1. हिग्स बोसान ’ईश्वर कण’ नही है। जी हाँ लोग उसे ईश्वर कण कहते है
क्योंकि लेओन लेडरमैन ने अपननी ’ईश्वर कण” नामक पुस्तक मे हिग्स बोसान को यह नाम दिया था। यह पुस्तक के विपणन के
लिये एक अच्छा नाम था लेकिन वैज्ञानिक रूप से गलत था। इसी पुस्तक मे लेखक लेओन
लेडरमैन तथा सह लेखक डीक टेरेसी ने लिखा है कि प्रकाशक इस पुस्तक का नाम ’गाडडैम पार्टीकल’ रखने के लिये तैयार नही था जबकि यह
नाम हिग्स कण को खोजने मे आने वाली कठिनाईयों तथा अधिक लागत के संदर्भ मे उपयुक्त
नाम था।
2. हिग्स बोसान के लिये
नोबेल मिलेगा लेकिन किसे ? हम नही जानते है। हिग्स बोसान का
आईडीया 1963 तथा 1964 के बहुत से
शोधपत्रो के द्वारा प्रकाश मे आया था। एक शोधपत्र फ्रांसवा एन्ग्लेर्ट(Francois
Englert) तथा राबर्ट ब्राउट (Robert Brout) का
था, दो शोधपत्र पिटर हिग्स(Peter Higgs) के और एक शोधपत्र गेराल्ड गुरानिक(Gerald Guralnik) ,रिचर्ड हेगन(Richard Hagen) तथा टाम किबल(Tom
Kibble) का था। परंपराओं के अनुसार एक वर्ष मे भौतिकी का नोबेल
अधिकतम तीन लोगों को दिया जाता है। इसलिये चयन कठिन है। हिग्स बोसान की सैद्धांतिक
खोज के साथ प्रायोगिक खोज भी महत्वपूर्ण है लेकिन इसमे समस्त विश्व मे फैले लगभग 7000 वैज्ञानिको का योगदान है जोकि नोबेल पुरस्कार के चयन को और कठिन बनाता
है। यह संभव है कि लार्ज हेड्रान कोलाइडर( Large Hadron Collider) के निर्माताओं मे से किसी को नोबेल दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यह भी
संभव है कि तीन व्यक्तियों के नियमो से बाहर जाकर शांति के नोबेल की तरह इसे एक
संस्था को दिया जाये।
3. शायद हिग्स बोसान की खोज
हो गयी है लेकिन अभी हम पूर्णतः संतुष्ट नही है। यह तय है कि हमने एक नया कण खोजा
है। लेकिन यह तय करने मे कि हमने वास्तविकता मे क्या खोजा है , ज्यादा आंकड़े और समय चाहीये। अगले कुछ वर्षो मे वैज्ञानिको के लिये इस
नये कण के गुणधर्मो को तय करने का कठिन कार्य होगा और इन गुणधर्मो का सैद्धांतिक
हिग्स बोसान कणो के गुणधर्मो से मिलान किया जायेगा। इससे तय होगा कि यह नया कण
पचास वर्ष पहले संकल्पित हिग्स बोसान कण है या कोई अन्य कण। यदि इसके गुण हिग्स
बोसान से मिलते तो हम कह सकते है कि वह हिग्स बोसान है अन्यथा खोज जारी रहेगी,
एक नया रहस्य जुड़ जायेगा।
4. लार्ज हेड्रान कोलाइडर( Large
Hadron Collider) एक प्रभावशाली यंत्र है। जीनेवा स्विटजरलैंड स्थित
लार्ज हेड्रान कोलाइडर जिसने हिग्स बोसान की खोज की है वह मानव द्वारा निर्मित
सबसे जटिल यंत्र है। यह एक वलयाकार चुंबकीय मशीन है जोकि जमीन की सतह के 100 मीटर नीचे है और उसकी परिधी 27 किमी है। यह मशीन एक
समय मे 100 ट्रीलीयन प्रोटानों को प्रकाशगति के 99.999999% गति तक त्वरण देती है और इन प्रोटानो को आपस मे एक सेकंड मे 1000 लाख बार टकराती है। प्रोटानो की इस धारा को ले जाने वाली इसकी नली मे
चंद्रमा के वातावरण के जैसे निर्वात उत्पन्न किया जाता है तथा इस नली का तापमान
आकाशगंगाओं के मध्य के अंतरीक्ष के जैसे शीतल होता है। इन सभी प्रोटानो की कुल
गतिज ऊर्जा किसी तेज गति से जाती मालगाड़ी के तुल्य होती है। इस मशीन मे लगी हुई
तारो की कुल लंबाई 275,000 किमी है जोकि पृथ्वी को 7 बार लपेटने के लिये पर्याप्त है।
5. लार्ज हेड्रान कोलाइडर
से विश्व के नष्ट होने की कभी कोई संभावना नही थी। आपको कुछ सनकी व्यक्तियों
द्वारा उत्पन्न अफवाहे याद होंगी जिसमे एलएचसी द्वारा विश्व के नष्ट होने की
भविष्यवाणी की गयी थी। लोग डर गये थे कि इस मशीन से एक छोटा ब्लैक होल उत्पन्न
होगा और वह पृथ्वी को नष्ट कर देगा और हम सब मारे जायेंगे। लेकिन यह किसी ने नही
समझाया कि क्यो इस जटिल विशालकाय मशीन के निर्माता भौतिक वैज्ञानिक आत्महत्या के
लिये इतना कठिन रास्ता चुनेंगे? यह अफवाहें मुर्खतापूर्ण थी,
क्योंकि इस मशीन ऐसा कुछ नही होने जा रहा था जोकि अंतरिक्ष मे हमेशा
नही होते रहती है। हाँ 19 सितंबर 2008
को एक चुंबक मे विस्फोट हुआ था लेकिन कोई घायल नही हुआ था। इस मशीन से होने वाली
दुर्घटनाओं मे अज्ञान के अतिरिक्त किसी की जान नही गयी है।
6. हिग्स बोसान सबसे
महत्वपूर्ण कण नही है। हिग्स बोसान अन्य कणो की तरह ही एक और कण है। महत्वपूर्ण है
हिग्स यांत्रिकी। वैज्ञानिक उत्साहित है क्योंकि वह अब हिग्स क्षेत्र समझ पायेंगे
जिससे हिग्स कण उत्पन्न होता है। आधुनिक भौतिकी विशेषतः क्वांटम भौतिकी के अनुसार
सभी कण एक बल या दूसरे बल से उत्पन्न तरंग मात्र है। जैसे विद्युतचुंबकीय क्षेत्र
से उत्पन्न तरंग फोटान है, इलेक्ट्राब क्षेत्र से उत्पन्न
तरंग इलेक्ट्रान है और अन्य कण भी। इसी कारण से सभी इलेक्ट्रानो का समान द्रव्यमान
तथा समान आवेश होता है क्योंकि वे सभी ब्रह्माण्ड मे फैले हुये एक विशेष बल
क्षेत्र मे उत्पन्न भिन्न तरंग मात्र होते है। हिग्स बल क्षेत्र जोकि रिक्त
अंतरिक्ष मे फैला हुआ है इसे काफी रोचक बनाता है, हिग्स
बोसान को पाना इस तथ्य का द्योतक है कि इस बल क्षेत्र का आस्तित्व है। हिग्स बोसान
को कुछ शब्दो मे समझाना मुश्किल जाता है क्योंकि इसे समझाने से पहले बलक्षेत्र
सिद्धांत(Field Theory) समझाना होता है!
7. हिग्स यांत्रिकी
ब्रह्माण्ड को रोचक बनाती है। यदि हिग्स क्षेत्र का आस्तित्व ना होतो सभी मूलभूत
कण जैसे इलेक्ट्रान तथा क्वार्क का द्रव्यमान शून्य होगा। भौतिकी के नियम बताते है
कि परमाणु का आकार उससे जुड़े इलेक्ट्रानो के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
इलेक्ट्रानो का द्रव्यमान जितना कम होगा परमाणु उतना बड़ा होगा। इलेक्ट्रान के
शून्य द्रव्यमान होने से परमाणु का आकार ब्रह्माण्ड के आकार के समान हो जायेगा,
अर्थात परमाणु का आस्तित्व ही नही होगा। हिग्स क्षेत्र के ना होने
से ना तो परमाणु होंगे, ना ही रसायनशास्त्र और ना ही हम!
8. आपका अपना द्रव्यमान
हिग्स से नही आता है। पिछले बिंदु मे हमने हिग्स क्षेत्र के संदर्भ मूलभूत कण शब्द
प्रयोग किया है। आपके शरीर का अधिकतर द्रव्यमान प्रोटान और न्युट्रान से आता है और
ये कण मूलभूत नही है। प्रोटान और न्युट्रान क्वार्को के समूह है जो ग्लुआन से बंधे
है। इन कणो का अधिकतर द्रव्यमान क्वार्क और ग्लुआन के मध्य की आपसी प्रतिक्रिया से
उत्पन्न होता है और यह द्रव्यमान हिग्स बोसान के ना रहने पर भी लगभग उतना ही रहेगा।
हिग्स बोसान के ना रहने पर भी द्रव्यमान रखने वाले प्रोटान और न्युट्रान रहेंगे
लेकिन उनके गुण बदल जायेंगे।
9. प्रति-गुरुतवाकर्षण
चालीत उड़न मशीन नही बनने जा रही है। कभी कभी लोग यह सोचते है कि हिग्स बोसान
द्रव्यमान से संबधित है इसलिये वह गुरुत्वाकर्षण से संबधित है और यदि हम हिग्स
बोसान को नियंत्रित कर सके तो हम गुरुत्वाकर्षण को चालू /बंद कर सकेंगे। लेकिन
दुःर्भाग्य से यह सत्य नही है। इसके पहले के बिंदु मे हमने देखा है कि आपका अधिकतर
द्रव्यमान हिग्स क्षेत्र से नही आता है। यदि हम इस तथ्य को उपेक्षित भी कर दें तब
भी हिग्स क्षेत्र के निंयंत्रण की कोई संभावना नही है। इसे इस तरह से समझें कि
अंतराल मे हिग्स क्षेत्र मे परिवर्तन के लिये ऊर्जा की आवश्यकता होगी और ऊर्जा का
दूसरा रूप द्रव्यमान है(E=mc2)। यदि आप किसी गोल्फ गेंद तुल्य क्षेत्र के हिग्स बल को बंद कर दें उसके
परिणाम स्वरूप पृथ्वी-द्रव्यमान के तुल्य द्रव्यमान उत्पन्न होगा। गोल्फ गेंद के
आयतन मे पृथ्वीतुल्य द्रव्यमान होने से एक ब्लैक होल उत्पन्न हो जायेगा। यह योजना
प्रायोगिक रूप से संभव नही है। हम हिग्स बोसान की खोज इसलिये नही कर रहे हैं कि
उसका हम तकनीकी रूप से कैसे प्रयोग करेंगे। इस कण की खोज हम इसलिये कर रहे है कि
हम जानना चाहते हैं कि ब्रह्माण्ड कैसे कार्य करता है।
10. सरल कार्य समाप्त हो
गया है। हिग्स बोसान की खोज ने स्टैंडर्ड माडेल को पूर्ण कर दिया है। दैनिक जीवन
के पीछे के सभी भौतिकी नियम समझ लिये गये हैं। पीछले 2000-3000 वर्षो की जिज्ञासा समाप्त हो गयी है। लेकिन श्याम पदार्थ, श्याम ऊर्जा, ब्रह्माण्ड के जन्म की प्रसव वेदना
जैसी चुनौतियाँ अभी बाकी है। हिग्स बोसान की खोज से इन समस्याओं के हल के लिये एक
सूराग मिलेगा, ज्ञान यात्रा अभी समाप्त नही हुयी है, यह एक पड़ाव मात्र है।
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