍ता प्रबंधन प्रणाली तथा पर्यावरण संरक्षण में भी उपनी एक अलग पहचान बनाई है। संस्‍थान के कैंपस में पर्यावरण संरक्षण के लि‍ए उर्जा बचत संयत्रों का उपयोग पर्यावरण को बचाने के लि‍ए जागरुकता, पानी का सदुपयोग, कागज की बरबादी रोकने, पेट्रोलि‍यम पदार्थों का न्‍यूनतम उपयोग, वाहनों की समय-समय पर प्रदूषण जांच, वृक्षारोपण तथा जल संवर्द्धन जैसे कई कदम उठाए गए, जि‍सके लि‍ए संस्‍थान को ISO-9001-2008 तथ ISO-14001-2004 प्रदान कि‍या गया है।

केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल वि‍द्यालय को इंदौर के सीमा सुरक्षा बल सहि‍त सभी केंद्रीय बलों के सेवानि‍वृत कर्मचारि‍यों के कल्‍याण व पुनर्वास का कार्य देखने हेतु नोडल कार्यालय घोषि‍त कि‍या गया है। इस हेतु सीमा सुरक्षा बल परि‍सर में सेवानि‍वृत कर्मचारि‍यों के लि‍ए एक कार्यालय खोला गया है, जहां सेवानि‍वृत कार्मि‍क आकर अपनी समस्‍याओं के बारे में जानकारी देते हैं। इसके अति‍रि‍क्‍त सेवानि‍वृत कर्मचारि‍यों के साथ समय-समय पर बैठक कर उनकी समस्‍याओं का नि‍वारण कि‍या जाता है। केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल वि‍द्यालय ने पि‍छले 50 वर्षों में प्रशि‍क्षणार्थि‍यों को युद्ध कौशल में नि‍पुण बनाने के साथ-साथ उन्‍हें नैति‍क तथा सामाजि‍क दायि‍त्‍वों के निर्वहन के लि‍ए तैयार कि‍या है। यह राष्‍ट्रीय सुरक्षा तथा राष्‍ट्र नि‍र्माण के लि‍ए अहम कदम है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुल पेज दृश्य